सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण के अवमानना मामले में सजा का ऐलान कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में प्रशांत भूषण को एक रुपए का जुर्माना ठोका है, हालांकि जुर्माना न देने पर प्रशांत भूषण का पूरा करियर दाव पर होगा.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण के अवमानना मामले में सजा का ऐलान कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में प्रशांत भूषण को एक रुपए का जुर्माना ठोका है, हालांकि जुर्माना न देने पर प्रशांत भूषण का पूरा करियर दाव पर होगा. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि प्रशांत भूषण को 15 सितंबर तक जुर्माने का भुगतान करना होगा. अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो 3 महीने की सजा होगी. इसके अलावा जुर्माना न देने की सूरत में वो तीन साल तक SC में बतौर वकील प्रैक्टिस नहीं कर पाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में जनवरी 2018 की प्रेस कॉन्फ्रेंस का हवाला दिया था. उन्होंने कहा कि जजों को प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं करनी चाहिए थी.
बता दें, फैसला पढ़ते वक़्त जस्टिस मिश्रा ने ये बात धवन की ओर से पेश की गई दलीलों का हवाला करते हुए कही. धवन का कहना था कि अगर स्टेटमेंट देना गलत है तो फिर जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस करना भी गलत है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हमने प्रशांत भूषण को पूरा मौका दिया पर उन्होंने अदालत में रखे दूसरे जवाब को जमकर पब्लिसिटी दी.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को माफी मांगने के लिए समय दिया था, लेकिन उन्होंने माफी मांगने से इंकार कर दिया था. इसके बाद 25 अगस्त को सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण के वकील राजीव धवन ने पीठ से भूषण को सजा नहीं देने का आग्रह किया था. पिछली सुनवाई पर जस्टिस मिश्र की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने भूषण से कहा था कि आखिर वह क्यों माफी नहीं मांग सकते. माफी शब्द बोलने में उन्हें दिक्कत क्या है.
इसके बाद मंगलवार को प्रशांत भूषण की सज़ा पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना के मामले में प्रशांत भूषण को सजा सुनाने के मुद्दे पर अटार्नी जनरल से उनकी राय मांगी थी. जिस पर अटारनी जनरल ने कहा कि भूषण का ट्वीट यह बताने के लिए था कि ज्यूडिशरी को अपने अंदर सुधार लाने की जरूरत है, इसलिए चेतावनी देकर भूषण को छोड़ देना चाहिए. पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भूषण ने सोमवार को कोर्ट में जो अपना बयान दाखिल किया है उसमें उम्मीद थी कि अपने रवैये में भूषण कुछ सुधार करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं है.
दो ट्वीट को एससी ने माना अदालत की अवमानना
गौरतलब है कि 20 अगस्त को प्रशांत भूषण अवमानना मामले में शीर्ष अदालत ने सजा पर सुनवाई टाल दी थी. कोर्ट ने उनको अपने लिखित बयान पर फिर से विचार करने को कहा था और उन्हें इसके लिए दो दिन समय भी दिया था. भूषण ने 29 जून को एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की एक तस्वीर पोस्ट की थी, जिसमें वह एक महंगी बाइक पर बैठे थे. उन्होंने तस्वीर के साथ आपत्तिजनक टिप्पणी भी की थी. उसके बाद दूसरे ट्वीट में उन्होंने देश के हालात को लेकर पिछले चार प्रधान न्यायाधीशों की भूमिका पर सवाल उठाए थे. भूषण के खिलाफ अवमानना का एक और मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.
Jharkhand: Preparations to ensure #COVID19 protocols underway, at an exam centre in Ranchi, for the Joint Entrance Exam (JEE) Main 2020 examination to be held from 1st to 6th September pic.twitter.com/14zBMlTyjE
— ANI (@ANI) August 31, 2020
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