सुबह-सुबह कैसा आहार लेना सेहतमंद होता है?

स्वस्थ तन-मन के लिए पोषण से भरपूर खाना खाना जरूरी है तो यह भी खयाल रखना जरूरी है कि कब, कैसे और कौन-सा खाना लें कि उसका पोषक तत्व शरीर को पूरी तरह …

स्वस्थ तन-मन के लिए पोषण से भरपूर खाना खाना जरूरी है तो यह भी खयाल रखना जरूरी है कि कब, कैसे और कौन-सा खाना लें कि उसका पोषक तत्व शरीर को पूरी तरह मिल सके। ब्रेकफस्ट, स्नैकिंग, लंच और डिनर के हेल्दी ऑप्शंस क्या हैं? यह जानने के लिए देश की 5 टॉप डायटिशंस से संडे एनबीटी टीम ने विस्तार से बात की। लोकेश के. भारती दे रहे हैं इसी की जानकारी:

सुबह-सवेरे उठना: वैसे तो उठने का सही समय सुबह 5 से 6 बजे का है, लेकिन यह हमारे काम के घंटों पर भी काफी हद निर्भर करता है। मतलब यह कि अगर कोई देर रात तक काम करता है या जगता है तो उसके उठने का समय अलग हो सकता है, यानी वह 7 या 8 बजे भी उठ सकता है। अहम बात यह है कि 6 से 8 घंटे की नींद पूरी होनी चाहिए।

1. मॉर्निंग ड्रिंक

बेहतर तो यह है कि सुबह उठकर शुरुआत एक गिलास सादे पानी से करें, लेकिन बहुत-से लोगों को बेड टी या कॉफी की तलब होती है। इन्हें लेने में परेशानी नहीं, बशर्ते कि डायबीटीज, किडनी या बीपी जैसी समस्या न हो।

कई लोग चाय के साथ बिस्किट लेते हैं। उनका तर्क होता है कि खाली पेट चाय पीने से अच्छा है कि कुछ खाकर पिएं, लेकिन ज्यादातर बिस्किट जंक फूड ही होते हैं। बिस्किट की जगह ड्राई फ्रूट्स, मखाने आदि ले सकते हैं।

सुबह के लिए ये ऑप्शंस हैं ज्यादा अच्छे (ले सकते हैं 1 से 2 गिलास):

1. नॉर्मल पानी

2. नीबू-पानी (1 गिलास नॉर्मल या गुनगुने पानी में आधा नीबू)

3. नीबू-पानी और शहद या गुड़ (1 गिलास नॉर्मल या गुनगुने पानी में आधा नीबू, एक चम्मच यानी 5 एमएल शहद या 5 से 10 ग्राम गुड़ )

4. एक गिलास (गुनगुने) पानी में आधा नीबू और 1 इंच अदरक को बारीक करके या उसका रस निकालकर

5. शरीर को स्वस्थ रखने के लिए डिटॉक्स वॉटर से दिन की शुरुआत करना फायदेमंद है। यह शरीर से हानिकारक तत्वों को बाहर निकालता है। इसके लिए रात में शीशे के जग में पानी भरकर उसमें नीबू के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर डाल दें। सुबह एक लीटर बोतल में उसे भर लें और दिन भर पिएं।

6. वैसे इसका टेस्ट उतना अच्छा नहीं होता, लेकिन शरीर को डिटॉक्स करने के लिए पानी और हल्दी का कॉम्बिनेशन शानदार है। पहले एक गिलास पानी को उबाल लें, फिर उसमें एक चम्मच हल्दी (पाउडर) या कच्ची हल्दी बारीक कटी हुई 5 से 10 ग्राम डालकर 1 से 2 मिनट के लिए उबाल लें। फिर छानकर हल्का गुनगुना पी लें। दरअसल, हल्दी में करक्यूमिन (Curcumin) होता है, जो शरीर को डिटॉक्स करने में काफी मददगार है।

7. एक गिलास लस्सी या छाछ भी पी सकते हैं।

8. ग्रीन टी भी एक अच्छा ऑप्शन है।

9. स्टेनलेस स्टील को छोड़कर किसी दूसरी मेटल के बर्तन में कभी भी नीबू वाला पानी स्टोर न करें।

