गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ झड़प में शहीद हुए कर्नल संतोष बाबू को महावीर चक्र दिए जाने पर उनके परिवार ने निराशा व्यक्त की है। महावीर चक्र भारत का दूसरा सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार है। पुरस्कार के लिए नाम के ऐलान के बाद कर्नल संतोष बाबू के पिता बिकुमल्ला उपेंद्र ने कहा कि हम पूरी तरह से निराश हैं। उन्होंने कहा कि मैं उम्मीद कर रहा था कि जिस तरह का बलिदान मेरे बेटे ने दिया है उसके बाद मैं उम्मीद कर रहा था कि उनको परमवीर चक्र से सम्मानित किया जाएगा। बता दें कि संतोष बाबू के पिता भीरतीय स्टेट बैंक के सेनानिवृत्त कर्मचारी हैं जो कि तेलंगाना के सूर्यापेट शहर में रहते हैं।
उन्होंने याद दिलाया कि संतोष बाबू का बलिदान साधारण नहीं था। उन्होंने कहा कि वह एक अजीबोगरीब परिस्थितियों में 16वीं बिहार बटालियन का नेतृत्व कर रहे थे। उन्होंने कहा कि गलवान घाटी में मौसम उनका पहला दुश्मन था। फिर भी, वह 13 महीनों तक तैनात रहे और दुश्मनों से मुकाबला करते हुए खुद को शारीरिक रूप से फिर रखा था।
उन्होंने कहा कि संतोष बाबू ने बिना किसी हथियार का इस्तेमाल किए दुश्मनों से लड़े और भारी नुकसान पहुंचाया। पिता ने कहा कि मेरे बेटे ने चीनी सेना का सामना करने के लिए बहुत साहस दिखाया, जो कि बड़ी संख्या में थे। उनकी बहादुरी के कारण ही चीनी सेना को पीछे हटना पड़ा। कर्नल के पिता ने दावा किया कि संतोष बाबू की मृत्यू के बाद ही चीन की चालबाजी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उजागर हुई।
उन्होंने आगे कहा कि खुद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों की वीरतापूर्ण लड़ाई की बदौलत गलवान घाटी में चीनी सेना एक भी इंच कब्जा नहीं कर सकती। उन्होंने पूछा कि आखिर इसका श्रेय किसे दिया जाना चाहिए? कर्नल के पिता ने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि इसके बाद भी केंद्र ने परमवीर चक्र के बजाय संतोष बाबू को महावीर चक्र से सम्मानित करने का विकल्प चुना।
पुरस्कार के ऐलान पर क्या बोलीं मां?
वहीं, बेटे को मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किए जाने के ऐलान पर कर्नल संतोष बाबू की मां मंजुला ने कहा कि वह यह खबर पाकर बिल्कुश खुश नहीं थीं। उन्होंने कहा कि मैंने शीर्ष पदक की उम्मीद की थी, जो कि नहीं मिला। उन्होंने याद दिलाया कि संतोष ने भारत-चीन सीमा पर दुश्मन के साथ अपनी बहादुरी की लड़ाई के साथ देश भर के लाखों युवाओं को प्रेरित किया था। उन्होंने कहा कि उनके बलिदान ने हर भारतीय में देशभक्ति का संचार किया। वो सर्वोच्च सैन्य सम्मान के हकदार थे।
झड़प में 20 सैनिक हुए थे शहीद
बता दें कि 15 जून को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों ने भारतीय इलाकों में घुसपैठ की कोशिश की थी। इस दौरान दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे तो चीन को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा था। हालांकि, चीन ने अपने मारे गए सैनिकों की संख्या जाहिर नहीं की है। कर्नल संतोष बाबू 16 बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर थे। गलवान घाटी में हुई चीनी सेना के साथ हिंसक झड़प में शहीद हुए
Colonel B. #SanthoshBabu who made the supreme sacrifice along with 19 others in #GalwanValley clashes with Chinese troops in June last year, has been posthumously awarded #MahaVirChakra, the second highest war time gallantry award#RepublicDay @adgpi pic.twitter.com/SIfLfXpGxw
— DD News (@DDNewslive) January 25, 2021
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