दुनियाभर में फैली कोरोना महामारी के बीच आर्थिक गतिविधियों के लिए एक नई मुश्किल खड़ी हो गई है। दूसरे देशों में कंटेनर फंसने के चलते देश के तमाम पोर्ट्स पर निर्यात के लिए जरूरी कंटेनरों की भारी कमी हो गई है। इसके चलते एक्पोर्टरों को न सिर्फ कंटेनर बुकिंग के लिए करीब दोगुना किराया देना पड़ रहा है बल्कि समय पर खरीदार को कंसाइनमेंट की डिलीवरी कर पाना भी मुश्किल होता जा रहा है।
यह हालात देश के कई समुद्री, हवाई सभी पोर्ट्स पर बन गए हैं। कारोबारियों के मुताबिक पहले चीन से बड़े पैमाने पर समान का इम्पोर्ट हुआ करता था लेकिन बदले हालात में वहां से सामान नहीं आ रहा है। इसकी वजह से पर बड़े पैमाने पर कंटेनर फंसे हुए हैं। चीन से देश में शिपमेंट की डिलीवरी के बाद खाली कंटेनरों का इस्तेमाल निर्यात के लिए किया जाता था लेकिन अब चीन से सिर्फ जरूरी चीजों के ही शिपमेंट आते हैं। ऐसे में शिपिंग और लॉजिस्टिक्स कंपनियों को भारत से सामान निर्यात करने के लिए खासतौर पर खाली कंटेनर विदेशों से मंगाने पड़ रहे हैं। यही खर्चा कंपनियां निर्यात से वसूल रही है जिससे एक्सपोर्ट की लागत बढ़ गई है। यही नहीं कंटेनर की पहले जैसी उपलब्धता न होने से माल पोर्ट पर भी ज्यादा फंसा रहता है।
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशंस यानी फीयो के सदस्य टी एस अहलूवालिया के मुताबिक भारत से नजदीकी देशों के लिए ये किराया दो गुना हो गया है वहीं अमेरिकी और यूरोपीय देशों में माल भेजने के लिए इसमें 25 से 40 फीसदी की बढ़त देखी जा रही है। निर्याताकों का ये भी आरोप है कि मौजूदा संकट के समय विदेशी शिपिंग और लॉजिस्टिक्स कंपनियां कार्टेल बना कर काम कर रही है। ऐसे में उनकी सरकार से मांग है कि वो आगे बढ़कर निर्यात की इस मुश्किल को दूर करने के लिए दखल दे और निर्यात की रफ्तार बढ़ाने के लिए कदम उठाए।
गुजरात: कोरोना महामारी के बीच लंबे समय तक बंद रहने के बाद गिर राष्ट्रीय उद्यान आज से लोगों के लिए खुल गया। pic.twitter.com/YFKj7Ui2gH
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 16, 2020
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