नोट:

-दिनभर में 2.5 लीटर पानी यानी 8 से 10 गिलास पानी पर्याप्त है। यहां यह ध्यान रखें कि इसमें जूस, छाछ जैसी चीजें भी शामिल होती हैं।

– कोई भी ड्रिंक उतना ही लें, जितनी इच्छा हो। जबर्दस्ती कुछ भी न पिएं।

एक्सरसाइज भी शरीर का भोजन

आप कुछ भी खा लें, कितना भी बढ़िया पौष्टिक भोजन कर लें, अगर रेग्युलर एक्सरसाइज और वॉक नहीं करेंगे तो खाना पूरी तरह पचाने में शरीर सक्षम नहीं होगा। इसलिए हफ्ते में कम-से-कम 5 दिन रोजाना 45 से 60 मिनट एक्सरसाइज जरूर करें यानी हफ्ते में औसतन 180 मिनट वॉक करना पर्याप्त रहता है। इससे ज्यादा कर सकें तो और भी अच्छा। एक्सरसाइज सुबह हो तो बेहतर, नहीं तो जब भी फुर्सत मिले, बस ध्यान यह रखना है कि खाने और एक्सरसाइज में कम से कम एक से डेढ़ घंटे का फर्क जरूर हो। इसका फायदा भोजन के पाचन में होता है। एक्सरसाइज से शरीर में मौजूद एंजाइम और हॉर्मोन्स काफी ऐक्टिव रहते हैं।

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BOX

सब्जी धोने का सही तरीका

-सब्जी पकाने या स्टोर करने से पहले उसे अच्छे से धो लें। सब्जियों को धोने के लिए 4 से 5 लीटर ( लगभग आधी बाल्टी) पानी में 1 चम्मच नमक या विनेगर या बेकिंग सोडा (खाने वाले सोडा) मिलाएं। सब्जियों को इस पानी में करीब 10 मिनट तक रहने दें और फिर पीने लायक पानी से धो दें। इससे सब्जी के बाहरी सतह पर मौजूद पेस्टिसाइड, कीड़े-मकौड़े और उसके लार्वा आदि हट जाते हैं। हालांकि सब्जी के अंदर जज्ब हो गए केमिकल को यह नहीं निकाल पाता।

कुकिंग का सही तरीका

– सब्जियों के टुकड़े बड़े होने चाहिए ताकि उसे पकाने पर कम मात्रा में पोषक तत्व नष्ट हो।

– कुकिंग बहुत ज्यादा नहीं होनी चाहिए। जितने से काम चल जाए, उतना ही पकाएं।

– अगर कुकिंग स्टेनलेस स्टील के बर्तनों में हो तो ज्यादा बेहतर है।

– सब्जियां ज्यादातर भाप में या प्रेशर कुकर में पकाएं।

– जहां तक तेल की बात है तो कच्ची घानी सरसों तेल या राइस ब्रैन ऑयल (इसमें ओमेगा थ्री मौजूद होता है, जो काफी फायदेमंद है।) का उपयोग करें। तेल की मात्रा कम ही रखें। रिफाइंड ऑयल का इस्तेमाल सही नहीं है।

– एक बार गर्म हो चुके तेल का दोबारा इस्तेमाल करना नुकसानदेह है। ऐसे में तेल में हानिकारक केमिकल की मात्रा बढ़ जाती है और यह हेल्थ के लिए सही नहीं होता।

– खाना खाने के फौरन बाद फल न खाएं। खाने से कम से कम एक से डेढ़ घंटे बाद ही खाएं या फिर खाने से 1 या डेढ़ घंटा पहले।

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2. ब्रेकफस्ट

ब्रेकफस्ट की टाइमिंग हमारे सुबह उठने के समय पर निर्भर करती है। अमूमन हम 8 से 10 बजे के बीच में ब्रेकफस्ट करते हैं। वैसे इसके लिए सबसे बेहतर टाइम 9 बजे हो सकता है।

अमूमन हम क्या खाते हैं?

