अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की काउंटिंग बीते कई घंटों से जारी है। पिछले चुनाव की तुलना में इस बार नतीजों के आने में ज्यादा समय लग रहा है। इस बार तकरीबन 16 करोड़ मतदाताओं ने राष्ट्रपति चुनने के लिए वोट डाले हैं। लेकिन, इसमें से लगभग दस करोड़ अमेरिकी वोटर्स मेल-इन के जरिए से पहले ही वोट डाल चुके थे। रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेट्स के उम्मीदवार जो बाइडेन के बीच हो रहे मुकाबले में ज्यादा समय लगने के पीछे की वजह मेल-इन वोट्स ही हैं।
दरअसल, वोटों की गिनती शुरू हुए घंटों बीत जाने के बाद भी अभी भी ज्यादातर जगहों पर मेल-इन वोट्स की गिनती शुरू नहीं हुई है। यानी कि ज्यादातर राज्यों ने उन वोटों को गिनना ही नहीं शुरू किया है, जिन्हें तीन नवंबर को हुए मतदान से पहले डाला गया था। दस करोड़ मेल-इन वोट्स तीन नवंबर को पड़े छह करोड़ वोट्स की संख्या से कहीं अधिक है, जिसकी वजह से अमेरिकी चुनाव के नतीजों को आने में अभी और समय लग सकता है।
अमेरिका में मंगलवार को राष्ट्रपति चुनाव की वोटिंग के दौरान भी विश्लेषक यह कह रहे थे कि इस बार पहले की तुलना में कहीं अधिक समय लगेगा नतीजों के आने में। विश्लेषकों की मानें तो मेल-इन वोटों की गिनती की वजह से कुछ राज्यों में तो कुछ दिन या कई राज्यों में सप्ताह भर का भी लग सकता है।
अगर टाई हो गया मुकाबला तब क्या होगा?
अमेरिकी चुनाव में जो बाइडेन और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच अभी कांटे का मुकाबला चल रहा है। हालांकि, काउंटिंग की शुरुआत में जो बाइडेन ने जरूर काफी ज्यादा की बढ़त हासिल कर ली थी, लेकिन बाद में डोनाल्ड ट्रंप ने वापसी की और एक समय दोनों राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के बीच में इलेक्टोरल वोटों का अंतर महज 11 रह गया था। ताजा आंकड़ों की मानें तो, डोनाल्ड ट्रंप 213 इलेक्टोरल वोट्स हासिल करके जो बाइडेन के कुल 238 वोटों से पीछे हैं। ऐसे में टक्कर कांटे की है तो कई लोगों के मन में यह भी सवाल उठ रहा होगा कि अगर दोनों उम्मीदवारों को बराबर के वोट्स मिले यानी कि रिजल्ट टाई हो जाए तो फिर क्या होगा। दरअसल, अमेरिका में कुल 538 इलेक्टोरल वोट हैं, जिसमें से किसी को भी जीतने के लिए आधे से ज्यादा वोटों की जरूरत होती है। यानी कि अगर बाइडेन या फिर ट्रंप को राष्ट्रपति बनना है तो उन्हें कम से कम 270 वोट चाहिए ही होंगे। लेकिन अगर दोनों को ही 269-269 इलेक्टोरल वोट्स मिलते हैं और मुकाबला टाई हो जाता है तो ऐसे में हाउस ऑफ रिप्रेंजटेटिव (अमेरिकी संसद का निचला सदन) उप-राष्ट्रपति को चुनेगी। यहां पर राज्यों के हिसाब से वोटिंग होती है। पहले उप-राष्ट्रपति को चुना जाएगा और फिर बाद में वोटिंग के जरिए से राष्ट्रपति को चुना जाएगा।
नतीजे कुछ भी हों, भारत के अमेरिका के साथ रिश्ते रहेंगे मजबूत
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम चाहे जो भी हों, भारत के साथ अमेरिका के रणनीतिक संबंधों की वर्तमान गति बरकरार रहने की उम्मीद है। यह संकेत नीतिगत दस्तावेजों और राष्ट्रपति पद के लिए दोनों प्रत्याशियों के प्रचार के दौरान किए गए कॉमेंट्स से मिलता है। डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति के तौर पर अपने पहले कार्यकाल में व्हाइट हाउस में भारत के सबसे अच्छे दोस्त के रूप में उभरे और इस संबंध को एक नए स्तर पर ले गए। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ट्रंप की मित्रता जगजाहिर है। दोनों नेताओं की यह मित्रता उन रैलियों में दिखाई दी थी, जिन्हें उन्होंने एक वर्ष से कम समय में अमेरिका और भारत में संबोधित किया था। वहीं, बाइडेन ने पिछले जुलाई में एक फंडरेजर में कहा था कि भारत और अमेरिका स्वाभाविक साझेदार हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या भारत अमेरिका की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, उन्होंने कहा था, ”यह साझेदारी, एक रणनीतिक साझेदारी है, हमारी सुरक्षा में आवश्यक और महत्वपूर्ण है।” ऐसे में विश्लेषकों का मानना है कि दोनों देशों के बीच रिश्ते वर्तमान समय जैसे ही मजबूत रहेंगे फिर चाहे राष्ट्रपति ट्रंप बनते हैं या फिर बाइडेन।
US President #DonaldTrump races ahead of #JoeBiden with 213 electoral votes following Florida and Texas win. Biden at 210: Reuters#USElections2020
(file pic) pic.twitter.com/NGWpz0E2pd— ANI (@ANI) November 4, 2020
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