राजस्थान में जारी सियासी संकट: मायावती-ग्रेस में शामिल 6 विधायकों के खिलाफ SC जाएगी BSP

राजस्थान में जारी सियासी संकट के बीच मायावती की नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी (BSP) भी सुर्खियों में है। वजह है बीते साल कांग्रेस में शामिल हुए सभी छह विधायकों के खिलाफ कोर्ट का रुख करना। इस मामले पर बोलते हुए बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कहा कि राजस्थान में चुनाव के बाद कांग्रेस को बिना शर्त समर्थन दिया था, लेकिन दुर्भाग्य से सीएम अशोक गहलोत ने बसपा को नुकसान पहुंचाने के लिए हमारे सभी विधायकों को अपनी पार्टी में विलय करा दिया।

बीएसपी सुप्रीमो ने छह विधायकों के कांग्रेस में विलय होने की घटना को असंवैधानिक करार देते हुए कहा, ‘बीएसपी पहले भी कोर्ट जा सकती थी, लेकिन हम उस समय का इंतजार कर रहे थे, जब अशोक गहलोत और कांग्रेस को सबक सिखाई जा सके। अब हमने कोर्ट जाने का फैसला किया है।’ मायावती ने कहा कि हम इस मुद्दे को जाने नहीं देंगे। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे।

आपको यह बता दें कि चुनाव परिणाम आने के बाद कांग्रेस के 99 और बीएसपी के 6 विधायक चुनाव जीतकर आए थे। अशोक गहलोत निर्दलीय और छोटी पार्टियों के विधायक की मदद से बहुमत के लिए जरूरी 101 से अधिका विधायकों का समर्थन जुटाने में सफल रहे थे। लेकिन बाद में उन्होंने सरकार की स्थिति मजबूत करने के लिए बीएसपी के सभी छह विधायकों का कांग्रेस में विलय करा दिया था। इससे उनके 105 विधायक हो गए।

सचिन पायलट और 18 अन्य विधायकों के बागी तेवर अपनाने के बाद बीजेपी विधायक और बीएसपी ने उन छह विधायकों के विलय को राजस्थान हाई कोर्ट में चुनौती दी। हालांकि कोर्ट ने दोनों की याचिका पहली सुनवाई में ही खारिज कर दी। अब बीएसपी सुप्रीमो ने सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है।

आपको यह भी बता दें कि बहुजन समाज पार्टी की टिकट से चुने गए छह विधायक जो पिछले साल सितंबर में कांग्रेस के साथ चले गए थे, उन्हें पार्टी ने गहलोत सरकार के खिलाफ वोट करने का निर्देश देते हुए व्हिप जारी किया है। बीएसपी की टिकट पर जो पर छह विधायक चुने गए थे वो हैं- आर. गुढ़ा, लखन सिंह, दीप चंद, जेएस अवाना, संदीप कुमार और वाजिब अली।

 

बीएसपी ने निर्देश देते हुए इन सभी से कहा कि राजस्थान विधानसभा सत्र के दौरान अविश्वासमत प्रस्ताव या किसी तरह की कार्यवाही के दौरान वे कांग्रेस के खिलाफ वोट करें। इससे पहले बीएसपी प्रमुख मायावती ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर जमकर निशाना साधते हुए राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की थी। उन्होंने गहलोत पर दल-बदल कानून का दुरुपयोग करने और अब फोन टैपिंग का आरोप लगाई थी। साथ ही यह भी कही थी कि लगातार बीएसपी के साथ दगाबाजी की गई है।

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