– ब्रेड-बटर, ब्रेड ऑमलेट, रोटी-सब्जी-दाल, ऑमलेट, पैक्ड जूस खाते हैं।

– कुछ सिर्फ फल खाते हैं। कुछ सुबह दूध पी लेते हैं।

नोट:

– यहां ध्यान देने वाली बात है कि नाश्ते में हमारा जोर ब्रेड और आटे की बनी रोटी पर रहता है। लेकिन इनमें सिर्फ एक अनाज या फिर मैदा मिला होता है। इसलिए ये चीजें सेहत के लिए बहुत अच्छी नहीं हैं।

-अगर ऑमलेट की जगह उबले अंडे हों तो बेहतर है।

– अगर दूध आसानी से न पचता हो तो सुबह में दूध न पिएं।

– पैक्ड जूस का ऑप्शन अच्छा नहीं है। इसकी जगह पर ताजा फल खाएं या फिर फल का ताजा जूस पिएं।

ब्रेकफस्ट के लिए ये ऑप्शंस है ज्यादा अच्छे:

स्प्राउट्स (प्रोटीन + मिनरल्स)+ मिक्स्ड ग्रेन्स (कार्बोहाइड्रेट+प्रोटीन)/चावल का आटा + हरी सब्जियां (विटामिन+मिनरल्स)+ सलाद + अंडा/दही/दूध (एनिमल प्रोटीन)

अनाज में क्या?

-सिंगल ग्रेन (एक अनाज) की जगह मिक्स्ड ग्रेन (मिश्रित अनाज) का ऑप्शन बेहतर रहता है। मसलन, गेहूं के साथ, ज्वार, बाजरा, रागी या मक्का को मिला सकते हैं। हां, इनमें प्रोटीन का कोई एक सोर्स जरूर होना चाहिए, मसलन: काला चना, मटर आदि।

– यहां इस बात को भी ध्यान दें कि बाजरा की तासीर गर्म होती है, इसलिए इसे गर्मी में न खाएं तो बेहतर है।

– बेहतर होगा कि खुद से मल्टिग्रेन आटा तैयार करवाएं। इसमें अनाज और दाल का अनुपात 4:1 का हो।

– इसे ऐसे समझ सकते हैं कि 10 किलोग्राम आटा तैयार करने के लिए 8 किलोग्राम अनाज और 2 किलोग्राम दाल को मिलाकर पिसवाएं। दाल में छिलका हो तो बेहतर।

– नए शोध में से पता चलता है कि गेहूं या दूसरे अनाजों में ग्लूटेन नाम का प्रोटीन मौजूद होता है जो कई लोगों की पाचन क्रिया में रुकावट पैदा करता है। जिन्हें ग्लूटेन को पचाने में समस्या होती है, उनमें इसके लक्षण भी उभरकर सामने आते हैं। मसलन: पोषण तत्वों से भरपूर खाना खाने के बाद भी वजन कम रहना, पेट में गैस और दर्द की शिकायत लगातार रहना, बच्चों की ग्रोथ कम रहना, चिड़चिड़ापन रहना आदि। यहां यह भी जान लें कि ऐसे लक्षण दूसरी बीमारियों के भी हो सकते हैं। यहां यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि ऐसी समस्याएं 10 में से अमूमन 1 शख्स में हो सकती है। इसलिए किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले डायटिशन या डॉक्टर से जरूर मिल लें। ध्यान रखें कि गेहूं, मक्का, जौ आदि में ग्लूटेन मौजूद होता है, जबकि चावल, दालें आदि में ग्लूटेन नहीं होता।

क्या खाना रहेगा बेहतर

– इडली, डोसा, चिला (बेसन या मूंग दाल)/ रोटी+ हरी सब्जी। तुअर दाल, लौकी, सीताफल, करी पत्ता आदि से सांभर तैयार कर सकते हैं। इनके अलावा पालक, लौकी, भिंडी आदि को मिलाकर सब्जी बना सकते हैं।

ब्रेकफस्ट की थाली:

