गणेश चतुर्थी पर: प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश की विधि विधान से करें स्थापना

गणेश चतुर्थी पर प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश की स्थापना विधि-विधान से करना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीगणेश का अवतरण हुआ। भगवान श्रीगणेश घर में विराजित हो उन दिनों घर स्वच्छ और वातावरण पवित्र होना चाहिए। श्रीगणपति की स्थापना से जुड़े कुछ नियमों को पालन करना आवश्यक है।

भगवान श्रीगणेश को घर लाने से पहले उस स्थान की साफ सफाई और सजावट कर लें जहां भगवान को विराजित करना है। भगवान श्रीगणेश के घर आगमन पर शंख बजाए और गंगाजल छिड़कें। विराजमान करने के लिए चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। दूर्वा और पान के पत्ते को गंगाजल में डुबोकर गणपति को स्नान कराएं। बप्पा को पीले रंग के वस्त्र पहनाएं। भगवान श्रीगणेश की मूर्ति के पास चांदी या तांबे का कलश पानी से भरा हुआ रखें। कलश पर मौली बांधें। मान्यता है कि भगवान श्रीगणेश का जन्म मध्याह्न काल में हुआ था, ऐसे में गणपति की स्थापना भी मध्याह्न में की जाती है। भगवान श्रीगणेश के साथ उनकी पत्नी रिद्धि-सिद्धि एवं पुत्र शुभ और लाभ की भी पूजा करनी चाहिए। भगवान श्रीगणेश की पीठ के दर्शन कभी नहीं करने चाहिए। भगवान श्रीगणेश जी को तुलसी अर्पित नहीं करनी चाहिए। भगवान श्रीगणेश के सामने अखंड ज्योति विसर्जन वाले दिन तक प्रज्जवलित रखनी चाहिए। गणेश चतुर्थी को चंद्र दर्शन नहीं किए जाते हैं। भगवान श्रीगणेश की स्थापना पूर्व दिशा और उत्तर पूर्व दिशा में करना शुभ माना जाता है। भगवान श्रीगणेश की एक साथ दो मूर्ति नहीं रखें। भगवान श्रीगणेश की मूर्ति की सूंड बाईं ओर होनी चाहिए

गणेश भगवान की पूजा विधि 
बुधवार के दिन प्रातः काल स्नान ध्यान आदि से शुद्ध होकर सर्व प्रथम ताम्र पत्र के श्रीगणेश प्रतिमा या यन्त्र को साफ मिट्टी, नमक, निम्बू से अच्छे से साफ करें। पूजा स्थल पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख कर के आसान पर विराजमान हो कर सामने श्रीगणेश प्रतिमा या यन्त्र की स्थापना करें।

शुद्ध आसन पर बैठकर सभी पूजन सामग्री को एकत्रित कर जैसे पुष्प, धूप, दीप, कपूर, रोली, मौली लाल, चंदन, मोदक आदि गणेश भगवान को समर्पित कर, इनकी आरती करें। अंत में भगवान गणेश जी का स्मरण कर ॐ गं गणपतये नमः का 108 नाम मंत्र का जाप करना चाहिए। बुधवार को यहां बताए जा रहे ये छोटे-छोटे उपाय करने से व्यक्ति को लाभ प्राप्त होता है–

बिगड़े काम बनाने के लिए बुधवार को गणेश मंत्र का स्मरण करें-

त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय।
नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।

अर्थात:- 
भगवान गणेश आप सभी बुद्धियों को देने वाले, बुद्धि को जगाने वाले और देवताओं के भी ईश्वर हैं।
आप ही सत्य और नित्य बोधस्वरूप हैं। आपको मैं सदा नमन करता हूं।
कम से कम 21 बार इस मंत्र का जप जरुर होना चाहिए।

ग्रह दोष और शत्रुओं से बचाव के लिए-
गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।
नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक:।।
धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।
गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम्।।

इसमें भगवान गणेश जी के बारह नामों का स्मरण किया गया है।
इन नामों का जप अगर मंदिर में बैठकर किया जाए तो यह उत्तम बताया जाता है।
जब पूरी पूजा विधि हो जाए तो कम से कम 11 बार इन नामों का उच्चारण करना शुभ होता है।

परिवार और व्यक्ति के दुःख दूर करते हैं यह सरल उपाय – 
बुधवार के दिन घर में सफेद रंग के गणपति की स्थापना करने से समस्त प्रकार की तंत्र शक्ति का नाश होता है।

धन प्राप्ति के लिए बुधवार के दिन श्रीगणेश को घी और गुड़ का भोग लगाएं।
कुछ देर बाद घी व गुड़ गाय को खिला दें। ये उपाय करने से धन संबंधी समस्या का निदान हो जाता है।

परिवार में कलह कलेश हो तो बुधवार के दिन दूर्वा के गणेश जी की प्रतिकात्मक मूर्ति बनवाएं।
इसे अपने घर के मंदिर में स्थापित करें और प्रतिदिन इसकी विधि-विधान से पूजा करें।

घर के मुख्य द्वार पर गणेशजी की प्रतिमा लगाने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
कोई भी नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश नहीं कर पाती है।

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