बता दें कि विराट कोहली (#ViratKohli) के खिलाफ यह शिकायत मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के आजीवन सदस्य संजीव गुप्ता की तरफ से दायर की गई है. इस शिकायत में उन्होंने कहा है कि कोहली वर्तमान में दो पद हासिल किए हुए हैं और यह बीसीसीआई के नियम-38 (4) का उल्लंघन है
नई दिल्ली: पहले राहुल द्रविड़ सहित कई और नामी-गिरामी खिलाड़ियों के खिलाफ शिकायत दर्ज हुई और अब भारती कप्तान विराट कोहली (#ViratKohli) भी घिर गए है! विराट कोहली (#ViratKohli) के खिलाफ हितों के टकराव के लिए शिकायत दर्ज हुई है. मामला भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की अदालत में पहुंच गया है और और लोकपाल डीके जैन इस मामले को देख रहे हैं. काफी समय पहले राहुल द्रविड़ से भी लोकपाल ने सवाल-जवाब किए थे और इस मामले की काफी तीखी आलोचना हुई थी, लेकिन द्रविड़ ने जवाब दिया था और वह जांच में सही पाए गए थे. वैसे राहुल द्रविड़ ही नहीं, इस मामले और और भी कई दिग्गज क्रिकेटरों को लोकपाल को जवाब देना पड़ा था. और भारतीय कप्तान विराट कोहली (#ViratKohli) का यह हालिया हाई-प्रोफाइल और वर्तमान टीम इंडिया के किसी सदस्य का पहला मामला है, जिसको हितों के टकराव के मामले का सामना करना पड़ेगा.
डीके जैन ने कहा कि हां मुझे कॉन्फिलक्ट ऑफ इंट्रेस्ट (हितों के टकराव) के मामले में विराट के खिलाफ शिकायत मिली है और मैं इस मामले को देख रहा हूं. मैं इसकी जांच कर रहा हूं और तय करूंगा कि इस मामले में क्या किया जा सकता है. अगर यह शिकायत नियमों पर खरी उतरती है, तो विराट के खिलाफ किसी भी कार्रवाई से पहले उन्हें अपनी बात रखने का मौका दिया जाएगा. उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए मौका दिए जाने की जरूरत है. इस मामले में भी मैं ठीक उसी प्रक्रिया का पालन करूंगा, जो मैंने पहले किया है.
बता दें कि यह शिकायत मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के आजीवन सदस्य संजीव गुप्ता की तरफ से दायर की गई है. इस शिकायत में उन्होंने कहा है कि कोहली वर्तमान में दो पद हासिल किए हुए हैं और यह बीसीसीआई के नियम-38 (4) का उल्लंघन है. संजीव गुप्ता ने व्यवसायों का उदाहरण देते हुए बताया जहां कोहली मालिक या निदेशक की भूमिका में हैं.
गुप्ता ने कहा कि मैंने बहुत ही विनम्रता के साथ लोकपाल से विरट कोहली को दोनों में से एक पद छोड़ने के लिए कहा है. उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में शिकायत दर्ज कराने का मकसद सौ फीसदी जस्टिस लोढ़ा द्वारा बनाए गए और सुप्रीम कोर्ट द्वारा मंजूरी किए गए बीसीसीआई के संविधान के अनुरूप है और इसके पीछे उनका कोई निजी एजेंडा नहीं है.
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