-2 इडली/1 डोसा/ 1 या 2 चिला/ 2 से 3 रोटी + 1 से 2 कटोरी हरी सब्जी +1 कटोरी दही/ 1 गिलास दूध (150 से 200 एमएल)/2 उबले अंडे + 300 से 400 ग्राम सलाद (खीरा, टमाटर, गाजर, मूली, नीबू आदि)

दूसरा ऑप्शन

चना सत्तू का शेक: 1 गिलास नॉर्मल या हल्का ठंडा पानी+ 2 बड़ा चम्मच चना सत्तू+आधे नीबू का रस+जीरा पाउडर (एक चुटकी)+आधा या एक टमाटर बारीक कटा हुआ+हरा धनिया पत्ता (2 या 3)+आधा या एक हरी मिर्च (ऐच्छिक) और एक चुटकी काला या सेंधा नमक। इन सभी को चम्मच से घोल लें। ब्रेकफस्ट में 1 या 2 गिलास सत्तू शेक पी लें। यह पाचन और प्रोटीन के लिहाज से बढ़िया है।

या

मीठा चना सत्तू का शेक: 1 गिलास नॉर्मल या हल्का ठंडा पानी+ 2 बड़ा चम्मच चना सत्तू + गुड़ या खांड या मिश्री का पाउडर लगभग 2 बड़ा चम्मच (15 से 20 ग्राम) को चम्मच से मिला लें। आप इनमें चाहें तो स्वाद के अनुसार दही भी मिला सकते हैं।

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3. स्नैकिंग

स्नैकिंग को लोग अमूमन भूल जाते हैं। जो भी मिल जाए, खा लेते हैं। गलत स्नैकिंग से शरीर को नुकसान होता है। सुबह 11 से 11:30 का समय स्नैकिंग के लिए सही है। स्नैकिंग में प्रोटीन की मात्रा ज्यादा और कार्बोहाइड्रेट व फैट की मात्रा कम से कम रखें।

अमूमन हम क्या लेते हैं?

मार्केट में उपलब्ध कुकीज, पैक्ड और ऑयल में फ्राई की हुई दालें, चिप्स आदि। ये ऑप्शन हेल्दी नहीं हैं।

क्या हैं हेल्दी ऑप्शन?

-मौसमी फल (100 से 150 ग्राम) खा सकते हैं। मसलन आजकल सेब, अमरूद आदि उपलब्ध हैं। छोटे सेब या अमरूद 2 से 3 लें और साइज ठीकठाक हो तो एक ही काफी है।

– 150 से 200 ग्राम सलाद खा सकते हैं। सलाद में जिन फल और सब्जियों का उपयोग कर रहे हैं, उन्हें ऊपर बताए हुए तरीकों से ही धोएं।

-स्प्राउट्स

– 15 से 25 ग्राम रोस्टेड मखाना (लगभग एक कटोरी)

– पोहा (एक कटोरी)

-नट्स (मूंगफली 20 से 25 ग्राम या अखरोट 4 से 5 ग्राम या बादाम 10 से 15 पीस या रोस्टेड चना 50 ग्राम) भी ले सकते हैं।

अगर इनमें से कोई भी पसंद न हों तो…

– दही/लस्सी/छाछ (आधा से एक गिलास यानी 100 से 150 एमएल) ले सकते हैं।

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लंच (1 से 2 बजे के बीच, एक समय निश्चित कर लें)

क्या है बेहतर: सलाद, अनाज, दाल, हरी सब्जी, दही।

कैसी हो लंच की थाली: पूरी थाली में आधी जगह सलाद को मिले, इसमें दही को भी शामिल करें। इसके अलावा एक चौथाई दाल और सब्जी और एक चौथाई अनाज का हिस्सा हो।

अनाज: इसमें मिक्स्ड ग्रेन हो तो बेहतर है। इससे बनी हुई 1 या 2 रोटी खा सकते हैं। अगर रोटी पसंद न हो तो चावल का ऑप्शन भी है।

