हिमाचल चुनाव : ‘छोटे ल्हासा’ में सबसे अधिक उम्मीदवार, कांग्रेस-भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर

नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश विधानसभा की सुगबुगाहट ने दिन ब दिन नेताओं के दिल की धड़कनों को तेज करना शुरू कर दिया है. जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आती जा रही है, नेता अपने क्षेत्र की जनता के आगे नतमस्तक होते दिखाई दे रहे हैं. कुछ पर सीट को बचाने का दबाव है, तो कुछ पर अपनी बरसों पुरानी खोई सत्ता को दोबारा हासिल करने का.  इस चुनाव में एक सीट ऐसी है, जहां पर चार बार के पूर्व विधायक पांचवीं बार चुनाव मैदान में जीत के इरादे से उतरे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ मौजूदा विधायक दूसरी बार नामांकन दाखिल कर इसी सीट पर अपना दबदबा बरकरार रखना चाहते हैं. हिमाचल प्रदेश की विधानसभा सीट संख्या-18 धर्मशाला. कांगड़ा जिले और लोकसभा क्षेत्र का यह विधानसभा क्षेत्र अनारक्षित है.

 

वर्तमान स्थिति की बात करें, तो इस क्षेत्र की कुल आबादी 136,586 है, जिसमें कुल मतदाताओं की संख्या 71,359 है. धर्मशाला अपनी कई खासियतों के लिए जाना जाता है. धर्मशाला को अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है. साथ ही 1960 में जब दलाई लामा ने धर्मशाला में अपना अस्थायी मुख्यालय बनाया तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यह क्षेत्र भारत के ‘छोटे ल्हासा’ के रूप में जाना जाने लगा. 1905 में एक विनाशकारी भूकंप से तबाह होने के बाद इस क्षेत्र का पुनर्निर्माण किया गया और यह स्थान एक सुंदर हेल्थ रिसॉर्ट और पर्यटन का महत्वपूर्ण आकर्षण का केंद्र बन गया.

 

धर्मशाला में विशाल तिब्बती बस्तियां होने के कारण इस क्षेत्र को ‘लामाओं की भूमि’ के रूप में जाना जाता है. धर्मशाला में हिंदू और जैन मंदिरों के साथ साथ अनेक मठ और शिक्षण केंद्र स्थित हैं. धर्मशाला में बने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम ने नगर की शान को काफी हद तक बढ़ाने का काम किया है .  साथ ही इसे स्मार्ट सिटी भी घोषित किया जा चुका है. धर्मशाला को राज्य की ‘दूसरी राजधानी’ भी कहा जाता है. धर्मशाला की राजनीति की बात करें, तो इस विधानसभा क्षेत्र में कभी जाति समीकरण अपना प्रभाव नहीं छोड़ सके हैं. बात करें क्षेत्र की राजनीति की, तो मुख्यत: इस विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कब्जा रहा है.

1977 के बाद से अब तक हुए नौ विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इस सीट पर छह बार जीत हासिल की है, जबकि तीन बार क्षेत्र की सत्ता कांग्रेस के हाथ आई है. बात करें पिछले छह चुनाव की, तो भाजपा के किशन कपूर अकेले ऐसे नेता हैं, जिन्होंने लगातार इस सीट से चुनाव लड़ा और चार चुनाव में जीत दर्ज की. इस बार भी सातवीं दफा भाजपा के दिग्गज नेता किशन कपूर चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं. किशन कपूर भाजपा राज्य इकाई के दिग्गज और वरिष्ठ नेताओं में शुमार हैं. 1990 में पहली बार चुनाव जीतने वाले कपूर ने क्षेत्र में अपनी पैठ बना रखी है. कपूर भाजपा नीत सरकार में बतौर मंत्री रह चुके हैं. कपूर ने 1990, 1993,1998 और 2007 में हुए विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की थी.

कपूर सातवीं बार धर्मशाला से चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं धर्मशाला विधानसभा से मौजूदा विधायक कांग्रेस नेता सुधीर शर्मा ने भाजपा के दिग्गज नेता किशन कपूर को 2012 विधानसभा चुनाव में पटखनी देकर पार्टी में अपना वर्चस्व कायम किया, जिसका फायदा भी उन्हें मिला और सरकार में उन्हें शहरी विकास, आवास एवं नगर नियोजन मंत्री का पद दिया गया. सुधीर शर्मा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पंडित संत राम के बेटे हैं और मूल रूप से बैजनाथ के रहने वाले हैं.

 

पंडित संत राम अतीत में कांग्रेस सरकार में मंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे थे. शर्मा ने बाहरी होते हुए भी किशन कपूर के खिलाफ आसानी से चुनाव जीत लिया था. सुधीर 2003 और 2007 में बैजनाथ से विधायक चुने गये थे. शर्मा ने धर्मशाला से दोबारा नामांकन दाखिल किया है. धर्मशाला सीट की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस क्षेत्र से सबसे ज्यादा उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं, जिनमें से बहुजन समाज पार्टी के पवन चौधरी, बहुजन मुक्ति पार्टी के अश्विनी काजल, स्वाभिमान पार्टी की निशा कटोच के साथ सात निर्दलीय अपनी किस्मत आजमाने मैदान में उतरे हैं.

 

भाजपा के वर्चस्व वाली धर्मशाला विधानसभा सीट पर जंग दिलचस्प है. एक तरफ जीत के रथ पर सवार कांग्रेस के सुधीर शर्मा, तो दूसरी तरफ भाजपा के चार बार के पूर्व विधायक और दिग्गज नेता किशन कपूर. जीत किसकी होगी, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन इन दोनों नेताओं के बीच टक्कर जबरदस्त होती दिखाई दे रही है. हिमाचल प्रदेश में मतदान 9 नवंबर को होना है.

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