विराट कोहली के मासूम हाथों ने जब बल्ला थामा था तब किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि एक दिन ये देश की ताकत बनेगा. ऐसी ताकत जिसके सामने सब घुटने टेक देंगे. ऐसी ताकत जो नए हिंदुस्तान की ज़िम्मेदारी अपने कंधों पर उठाएगा और देश का शान दुनिया में बढ़ाएगा.
दरअसल विराट कोहली ने बचपन में जिस दिन खिलौना त्याग बल्ला पकड़ा, फिर बल्ले के साथ ऐसी जोड़ी जमी कि उस बल्ले ने आज कोहली को शोहरत की बुलंदियों पर पहुंचा दिया है.
5 नवंबर 1988 को प्रेम कोहली के आंगन में एक बार फिर से खुशियों के गीत गुनगुनाए जा रहे थे. हर तरफ बधाई देने वालों का तांता था. किसी को अंदाजा भी नहीं था कि प्रेम कोहली के घर जिस बच्चे ने जन्म लिया है वो आगे चलकर क्रिकेट की दुनिया में नया इतिहास लिखेगा. इसके नाम का दुनिया में डंका बजेगा.
विराट के स्वभाव के उलट प्रेम कोहली का परिवार बेहद ही साधारण था. विराट के पिता प्रेम कोहली पेशे से क्रिमिनल लॉयर थे और मां का पूरा दिन घर में बच्चों के बीच ही बीतता था. विराट अपने घर में सबसे छोटे हैं. भाई विकास और बहन भावना कोहली विराट से बड़े हैं. विराट का परिवार दूसरे परिवारों की तरह बेहद साधारण था.
क्रिकेट के मैदान में जो आज कोहली का बल्ला आग उगलता है. उस बल्ले को विराट कोहली ने छोटी उम्र में अपने हाथों में थाम लिया था. लोगों को लगने लगा था कि विराट और बल्ले का किलर कॉम्बिनेशन है और इस टैलेंट को निखारने की ज़रूरत है. दिल्ली के उत्तम नगर में रहते हुए विराट कोहली की शुरुआती पढ़ाई विशाल भारती पब्लिक स्कूल में हुई. इस स्कूल में आज भी विराट की यादें ताजा है.
स्कूल से आगे निकल कर विराट को अभी लंबा सफर तय करना था. मंज़िल जितनी दूर थी उतनी ही मुश्किल. करोड़ों युवाओं की आबादी वाले देश में विराट को अपनी अलग पहचान बनानी थी. साल 1998 में पश्चिमी दिल्ली क्रिकेट अकादमी बनी. 9 साल की उम्र में विराट ने अकादमी में शामिल हुए. पड़ोसी के कहने पर विराट के पिता ने अकादमी में विराट का एडमिशन कराया. पड़ोसी ने कहा था कि विराट की जगह गली में नहीं मैदान में है.