नयी दिल्ली : भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) ने भारत और चीन के बीच बढ़ते राजनयिक तनाव के बीच गुरूवार को चीनी मोबाइल फोन कंपनी वीवो के साथ इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के आगामी सत्र के लिए टाइटल प्रायोजन करार सस्पेंड कर दिया. बीसीसीआई ने एक पंक्ति का बयान भेजा जिसमें कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गयी और इसमें कहा गया कि वीवो इस साल आईपीएल के साथ जुड़ा नहीं होगा.
प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, ‘बीसीसीआई और वीवो मोबाइल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने 2020 में इंडियन प्रीमियर लीग के लिये अपनी साझेदारी को निलंबित करने का फैसला किया है.’ वीवो कंपनी ने कहा कि इस करार को विराम (पॉज) दिया गया है. इसके बयान के अनुसार, ‘बीसीसीआई और वीवो मोबाइल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने आपसी रजामंदी से इंडियन प्रीमियर लीग के 2020 सत्र के लिये अपनी भागीदारी को विराम देने का फैसला किया है.’
वीवो ने 2018 से 2022 तक पांच साल के लिए 2190 करोड़ रुपये (प्रत्येक वर्ष करीब 440 करोड़ रुपये) में आईपीएल प्रायोजन अधिकार हासिल किये थे. दोनों पक्ष एक योजना पर काम कर रहे हैं जिसमें वीवो फिर से तीन साल के लिए संशोधित शर्तों पर 2021 से वापसी कर सकता है. हालांकि बीसीसीआई के एक शीर्ष अधिकारी का इस पर विचार कुछ अलग था.
बीसीसीआई के एक अनुभवी अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर पीटीआई से कहा, ‘हम यहां कूटनीतिक तनाव की बात कर रहे हैं और आप उम्मीद कर रहे हो कि नवंबर में जब आईपीएल खत्म हो जायेगा और अगला आईपीएल अप्रैल 2021 में शुरू होगा तो चीन विरोधी भावना नहीं होगी? क्या हम गंभीर हैं?’ पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के बाद देश में चीन के खिलाफ भावनाएं चरम पर पहुंच गयी. इसमें भारत के 20 सैनिकों की जान चली गयी जबकि चीन ने भी सैनिकों के मारे जाने की बात स्वीकार की.
वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर हुई इस घटना से भारत में चीनी कंपनियों और उत्पादों के बहिष्कार की बातें होने लगी. बीसीसीआई के अपने संविधान के अनुसार नये टाइटल प्रायोजक के लिए निविदा प्रक्रिया शुरू करने की संभावना है. टी-20 लीग 19 सितंबर से संयुक्त अरब अमीरात में शुरू होगी जिसे भारत में बढ़ते कोविड-19 मामलों के कारण विदेश में आयोजित कराना पड़ रहा है. रविवार को हुई आईपीएल संचालन परिषद की बैठक में फैसला किया गया था कि वीवो अन्य प्रायोजकों के साथ बना रहेगा, लेकिन यह घटना इसके बिलकुल उलट हुई.
बीसीसीआई ने गलवान घाटी में हुई घटना के बाद जून में घोषणा की थी कि आईपीएल को लेकर सभी प्रायोजन करार की समीक्षा की जायेगी. हालांकि रविवार को हुई बैठक के बाद वीवो के साथ करार बरकरार रखने के कारण बीसीसीआई की सोशल मीडिया पर काफी आलोचना हुई थी. दोनों पक्षों ने इस सत्र के लिये आपसी रजामंदी से अलग होने की योजना बनाई. हालांकि इस करार के खत्म होने से फ्रेंचाइजी को भी नुकसान हो सकता है क्योंकि उन्हें भी प्रायोजन करार से काफी बड़ा हिस्सा मिलता था.
सालाना वीवो प्रायोजन राशि का आधा हिस्सा आठ फ्रेंचाइजी में बराबर बराबर बांटा जाता है जो 27.5 करोड़ रुपये तक आता है. अधिकारी ने कहा, ‘अभी बीसीसीआई के लिए इतने कम समय में इस प्रायोजन राशि के बराबर प्रायोजक ढूंढना बहुत मुश्किल होगा. इसलिए बीसीसीआई और फ्रेंचाइजी दोनों को कुछ घाटे के लिए तैयार हो जाना चाहिए. बीसीसीआई को ज्यादा लेकिन प्रत्येक फ्रेंचाइजी को वीवो के जाने से संभवत: 15 करोड़ रुपये का नुकसान होगा.’ उन्होंने कहा, ‘इस साल सभी के लिए मुश्किल होगा लेकिन शो चलता रहना चाहिए.’
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