नई दिल्ली. कोरोनावायरस के कारण लागू लाॅकडाउन ने भले ही तमाम बिजनेस को नुकसान पहुंचाया है लेकिन बिस्किट कंपनी पारले-जी को रिकाॅर्डतोड़ फायदा हुआ है। कंपनी के मुताबिक, लाॅकडाउन के दौरान उसकी सेल पिछले 8 दशकों में सबसे ज्यादा रही।
कंपनी ने सेल्स नंबर तो नहीं बताए, लेकिन ये जरूर कहा कि इस साल मार्च, अप्रैल और मई पिछले 8 दशकों में उसके सबसे अच्छे महीने रहे। पारले-जी 1938 से ही लोगों के बीच एक फेवरेट ब्रांड रहा है। कीमत 5 रुपए होने की वजह से लॉकडाउन के दौरान ज्यादातर घरों में इसकी खपत बढ़ी। बड़े शहरों से गांवों की ओर लौट रहे प्रवासी मजदूरों को भी यही बिस्किट बांटे गए।
मार्केट शेयर में 5 फीसदी का इजाफा
पारले प्रोडक्ट्स के कैटेगरी हेड मयंक शाह ने कहा कि कंपनी का कुल मार्केट शेयर करीब 5 फीसदी बढ़ा है और इसमें से 80-90 फीसदी ग्रोथ पारले-जी की बिक्री से हुई। मयंक शाह ने कहा कि लॉकडाउन के बीच पारले-जी सबसे सुलभ खाने की वस्तु थी।
कई लोगों के लिए तो यही बिस्किट लंच, डिनर और नाश्ते का काम कर रहा था। कई राज्य सरकारों ने भी पारले-जी की उपलब्धता बढ़ाने के लिए हमें लिखा। साथ ही कई सारे एनजीओ ने भी इसको जरूरतमंदों को बाटंने के इरादे से खरीदा। उन्होंने कहा, ‘हम 25 मार्च से लगातार बिस्किट का उत्पादन कर रहे थे।’
ब्रिटानिया के बिस्किट भी खूब बिके
इस दौरान सिर्फ पारले-जी ही नहीं, बल्कि अन्य बिस्किट कंपनियों के प्रोडक्ट्स भी खूब बिके। विशेषज्ञों के अनुसार ब्रिटानिया का गुड डे, टाइगर, मिल्क बिकिस और मैरी बिस्किट के अलावा पारले का क्रैकजैक, मोनैको, हाइड एंड सीक जैसे बिस्किट भी खूब बिके।
देशभर में 130 फैक्ट्री
पारले प्रोडक्ट्स की देश भर में कुल 130 फैक्ट्रियां हैं, इनमें से 120 में लगातार उत्पादन हो रहा था। वहीं, 10 कंपनी के स्वामित्व वाली जगह हैं। पारले-जी ब्रांड 100 रुपए प्रति किलो से कम वाली कैटेगिरी में आता है। बिस्किट उद्योग में एक तिहाई कमाई इसी से होती है। वहीं, कुल बिस्किट की बिक्री में इसका शेयर 50 फीसदी है।
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