दाल: मूंग, मसूर, अरहर आदि।

हरी सब्जी: पालक, लौकी, परवल, भिंडी आदि।

कैसी हो थाली: 300 से 400 ग्राम सलाद (1 खीरा, एक गाजर, आधी मूली, एक टमाटर, आधा नीबू) + 1 से 2 मिक्स्ड ग्रेन की रोटी/1 कटोरी चावल + 1 कटोरी दाल+ 1 कटोरी हरी सब्जी।

-ब्रेकफस्ट, लंच, डिनर का एक समय निश्चित करें। कोशिश हो कि हर दिन उसी समय पर खाएं। इससे बॉडी क्लॉक सही काम करती है।

जरूरी बात:

– लंच के लिए इस सोच से बाहर निकलें: आपको भूख कम है पर आपने अपनी प्लेट में ज्यादा खाना ले लिया है। अब आप सोचने लगते हैं कि फेकेंगे कैसे? इस सोच को बदलना होगा क्योंकि अगर आप एक रोटी भी ज्यादा खाएंगे तो यह मोटापे के लिए जिम्मेदार होगा।

– बाहर का खाना कम से कम खाएं।

– सब्जियों को स्टोर करने की सोच से बाहर निकलें। कोशिश करें कि ताजा सब्जियां ही खाएं। अगर स्टोर करना हो तो 1 से 2 दिन काफी है।

– रोजाना 50 ग्राम साग (पालक, बथुआ) जरूर खाएं।

– मौसमी सब्जियां खाना हमेशा ही फायदेमंद रहता है।

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शाम के स्नैक्स (शाम 4 से 6 बजे के बीच, एक समय निश्चित कर लें।)

-सुबह के जो स्नैकिंग के ऑप्शन हैं, उन्हें शाम के समय भी आजमाया जा सकता है। साथ ही उपमा, फ्रेश सीड्स, हल्का रोस्ट किए हुए फ्लैक्स सीड जैसी चीजें खा सकते हैं।

– बच्चों को रोज के स्नैक्स में फल, सलाद आदि दें। इसका स्वाद बढ़ाने के लिए इन पर काली मिर्च का पाउडर, नमक और नीबू छिड़क सकते हैं।

– पानी को भी मंचिंग या स्नैकिंग का जरूर हिस्सा बनाएं। पानी में नीबू का रस या थोड़ा-सा जूस मिला कर उसे बच्चों के लिहाज से रंगबिरंगा और फ्लेवर वाला बना सकते हैं।

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डिनर (8 से 9 के बीच, एक समय निश्चित कर लें।)

-यह सोने से 2 से 3 घंटे पहले होना चाहिए।

-इसे अमूमन लंच के जैसा ही रखें।

– डिनर में कोशिश यह होनी चाहिए कि जो चीजें हमने लंच में नहीं ली हैं, उन्हें डिनर में जरूर लें। मसलन: अगर हमने लंच में दाल को मिस किया है तो डिनर में दाल जरूर मौजूद हो।

– दिन में हमलोग पढ़ाई, जॉब या काम की वजह से लंच अमूमन बाहर ही करते हैं, इसलिए परिवार के सभी सदस्यों को डिनर एक ही टेबल पर साथ में करना चाहिए। यह रिश्तों और सेहत, दोनों के लिए फायदेमंद है। डिनर के समय टीवी, मोबाइल आदि बंद होने चाहिए ताकि खाने पर पूरा ध्यान जाए। साथ में डिनर करने से परिवार के सदस्यों के बीच जुड़ाव भी मजबूत होता है और दिल की बातें भी हो जाती हैं।

-लंच और ब्रेकफस्ट की अपेक्षा डिनर हल्का होना चाहिए यानी अगर लंच में हमने 2 रोटियां खाई हैं तो डिनर में इसे 1 कर दें।

– डिनर के 5 से 10 मिनट बाद टहलने के लिए जा सकते हैं।

-कभी भी खाने के फौरन बाद एक्सरसाइज न करें। दोनों के बीच में कम से कम डेढ़ से 2 घंटे का गैप जरूर हो।

नोट: अगर हमारे शरीर में अतिरिक्त 7500 कैलरी जमा हो जाए तो हमारा वजन लगभग 1 किलो बढ़ जाता है।

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डिनर के बाद और सोने से पहले

रात में दूध जरूरी है?

