क्या दही खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है?

दही (गाय के दूध से बना) के अनेक फायदों में से एक है की यह इम्युनिटी बढ़ाने में मदत करता है।

दही कई विटामिन और खनिजों का एक उत्कृष्ट स्रोत है, जैसे कि विटामिन बी 12, कैल्शियम, फास्फोरस और राइबोफ्लेविन। दही पाचनतंत्र को मजबूत कर कब्ज, दस्त, और अन्य आंतों की समस्याओं को कम करने के लिए अत्यंत उपयुक्त है। पाचन तंत्र और इम्युनिटी एकदूसरे से संबंधित होते है। आंतों में मौजूद माइक्रोबायोटा में असंतुलन होना प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर क्रोनिक इंफ्लेमेटरी डिसीसेस और अन्य ऑटो इम्यून डिसीसेस का कारण बन सकता है। दही में मौजूद लैक्टोबैसिलस, एक नैसर्गिक प्रोबायोटिक (बैक्टीरिया का फायदेमंद प्रकार) है जो आंतों फायदेमंद बैक्टीरिया को बढ़ाकर पाचनतंत्र के स्वास्थ्य को बनाए रखते है। इससे रोग प्रतिकार शक्ति सुचारु रूप से काम कर रोगों से लड़ने में मदत करती है और आपके स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देता है।

अध्ययनों से यह पता चला है की दही खाने से रोग प्रतिकार शक्ति में वृद्धि होती हैं, विशेष रूप से बुजुर्गों जैसे इम्युनोकॉम्प्रोमाइज्ड आयु वर्ग में यह प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ा सकता हैं । पशु अध्ययन से पता चला है कि आंत से जुड़े लिम्फोइड ऊतक दही में स्थित lactic acid bacteria से प्रेरित होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप साइटोकिन और एंटीबॉडी [Immunoglobulin A] का उत्पादन बढ़ जाता है और Payer’s patch कोशिकाओं और स्प्लेनोसाइट्स की माइटोजेनिक गतिविधि में वृद्धि होती है।

मनुष्यों में किये गए अध्ययनों के मुताबिक दही सेवन करना रोग प्रतिकार प्रणाली के विभिन्न प्रक्रियाओं में जैसे साइटोकिन उत्पादन, फागोसाइटिक गतिविधि, एंटीबॉडी उत्पादन, टी सेल फ़ंक्शन, और नेचरल किलर (एनके) सेल गतिविधि वृद्धि दिखाता है।

लेकिन ये फायदा तभी मिल सकता है जब आप दही का सही तरीके से सेवन करे । आयुर्वेद में दही सेवन के कुछ नियम बताए गये है ।

रात के समय दही का सेवन ना करे। रात के समय दही सेवन से कफ बढ़ाकर शरीर में अवरोध उत्पन्न कराता है। अगर रात को दही खाना ही हैं तो गोल मिर्च डालकर खाए। इससे आपकी पाचन-क्रिया भी अच्छी रहेगी। दिन के समय बिना चीनी के दही खाना अधिक लाभदायक होता है।

हेमंत ,शिशिर ऋतू (यानी ठंडी के काल में )और वर्षा ऋतू (बरसात के मौसम) में दही खा सकते हैं। इन ऋतुओं में भी घी, शक्कर, मुंग का यूष, शहद या आमला चूर्ण के बिना दही न खाये।

शरद ऋतू (अक्टूबर हीट का काल), ग्रीष्म ऋतु और वसंत ऋतु काल में दही नहीं खाना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार दही की तासीर गर्म है और ये कफ को भी बढ़ाता है | वसंत में गर्मी के साथ कफ का स्वाभाविक रूप से कफ बढ़ा हुआ होता है | ग्रीष्म में गर्मी होने के कारण दही सेवन करना विरुद्ध बताया गया है |

दही को कभी भी गर्म करके न खाये ।

ताजे फल, दूध, पनीर, अंडे, गर्म पेय, नींबू, मांस या मछली के साथ दही का मिश्रण ना करें क्योंकि ये विरुद्ध अन्न हैं।

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