नई दिल्ली: कोरोना के बाद से ही चीन और अमेरिका के रिश्तों में खटास आ गई है। अब दोनों देशों के बीच दक्षिण चीन सागर से लेकर चीनी एप्स तक एक वॉर छिड़ा है, जिसको आज चीनी विदेश मंत्री ने और भी ज्यादा भड़का दिया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने ट्रंप प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि ताइवान को अमेरिकी हथियारों की बिक्री “वन चाइना” सिद्धांत का उल्लंघन करती है।
संयुक्त राज्य अमेरिका ने ताइवान के साथ मिसाइलों के लिए संभावित 620 मिलियन डॉलर के पैकेज को मंजूरी दी थी, जिसमें पैट्रियट एडवांस्ड कैपेबिलिटी -3 मिसाइलें शामिल थीं। इसके साथ ही ताइवान ने यूएस से ड्रोन खरीदने की भी इच्छा जाहिर की है। इसके बाद चीन के सरकारी समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंघे ने अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क ओस्लो को फोन किया और अमेरिकी समकक्ष से “गलत शब्दों और कामों को रोकने और खतरनाक कदम उठाने से बचने को कहा।”
चीन ने इससे पहले स्वास्थ्य सचिव एलेक्स अजार को ताइवान भेजने की अमेरिका की घोषणा पर गुस्से में प्रतिक्रिया व्यक्त की थी, जहां वह राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन और अन्य शीर्ष अधिकारियों से मिलने वाले हैं। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा था कि बीजिंग “अमेरिका और ताइवान के बीच आधिकारिक आदान-प्रदान” का दृढ़ता से विरोध करता है और संयुक्त राज्य अमेरिका से “चीन-अमेरिका संबंधों को गंभीर रूप से खतरे में डालने से बचने के लिए और साथ ही ताइवान स्ट्रेट में शांति व स्थिरता से बचने के लिए कहा है।”
चीन ताइवान का दावा करता है कि वह 1949 से मुख्य भूमि से अलग एक शासित प्रांत के रूप में शासन कर रहा है।
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