– यह जरूरी नहीं है, लेकिन अगर किसी को इसे पचाने में परेशानी न हो तो एक गिलास गुनगुने दूध में एक चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर पिएं। यह शरीर में सूजन को कम करता है।

रात में डिनर के बाद मीठा क्या लें?

-कई लोगों को खाना खाने के बाद कुछ मीठा खाने का मन करता है। इसके लिए गुड़, खांड (10 से 15 ग्राम) जैसी चीजें ले सकते हैं।

-मिठाई कम से कम खाएं। बेहतर होगा कि महीने में एक बार खाएं।

जब दावत में हो जाए ज्यादा भोजन

-दावत में लोग अक्सर ज्यादा खा लेते हैं।

-इससे बचने के लिए पहली कोशिश दावत में खाते समय ही होनी चाहिए। दावत में मौजूद सभी चीजों को खाने की कोशिश न करें। दरअसल, वे आपके लिए ऑप्शन के रूप में होती हैं। उनमें से कुछ को चुन सकते हैं।

– अगर कई तरह की मिठाइयां मौजूद हैं तो उनमें से एक या दो तरह की मिठाई ही खाएं, सभी नहीं।

– दावत के अगले दिन आधा दिन उपवास रखें। अगर ऐसा करना मुश्किल हो तो एक टाइम सलाद का ऑप्शन रख सकते हैं।

नोट:

– दावत हो या कोई पार्टी या फिर सामान्य दिन कोल्ड ड्रिंक पीना सेहत के लिए सही नहीं है। इनमें चीनी की काफी मात्रा मौजूद होती है। साथ ही इसमें फॉस्फोरस की मौजूदगी हड्डी के लिए खतरनाक है।

-डायट कोल्ड ड्रिंक भी सही नहीं है। इनमें आर्टिफिशल स्वीटनर का उपयोग होता है जो हानिकारक है।

– बच्चों के लिए तो यह ज्यादा खतरनाक है। बचपन में इसे ज्यादा पीने से बच्चों की हड्डियां कमजोर हो जाती है।

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जरूरी सवालों के जवाब

गट हेल्थ क्या है?

– इसे पेट की सेहत कह सकते हैं। कहा भी जाता है कि पेट सफा तो हर रोग दफा। सच तो यह है कि शरीर में बीमारी की शुरुआत गट यानी पेट से ही होती है। अगर गट हेल्थ ठीक होगी तो कई तरह की परेशानियों से बच सकते हैं।

– हमें इस बात को समझना जरूरी है कि हम क्या खा रहे हैं और क्या पचा रहे हैं, ये दोनों अलग-अलग चीजें हैं। खाने का पूरी तरह से पचना जरूरी है।

– खाने का पूरी तरह पाचन हो, इसके लिए पेट में मौजूद गुड फ्लोरा (पाचन में मदद करने वाले अच्छे बैक्टीरिया) का सही तरीके से काम करना जरूरी है। इसके लिए जरूरी है कि हम कम से कम एंटी-बायोटिक दवाओं का सेवन करें। दवाई कम से कम लें। दरअसल, इनके सही तरीके से काम न करने की वजह से भी शरीर में कई तरह की समस्याएं हो जाती हैं।

क्या जिम के लिए प्रोटीन सप्लिमेंट जरूरी है?

– किसी जिम ट्रेनर की सलाह पर सप्लिमेंट न लें। सप्लिमेंट किडनी और लिवर पर बुरा असर डालते हैं।

– डॉक्टर ने अगर सलाह दी है तो उसे ले सकते हैं।

– नेचरल प्रोटीन लेना ज्यादा अच्छा है: जैसे पनीर, दूध, अंडा का सफेद हिस्सा, मछली, चना सत्तू आदि।

कैल्शियम के लिए क्या करें?

