भारत समेत दूसरे देशों में कहां तक पहुंची कोरोना वैक्सीन

नई दिल्ली: कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच दुनियाभर में कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) को लेकर इंतजार हो रहा है। इस बीच रूस ने कहा है कि उसे 15 अक्टूबर को दूसरा COVID-19 वैक्सीन रजिस्टर करने की उम्मीद है। टीके के डवलपर का कहना है कि रूस को 15 अक्टूबर को COVID-19 के खिलाफ दूसरा संभावित टीका दर्ज करने की उम्मीद है। वैक्सीन को साइबेरिया के वेक्टर इंस्टीट्यूट द्वारा विकसित किया गया है, जिसने पिछले महीने वैक्सीन के शुरुआती चरण के मानव परीक्षण या ह्यूमन ट्रायल को पूरा किया है।

वहीं चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन वैश्विक ‘कोवेक्स’ कार्यक्रम के माध्यम से कोरोनवायरस के टीके की 1 प्रतिशत आबादी के लिए खरीद करेगा। इस कार्यक्रम में चीन की भागीदारी सीधे तौर पर सामने आई है। मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने एक समाचार ब्रीफिंग में बताया कि वह इसमें दूसरे देशों को मदद करेगा। चीन ने शुक्रवार को कहा कि वह विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सहयोग से वैश्विक COVID-19 वैक्सीन पहल में शामिल हो गया है।

दूसरी ओर अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना इंक ने कहा है कि वह अपने प्रायोगिक COVID-19 वैक्सीन से संबंधित पेटेंट को लागू नहीं करेगा। इसका अर्थ यह है कि उसकी रिसर्च का इस्तेमाल दूसरी कंपनियां कर सकेंगी। यह एक ऐसा कदम होगा, जिससे अन्य दवा निर्माताओं को कंपनी की तकनीक का उपयोग करके कोरोना वैक्सीन विकसित करने में मदद मिलेगी। कंपनी ने एक बयान में कहा कि मॉडर्ना अपनी वैक्सीन तकनीक के लिए अपने पेटेंट का दावा नहीं कर रही है और अपने प्रायोगिक कोरोनावायरस वैक्सीन के पीछे तकनीक को लाइसेंस देने के लिए तैयार है।

बात की जाए भारत की तो, भारत के ड्रग रेगुलेटर ने रूस के स्पुतनिक-वी COVID-19 वैक्सीन का मूल्यांकन करने के लिए देश में एक बड़ा अध्ययन करने को डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज लिमिटेड के एक प्रस्ताव को फिर से हां कहा है। इसे पहले छोटे परीक्षण में वैक्सीन का परीक्षण करने के लिए कहा है। केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के एक विशेषज्ञ पैनल की सिफारिशों ने उल्लेख किया कि विदेशों में आयोजित किए जा रहे प्रारंभिक चरण के अध्ययनों से सुरक्षा का डेटा कम मिला है, इसमें भी भारतीय प्रतिभागियों पर कोई इनपुट उपलब्ध नहीं है।

अच्छी खबर यह भी है कि भारत में चल रही कोरोना वैक्सीन को किसी भी प्रकार के नकारात्मक नतीजे सामने नहीं आए हैं। भारत में कोरोना वायरस की तीन वैक्‍सीन का इंसानों पर ट्रायल हो रहा है। इनमें से एक विदेशी वैक्‍सीन है जिसे ऑक्‍सफर्ड यूनिवर्सिटी और फार्मा कंपनी अस्‍त्राजेनेका के रिसर्चर्स ने डवलप किया है। सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने अस्‍त्राजेनेका से इस वैक्‍सीन के ट्रायल और मैनुफैक्‍चरिंग की डील की है। यह वैक्‍सीन ‘कोविशील्‍ड’ नाम से उपलब्‍ध होगी। फिलहाल इसका भारत में फेज 2 ट्रायल चल रहा है। चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर में 53 वॉलंटियर्स पर वैक्‍सीन का डबल ब्‍लाइंड, रैंडमाइज्‍ड ट्रायल हो रहा है। पहला डोज लगने के हफ्ते भर बाद तक, वॉलंटियर्स में किसी तरह के साइड इफेक्‍ट्स नहीं देखे गए हैं। यहां पर वैक्‍सीन के फेज 2 और 3 ट्रायल में 300 वॉलंटियर्स हिस्‍सा लेंगे।

इधर, हॉन्‍गकॉन्‍ग में नाक के जरिए दी जाने वाली एक वैक्‍सीन का ट्रायल शुरू होने वाला है। यह एक डबल वैक्‍सीन होगी जिसे कोविड-19 के अलावा इनफ्लुएंजा के खिलाफ भी इस्‍तेमाल किया जा सकेगा। यह पहले से मौजूद इनफ्लुएंजा की वैक्‍सीन जैसी है जिसे नाक में काम करने के लिए बनाया गया है, वायरस यहीं से शरीर में दाखिल होते हैं।

इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैक्सीन के बारे में भी अच्छी खबर दी है। डब्ल्यूएचओ के अध्यक्ष टेड्रोस अदनोम गेब्रियास ने कहा कि एक सुरक्षित और प्रभावी टीका इस साल के अंत में तैयार हो सकता है। डब्ल्यूएचओ अध्यक्ष ने सभी विश्व नेताओं से टीकों के समान वितरण को सुनिश्चित करने का भी आह्वान किया।

टेड्रोस ने डब्ल्यूएचओ के कार्यकारी बोर्ड की बैठक में बताया, “हमें इस साल के अंत तक वैक्सीन की जरूरत है और हमें उम्मीद है। हम एक-दूसरे की जरूरत है और हमें वायरस से लड़ने के लिए ऊर्जा के साथ लड़ने की जरूरत है। 9 प्रयोगात्मक टीके अभी डब्ल्यूएचओ के नेतृत्व वाले कोवेक्स ग्लोबल वैक्सीन फैसिलिटी में पाइपलाइन में हैं।”

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