नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन के साथ किसी नए व्यापार समझौते की संभावना को धूमिल बताया है. ऐसा उन्होंने इस एशियाई दिग्गज को कोरोनावायरस महामारी से निपटने को लेकर आगाह न करने के कारण किया है. पॉलिटिको न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रम्प ने संवाददाताओं से कहा कि चीन के साथ अमेरिका का संबंध “गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त” हुआ है. उन्होंने आगे कहा कि वह व्यापार समझौते की तुलना में अन्य चीजों को ध्यान में रखे हुए हैं.
चीन के वुहान में पैदा हुए कोविड-19 का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, वे इस महामारी को रोक सकते थे, लेकिन उन्होंने इसे नहीं रोका. उन्होंने इस महामारी को वुहान से चीन के अन्य हिस्सों में जाने से रोक दिया … वे इसे रोक सकते थे. इसी साल जनवरी में ट्रम्प ने चीन के साथ व्यापार समझौते के पहले फेज पर हस्ताक्षर किए थे. यह सौदा कृषि, ऊर्जा और अन्य उत्पादों के अमेरिकी निर्यात को बढ़ाने पर केंद्रित था. यह पहली बार नहीं है जब ट्रम्प ने महामारी को लेकर चीन पर हमला बोला है. वह चीन से आए इस वायरस को कुंग फ्लू और चीनी वायरस भी कह चुके हैं. वहीं उनके प्रशासन के शीर्ष अधिकारी माइक पोम्पिओ ने इसे वुहान वायरस कहा है.
चीन भारत तनाव पर ये गारंटी नहीं कि अमेरिका भारत की मदद करेः जॉन वोल्टन
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने कहा है कि यदि चीन-भारत सीमा तनाव बढ़ता है कि तो इसकी कोई गारंटी नहीं कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन के खिलाफ भारत का समर्थन करेंगे. बोल्टन ने एक टेलीविजन चैनल से साक्षात्कार में कहा कि चीन अपनी सभी सीमाओं पर आक्रामक तरीके से व्यवहार कर रहा है, निश्चित तौर पर पूर्वी और दक्षिण चीन सागर में भी तथा जापान, भारत और अन्य देशों के साथ उसके संबंध खराब हुए हैं. यह पूछे जाने पर कि ट्रंप चीन के खिलाफ भारत का किस हद तक समर्थन करने के लिए तैयार हैं, उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि वह क्या निर्णय लेंगे और मुझे नहीं लगता कि उन्हें भी इस बारे में पता है. मुझे लगता है कि वह चीन के साथ भू-रणनीतिक संबंध देखते हैं, उदाहरण के लिए, विशेष रूप से व्यापार के चश्मे से.’ उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि ट्रंप नवम्बर के चुनाव के बाद क्या करेंगे…वह बड़े चीन व्यापार समझौते पर वापस आएंगे. यदि भारत और चीन के बीच चीजें तनावपूर्ण बनती हैं तो मुझे नहीं पता कि वह किसका समर्थन करेंगे.’
अप्रैल 2018 से सितम्बर 2019 तक अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहार थे वोल्टन
यह पूछे जाने पर कि क्या वह मानते हैं कि यदि भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ता है तो इसकी कोई गारंटी नहीं कि ट्रंप चीन के खिलाफ भारत का समर्थन करेंगे, बोल्टन ने कहा, ‘हां यह सही है.’ बोल्टन ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि ट्रंप को भारत और चीन के बीच दशकों के दौरान हुई झड़पों के इतिहास की कोई जानकारी है. बोल्टन ने कहा कि हो सकता है कि ट्रंप को इस बारे में जानकारी दी गई हो, लेकिन वह इतिहास को लेकर सहज नहीं हैं. बोल्टन ट्रंप प्रशासन में अप्रैल 2018 से सितम्बर 2019 तक अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहार थे.
भारत-चीन के बीच गलवान घाटी के मामले के बाद कई बार हुई बैठक
उन्होंने आगे कहा,‘मुझे लगता है कि वह अगले चार महीनों के दौरान ऐसी सभी चीजों से परहेज करेंगे जो उनके चुनाव को और जटिल बनाये, जो पहले से ही उनके लिए एक मुश्किल चुनाव है.’ उन्होंने कहा, ‘इसलिए वह (ट्रंप) यह चाहेंगे कि सीमा पर शांति हो, चाहे इससे चीन को लाभ हो या भारत को.’ भारत और चीन की सेनाओं के बीच पिछले आठ सप्ताह से पूर्वी लद्दाख में कई स्थानों पर गतिरोध उत्पन्न था. गलवान घाटी में उस हिंसक झड़प के बाद तनाव और बढ़ गया जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे. क्षेत्र में तनाव में कमी लाने के लिए दोनों पक्षों के बीच पिछले कुछ सप्ताह के दौरान कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर बाचतीत के कई दौर हो चुके हैं.
“With this very exciting new effort, we will deliver a future of greater promise, opportunity, and freedom.” — President @realDonaldTrump pic.twitter.com/Rdj1Hb4OGZ
— The White House (@WhiteHouse) July 11, 2020
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