– हरी पत्तेदार सब्जियां खाएं।

– रेग्युलर एक्सरसाइज करें।

– विटामिन डी का सेवन करें। इसके लिए 11 बजे से 1 बजे दिन के बीच धूप में 20 मिनट के लिए शरीर का 60 फीसदी हिस्सा खुला छोड़कर लेटें। इससे फायदा होगा। हालांकि कुछ एक्सपर्ट सुबह में धूप सेकने की सलाह देते हैं क्योंकि उनका मानना है कि दिन के वक्त धूप तेज होती है और इससे हानिकारक किरणें भी निकलती हैं।

नवजात सेहतमंद हो, इसके लिए क्या करें?

– बच्चों में कैल्शियम और दूसरी जरूरी चीजों की कमी को दूर करने के लिए गर्भवती महिला के पोषण पर पूरा ध्यान दें। उन्हें पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम और आयरन से भरपूर भोजन दें।

– अब तो शादी के फौरन बाद ही यानी प्रेग्नेंसी से पहले से ही लड़कियों को फॉलिक एसिड लेने की सलाह दी जाती है ताकि एनीमिया की समस्या मां और बच्चा दोनों को न हो।

क्या खाली पेट फल नहीं खाना चाहिए?

ऐसा नहीं है। खाली पेट फल खा सकते हैं, लेकिन खट्टे फल ( संतरा, नीबू आदि) खाली पेट नहीं खाना चाहिए। ये गैस पैदा कर सकते हैं। दिनभर में 4 से 5 सर्विंग फल- सब्जियां खाएं। इनमें 2 बार सलाद, 1 बार फल, 2 सब्जियां खाने से शरीर की जरूरत पूरी हो जाती है।

क्या हफ्ते में चीट डे रख सकते हैं?

– चीट डे तो नहीं, लेकिन चीट मील कर सकते हैं। हफ्ते में एक बार एक वक्त का खाना अपनी पसंद का खा सकते हैं।

क्या खाना स्वादिष्ट न हो तो भी खाएं?

– हर खाने को स्वादिष्ट बनाया जा सकता है। अगर स्वादिष्ट बनाकर नहीं खाएंगे तो जरूरत से कम खाएंगे। वैसे स्वाद और हेल्दी में से एक चुनना हो तो हेल्दी ही चुनें।

नोट: यहां पर सामान्य खाने की बात की गई है। वैसे खानपान के मामले में यह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है कि उसकी जरूरतें क्या हैं। मसलन किसी को दूध से समस्या हो सकती है, किसी को दही से। किसी को कैल्शियम की जरूरत ज्यादा होती है तो किसी को प्रोटीन की ज्यादा। इसलिए बेहतर डाइट ऑप्शन के लिए डायटिशन की सलाह ले सकते हैं।

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बॉक्स

सबसे खास बातें

-न्यूट्रिशन सही हो इसके लिए शॉपिंग सही करें। बाजार से जो आप खरीदेंगे, वहीं खाएंगे। ऐसे में फूड आइटम्स वही खरीदें जो हेल्दी और पोषक तत्वों से भरपूर हो।

-याद रखें कि फूड में डायवर्सिटी जरूरी है। हर दिन एक ही तरह का खाना न खाएं। अलग-अलग तरह की सब्जी, दाल, आटा आदि ट्राई करें।

-नियम बना लें कि बिना धोए सब्जी को फ्रिज में नहीं रखना है।

-महंगी चीजों में ही पोषण नहीं होता। सस्ती और मौसमी सब्जियां पोषण से भरी होती है।

-कई लोगों को यह बात हैरान कर सकती हैं कि महंगे बादाम से हमें लगभग वही पोषण मिलता है जो सस्ती मूंगफली से।

-ओवर कुकिंग से न्यूट्रिशन खत्म हो जाता है। इसलिए सब्जी को बहुत ज्यादा न पकाएं।

-कच्ची घानी तेल का इस्तेमाल करें। जिस भी तेल पर प्रोसेस्ड लिखा हो, वह न खरीदें। वर्जिन ऑयल सबसे बेहतर होता है।

-डिनर और सोने में दो घंटे का गैप जरूर रखें, फिर चाहें आप कभी भी डिनर करें।

-डिनर के बाद टहलना जरूरी है। इससे खाना सही से पचता है और आपको नींद भी सही आती है।

नवभारत टाइम्स

सोर्स लिंक.

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