इस साल इस साल 13 नवंबर को देशभर में धनतेरस (Dhanteras 2020) का त्योहार मनाया जाएगा. इस दिन भगवान धन्वंतरि , कुबरे और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है. धनतेरस हर साल कार्तिक मास के तेरस यानि की 13वें दिन मनाया जाता है.
(Dhanteras 2020) का त्योहार मनाया जाएगा. इस दिन भगवान धन्वंतरि , कुबरे और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है. धनतेरस हर साल कार्तिक मास के तेरस यानि की 13वें दिन मनाया जाता है.
नई दिल्ली: इस साल 13 नवंबर को देशभर में धनतेरस (Dhanteras 2020) का त्योहार मनाया जाएगा. इस दिन भगवान धन्वंतरि , कुबरे और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है. धनतेरस हर साल कार्तिक मास के तेरस यानि की 13वें दिन मनाया जाता है. हिंदू पौराणिक मान्यता के अनुसार धनतेरस की तिथि पर भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था. भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है.
धनतेरस के पावन मौके पर सोना-चांदी के आभूषण और बर्तन खरीदने का नियम है, ये काफी शुभकारी माना जाता है. बहुत से लोग इस दिन नई गाड़ी और अन्य चीजें भी खरीदते हैं. अगर कोई बड़ी चीज नहीं खरीद सकता तो वो एक चम्मच भी खरीद सकता है.
धनतेरस के दिन शाम के समय में घर के बाहर एक दीपक जलाना चाहिए. हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार यम का दीपक जलाने से यमराज खुश होते हैं और अकाल मृत्यु से सुरक्षा प्रदान करते हैं.
इस दिन खरीददारी करने से घर में मां लक्ष्मी का वास होता है. इसीलिए दुकानदार हर तरह से ग्राहकों को लुभाने की कोशिश में जुटे रहते हैं. कहा जाता है कि धनतेरस का त्योहार अपने धन को तेरह गुना बनाने का दिन है.
मुहूर्त-
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ इस साल 12 नवंबर (गुरुवार) को रात 09 बजकर 30 मिनट से होगा, जो कि 13 नवंबर (शुक्रवार) को शाम 05 बजकर 59 मिनट तक है.
पूजा विधि-
धनतेरस के दिन मिट्टी का हाथी और धन्वंतरि जी की प्रतिमा या फोटो को स्थापित करें. जल का आचमन करें और फिर गणेश भगवान का ध्यान और पूजन करें. फिर हाथ में अक्षत लेकर भगवान धन्वंतरि का ध्यान करें.
पूजा के समय इस मंत्र का करें जाप
देवान कृशान सुरसंघनि पीडितांगान, दृष्ट्वा दयालुर मृतं विपरीतु कामः
पायोधि मंथन विधौ प्रकटौ भवधो, धन्वन्तरि: स भगवानवतात सदा नः
ॐ धन्वन्तरि देवाय नमः ध्यानार्थे अक्षत पुष्पाणि समर्पयामि…
इसलिए मनाया जाता है धनतेरस
शास्त्रों के मुताबिक, धनतेरस मनाने का इतिहार यह है कि समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए. मान्यता है कि भगवान धन्वंतरि विष्णु के अंशावतार हैं. संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धन्वंतरि का अवतार लिया था. भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है.
मान्यता है कि उसके बाद से ही इस दिन धन्वंतरि ऋषि और यमराज का पूजन किए जाने की प्रथा आरंभ हुई. धनतेरस के दिन घर के टूटे-फूटे बर्तनों के बदले तांबे, पीतल या चांदी के नए बर्तन तथा आभूषण खरीदना शुभ माना जाता है. कुछ लोग नई झाड़ू खरीदकर उसका पूजन करना भी इस दिन शुभ मानते हैं.
It gives me immense pleasure to address National Defence College which is the highest seat of strategic learning in our country on its Diamond Jubilee.Congratulations to Commandant & NDC staff on completing 60 yrs of dedicated service to the nation: Defence Minister Rajnath Singh pic.twitter.com/VZDwcL9BIl
— ANI (@ANI) November 5, 2020
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