आज हरियाली अमावस्या है. यह दिन हरियाली को समर्पित है. सावन महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है, जब अमावस्या सोमवार के दिन आता है तो इसे सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है. वहीं, आज सोमवती अमावस्या भी है. इस अमावस्या का संबंध प्रकृति, पितृ और भगवान शंकर से है। मान्यता है कि इस दिन पौधरोपण करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. सनातन धर्म में वृक्षों को देवता स्वरूप माना गया है.
हरियाली अमावस्या पूजा विधि
हरियाली अमावस्या के दिन पीपल के मूल भाग में जल, दूध चढ़ाने से पितृ तृप्त होते हैं तथा शाम के समय सरसों के तेल का दीपक जलाने से शनिदेव शांत होते हैं. इस दिन सुबह जल्दी उठकर विधि विधान भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए. सुहागन महिलाओ को सिंदूर सहित माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए और सुहाग सामग्री बांटनी चाहिए. मान्यतानुसार इस दिन हरी चूड़िया, सिंदूर, बिंदी बांटने से सुहाग की आयु लंबी होती है और साथ ही घर में खुशहाली आती है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान के बाद ब्राह्मणों, ग़रीबों और वंचतों को यथाशक्ति दान-दक्षिणा करनी चाहिए. हरियाली अमावस्या के दिन पीपल और तुलसी के पेड़ की पूजा करनी चाहिए. साथ ही पीपल के वृक्ष की परिक्रमा भी करनी चाहिए तथा मालपुआ का भोग लगाने की परंपरा है. इस दिन कई लोग उपवास भी रखते हैं. इसके बाद शाम को भोजन ग्रहण कर व्रत खोला जाता है.
हरियाली अमावस्या व्रत कथा
एक राजा था. उसके एक बेटा बहू थे. बहू ने एक दिन मिठाई चोरी करके खा ली और नाम चूहा का ले लिया, यह सुनकर चूहे को गुस्सा आया, और उसने मन मे विचार किया कि चोर को राजा के सामने लेकर आऊंगा. एक दिन राजा के घर में मेहमान आये थे, और वह राजा के कमरे में सोये थे, चूहे ने रानी के कपड़े ले जाकर मेहमान के पास रख दिये. सुबह उठकर सब लोग आपस में बात करने लगे की छोटी रानी के कपड़े मेहमान के कमरे में मिले. यह बात जब राजा ने सुनी तो उस रानी को घर से निकाल दिया. वह रोज शाम को दिया जलाती और ज्वार बोती थी. पूजा करती गुड़धानी का प्रसाद बांटती थी. एक दिन राजा शिकार करके उधर से निकले तो राजा की नजर उस रानी पर पड़ी. राजा ने अपने सैनिकों को कहा कि जाकर देखो उस पेड़ पर…
अगले दिन राजा के सैनिकों ने पेड़ के ऊपर जाकर देखा तो दिये आपस में बात कर रहे थे. उसमें से एक दिया बोला मैं राजा के घर का हूं उस राजा की एक बहू थी उसने एक बार मिठाई चोरी करके खा ली और चूहे का नाम ले लिया. जब चूहे को गुस्सा आया तो रानी के कपड़े मेहमान के कमरे में रख दिए राजा ने रानी को घर से निकाल दिया, वो रोज मेरी पूजा करती थी, भोग लगाती थी. उसने रानी को आशीर्वाद दिया वह सुखी रहे. फिर पेड़ पर से उतर कर सैनिक घर आए और बताया कि रानी का कोई दोष नहीं था. राजा ने रानी को घर बुलाया और सभी सुख से रहने लगे.
अमावस्या तिथि का शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि प्रारम्भ – 20 जुलाई रात 12 बजकर 10 मिनट पर
अमावस्या तिथि समाप्त – 20 जुलाई रात 11 बजकर 02 मिनट पर
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