मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर सर्वकालिक महान बल्लेबाजों में शुमार हैं, इंटरनैशनल क्रिकेट में सेंचुरी की सेंचुरी लगाने वाले वो इकलौते क्रिकेटर हैं। सबसे टेस्ट रन, सबसे ज्यादा टेस्ट सेंचुरी, सबसे ज्यादा वनडे रन, सबसे ज्यादा वनडे सेंचुरी, सबसे ज्यादा इंटरनैशनल रन उनके नाम ही दर्ज हैं। वो टीम इंडिया के सबसे बड़े मैच-विनर्स भी माने जाते हैं, लेकिन कप्तानी की बात करें तो वो उतनी कामयाबी हासिल नहीं कर सके। सचिन 1996 से 2000 के बीच में टीम इंडिया के कप्तान बने, लेकिन इस दौरान उनकी बल्लेबाजी काफी प्रभावित दिखी। कप्तानी के प्रेशर के चलते वो बल्लेबाजी खुलकर नहीं कर पा रहे थे।
हाल में टीम इंडिया के चीफ सिलेक्टर रहे चंदू बोर्डे ने बताया कि किस तरह से सचिन ने खुद आकर कहा था कि उन्हें कप्तानी से हटा दिया जाए। उन्होंने स्पोर्ट्सकीड़ा से कहा, ‘देखिए, अगर आपको याद हो तो हमने उन्हें कप्तान के तौर पर ऑस्ट्रेलिया भेजा था। उन्होंने वहां टीम की कमान संभाली लेकिन जब लौटकर आए तो कप्तानी नहीं करना चाहते थे। उन्होंने कहा था, नहीं मैं अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान देना चाहता हूं। मैंने उनसे कहा था कि आप कुछ लंबे समय के लिए कप्तानी करें क्योंकि हमें नए कप्तान को ढूंढ़ना होगा।’
बोर्डे ने बताया कि कुछ साथियों ने इसके लिए उनकी आलोचना भी की थी कि वो सचिन को कप्तानी के लिए मना नहीं सके। 2000 की शुरुआत में हुए मैच फिक्सिंग कांड के बाद सौरव गांगुली को टीम इंडिया का कप्तान बनाया गया। उन्होंने कहा, ‘सचिन ने कहा कि वो अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान नहीं दे पार रहे हैं और टीम के लिए वैसा नहीं खेल पा रहे हैं, जैसा वो खेलना चाहते हैं। अंत में हमने गांगुली को कप्तान चुना।’ सचिन ने भारत के लिए 73 वनडे इंटरनैशनल और 25 टेस्ट मैचों में कप्तानी की, जिसमें भारत ने 23 वनडे इंटरनैशनल और चार टेस्ट मैच उनकी कप्तानी में जीते।
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