नई दिल्ली| नए कृषि कानूनों से जुड़े मसलों के समाधान के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी की मंगलवार को पहली बैठक हुई। कमेटी में शामिल सदस्यों ने इस बैठक में कमेटी की कार्य-योजनाओं पर विचार-विमर्श किया। कमेटी को किसानों, किसान संगठनों व यूनियनों और अन्य हितधारकों के साथ बातचीत कर दो महीने के भीतर अपनी सिफारिशें देनी हैं। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में बताया कि नये कृषि कानूनों पर हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी के सदस्यों की मंगलवार को पहली बैठक हुई।
पक्ष और विपक्ष के साथ राज्य सरकारों के साथ होगी बात
कमेटी में बतौर सदस्य शामिल कृषि लागत और मूल्य आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अशोक गुलाटी, शेतकरी संगठन के प्रेसीडेंट अनिल घनवट और इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट के पूर्व डायरेक्टर (साउथ एशिया) डॉ. प्रमोद जोशी ने बैठक में हिस्सा लिया। बैठक के बाद संवादताओं से बातचीत में अनिल घनवट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार, कमेटी नए काननूों के पक्षधर और विरोधी दोनों किसानों और किसान संगठनों से बातचीत करेगी। उन्होंने बताया कि कमेटी राज्य सरकारों, राज्य विपणन बोर्ड और अन्य हितधारकों से बातचीत करेगी, जिनमें किसान उत्पादक संगठन और सहकारी संगठन आदि शामिल होंगे।
पोर्टल पर किसान रख सकेंगे विचार
नए कृषि कानूनों पर बातचीत के लिए कमेटी जल्द ही किसान यूनियनों और एसोसिएशनों को आमंत्रण भेजेगी। जल्द अधिसूचित होने वाले पोर्टल पर किसान व्यक्तिगत रूप से भी अपने विचार दे सकते हैं। बयान में बताया गया कि कमेटी सभी संबद्ध लोगों की इस विषय पर राय जानना चाहती है, ताकि वह भारत के किसानों के हितों में अपने सुझाव दे सकें।
क्या है पूरा मामला
केंद्र सरकार ने पिछले साल सितंबर में कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 लागू किए। मगर, इन कानूनों को लेकर किसानों के विरोध-प्रदर्शन के बीच सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने तीनों कानूनों के अमल पर रोक लगाते हुए मसले के समाधान के लिए चार सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है। हालांकि कमेटी के एक सदस्य भूपिंदर सिंह मान ने खुद को कमेटी से अलग कर लिया, जिसके बाद अब कमेटी में तीन सदस्य हैं। देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर 2020 से आंदोलनरत किसान इन तीनों कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग पर अड़े हैं। नए कृषि कानूनों पर किसानों की आपत्तियों के समाधान को लेकर सरकार के साथ किसान यूनियनों की नौ दौर की वार्ताएं बेनतीजा रही हैं। सरकार के साथ किसान यूनियनों की अब 10वें दौर की वार्ता बुधवार को दोपहर दो बजे विज्ञान भवन में होगी।
Over six lakh beneficiaries in #UttarPradesh to receive financial assistance from PM @narendramodi as part of #PradhanMantriAwaasYojana-Gramin; funds to be disbursed via video conferencing@PIB_India @airnewsalerts pic.twitter.com/lHLnEzPga5
— DD News (@DDNewslive) January 20, 2021
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