महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ने अनलॉक-5 में बुधवार को बिगन अगेन (Begin Again) दिशानिर्देशों के तहत सावधानी के साथ मेट्रो रेल को 15 अक्टूबर (कल) से शुरू करने की अनुमति दे दी है। आपको बता दें कि महाराष्ट्र में कोरोना लॉकडाउन के दौरान बंद किए धार्मिक स्थलों को दोबारा खोलने की मांग को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है और अनलॉक-5 में उन्हें खोलने पर कोई फैसला नहीं लिया गया हैद्लध
Govt and private libraries will be allowed to be open, weekly Bazaars can run, business to Business exhibitions also permitted as part of Maharashtra government's fresh 'Begin Again' guidelines. #COVID19 https://t.co/qRpUt6JNd6
— ANI (@ANI) October 14, 2020
महाराष्ट्र सरकार के बिगन अगेन दिशानिर्देशों के तहत सरकारी और निजी पुस्तकालयों को खोलने की अनुमति भी दी जाएगी, साप्ताहिक बाज़ारों को चलाया जा सकता है और व्यापार प्रदर्शनियों को भी अनुमति दी गई है। वहीं राज्य सरकार के हाल के फैसले पर मंदिरों को खोलने को लेकर कोई आदेश नहीं दिया गया है।
मुख्यमंत्री और राज्यपल के बीच वार-पलटवार
राज्यपाल और मुख्यमंत्री में पत्रों के माध्यम से वार-पलटवार हुआ। राज्यपाल के पत्र से मामला हिंदुत्व और धर्मनिरपेक्षता तक पहुंच गया है। पत्र की भाषा को लेकर शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने आपत्ति जताई है। उधर, मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने मंदिर खोलने की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ कई जगह प्रदर्शन किए हैं। दरअसल, महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सोमवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक पत्र लिखा था।
कोश्यारी ने पत्र में सभी बार, पब, रेस्टोरेंट खोले गए हैं, लेकिन मंदिर बंद है। सभी सावधानियों के साथ धार्मिक स्थलों को खोलने को कहा है। राज्यपाल ने पत्र में लिखा है कि आप हमेशा ही हिंदुत्व की आवाज रहे हैं। आपने मुख्यमंत्री बनने के बाद अयोध्या में राम मंदिर जाकर अपनी श्रद्धा का परिचय दिया था। क्या आप अचानक से खुद भी ‘सेक्युलर’ हो गए है, वह एक शब्द जिससे आप घृणा करते थे। इस पत्र के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी पलटवार करते हुए मंगलवार को जवाबी पत्र लिखा और राज्यपाल को संविधान की नसीहत दी।
हिंदुत्व पर आपके सार्टिफिकेट की जरूरत नहीं : ठाकरे
पत्र का जवाब देते हुए उद्धव ठाकरे ने लिखा, मेरे हिंदुत्व को आपके प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं है… क्या आप अचानक से खुद भी ‘सेक्युलर’ हो गए हैं, आपको ऐसा सवाल क्यों पूछना है? क्या यह आपको स्वीकार्य नहीं है? ठाकरे ने कहा, क्या धर्मनिरपेक्षता संविधान का अहम हिस्सा नहीं है, जिसके नाम पर आपने राज्यपाल बनते समय शपथ ग्रहण की थी। उन्होंने कहा, लोगों की भावनाओं और आस्थाओं को ध्यान में रखने के साथ साथ, उनके जीवन की रक्षा करना भी अहम है। ठाकरे ने कहा कि यह संयोग है कि आपने जिन तीन पत्रों का जिक्र किया है, वे भाजपा पदाधिकारियों और समर्थकों के हैं। हालांकि, ठाकरे ने कहा कि राज्य सरकार इन स्थलों को पुन: खोलने के अनुरोध पर विचार करेगी।
शरद पवार ने प्रधानमंत्री को मोदी को चिट्ठी लिखी :
महाराष्ट्र सरकार में सहयोगी पार्टी एनसीपी के प्रमुख शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर राज्यपाल के बयान पर संज्ञान लेने के लिए कहा है। पवार ने कहा कि वह राज्यपाल पत्र की ‘असंयमित भाषा’ से स्तब्ध हैं। यह संवैधानिक पद पर बैठे लोगों के लिए अच्छा नहीं है। मुझे उम्मीद है कि प्रधानमंत्री ने राज्यपाल की भाषा को देखा होगा।
केंद्र सरकार ने जून में दी थी सशर्त अनुमति :
– कोरोना के लक्षण नहीं हो, हाथ-पैर साबुन से धोना, मास्क और थर्मल जांच जरूरी
– सावधानी के साथ सामुदायिक रसोई, लंगर, अन्नदान आदि की छूट
– सामूहिक प्रार्थना और गायन पर रोक, रिकॉर्डेड भजन बजाने की छूट
– कतार में छह फीट की दूरी जरूरी, परिसर में थूकने पर भी पाबंदी
– गर्भवती महिलाओं और 65 साल से अधिक उम्र के लोगों का प्रवेश वर्जित
– हाथों से प्रसाद या जल देने, घंटी बजाने और मूर्ति छूने की मनाही
पहले कितनी कम लड़कियां पढ़ पाती थी। हमने सर्वे किया था, पूरे बिहार में 9 वीं कक्षा में पढ़ने वाली लड़कियों की संख्या 1,70,000 से भी कम थी। हमने काम किया और इस बार जब मैट्रिक की परीक्षा हो रही थी तो लड़कों से भी ज्यादा लड़कियां थी : बिहार CM नीतीश कुमार, मोकामा में रैली के दौरान pic.twitter.com/jWmB7XKL2f
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 14, 2020
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