नई दिल्ली (6 अगस्त): वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन अपनी चालबाजी से बाज नहीं आ रहा है। भारत और चीन के बीच हुई कोर कमांडर लेवल की बातचीत के दौरान पीछे हटने को राजी हुआ चीन फिर से एलएसी पर चालबाजी कर रहा है। सैटेलाइट इमेज से खुलासा हुआ है कि डिसएंगेजमेंट की बातचीत के बीच चीन पैंगॉन्ग झील में अपनी तैनाती बढ़ा रहा है। ताजा तस्वीरों में फिंगर-4 के पास अब भी चीनी मोटरबोट दिख रही हैं। हॉट स्प्रिंग्स के कुछ हिस्सों में अभी भी चीनी सैनिक तैनात हैं। इसके अलावा पैंगोंग त्सो झील के पास अप्रैल से पहले वाली स्थिति अभी दूर नजर आ रही है।
एलएसी पर जारी गतिरोध को दूर करने के लिए भारत और चीन के बीच लेफ्टिनेंट जनरल स्तर के अधिकारियों के बीच अब तक 5 बैठक हो चुकी है, लेकिन मामला सुलझता नहीं दिख रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक रविवार को भारत और चीन के बीच लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारियों के बीच 5 वें दौर का बातचीत बेनतीजा रही। यह बैठक चीन के अनुरोध पर मोलडो में हुई थी जो दस घंटे तक चली थी। अब चीन ने उल्टा भारत से पैंगोंग त्सो से पीछे हटने को कहा इस प्रस्ताव को भारत ने ठुकराया दिया है। चीन ने भारत से फिंगर 4 से भी पीछे हटने को कहा जबकि भारत फिंगर 8 तक पैट्रोलिंग किया करता था और उसे फिंगर 8 को एलएसी मानता है। फिंगर 4 एलएसी के इस पार भारत के नियंत्रण वाला क्षेत्र रहा है। लेकिन मई महीने से चीनी सेना फिंगर 4 पर आ चुकी थी बाद में बातचीत के बाद चीनी सेना फिंगर 5 पर चली गई। भारतीय सेना को अब भी चीनी सेना फिंगर 8 तक पैट्रोलिंग करने के लिए आगे नहीं बढ़ने दे रही।
चीन के प्रस्ताव को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल की अध्यक्षता वाली चीन स्टडी ग्रुप ने अध्ययन किया। जिसके बाद सेना ने हॉटलाइन के जरिये चीन को बता दिया कि उसका प्रस्ताव भारत को मंजूर नहीं। रविवार को हुई बातचीत में चीन भी पैंगोंग त्सो से पीछे नहीं हटने पर अड़ा रहा। भारत ने एलएसी पर तनाव कम करने के लिए चीन के पीछे हटने और अप्रैल की यथास्थिति कायम करने की शर्त रखा था। अब चीन भारत से ही पीछे हटने को कह रहा। हॉट स्प्रिंग गोगरा के पैट्रोलिंग पॉइंट 17 और 17-A से भी अब चीनी सेना पीछे नहीं हट रही और डिसइनगेजमेंट प्रक्रिया का पालन नहीं कर रही है।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक एलएसी पर चीनी आक्रामकता बढ़ती जा रही है और मौजूदा गतिरोध लंबे समय तक जारी रह सकता है। मंत्रालय ने गलवान घाटी का जिक्र भी किया है, जहां पर 15 जून को हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। वहीं, कई चीनी सैनिक भी मारे गए थे। जून में रक्षा विभाग की प्रमुख गतिविधियों को सूचीबद्ध करने वाले एक आधिकारिक दस्तावेज में, मंत्रालय ने कहा कि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) 17-18 मई को कुगरांग नाला, गोगरा और उत्तरी बैंक के पैंगोंग त्सो के क्षेत्रों में भारत की ओर आई। मंत्रालय ने दस्तावेज को वेबसाइट पर 4 अगस्त को अपलोड किया गया था। दस्तावेज में कहा गया कि इसके परिणामस्वरूप, दोनों पक्षों के सशस्त्र बलों के बीच जमीनी स्तर पर बातचीत हुई। कोर कमांडर लेवल फ्लैग मीटिंग 6 जून को आयोजित की गई थी। हालांकि, 15-30 जून के बीच, दोनों पक्षों में एक हिंसक आमना-सामना हुआ, जिसमें भारत के सैनिक शहीद हुए और चीन कई के सैनिक मारे गए।
सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे (फाइल फोटो) चीन सीमा के साथ सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करने के लिए तेजपुर स्थित 4 कोर की यात्रा पर हैं। वरिष्ठ सैन्य अधिकारी उन्हें मौजूदा स्थिति और स्थिति से निपटने के लिए भारतीय सेना की तैनाती के बारे में जानकारी देंगे: भारतीय सेना के स्रोत pic.twitter.com/VNXSEUsFhz
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 6, 2020
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