वाराणसी: अमित शाह बोले- हिंदी और स्थानीय भाषाओं का कोई विवाद नहीं, स्वभाषा को आगे बढ़ाएं

आज अमित शाह के वाराणसी दौरे का दूसरा दिन है और इसके बाद वह आजमगढ़ चले जाएंगे। कल अमित शाह ने उत्तर प्रदेश के सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों के चुनाव प्रभारी और अध्यक्ष के साथ बैठक की।

वाराणसी: उत्तर प्रदेश में चुनावी चक्रव्यूह तैयार करने दो दिन के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह वाराणसी दौरे पर हैं। आज उनके दौरे का दूसरा दिन है और इसके बाद वह आजमगढ़ चले जाएंगे। आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में गृह मंत्रालय का राजभाषा विभाग आज पहला अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन आयोजित कर रहा है जिसका शुभारंभ अमित शाह ने किया। कल अमित शाह ने उत्तर प्रदेश के सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों के चुनाव प्रभारी और अध्यक्ष के साथ बैठक की। इसके अलावा इस बैठक में बीजेपी की 98 जिला इकाइयों के अध्यक्ष और प्रभारी भी मौजूद थे। पार्टी की बैठक में उन्होंने कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र दिया। उन्होंने कहा कि दो बड़े दल भी बीजेपी के सामने मिलकर लड़े लेकिन कुछ नहीं कर सके इसलिए इस बार जब सब अलग-अलग है तो जीत के लिए जोर लगा दें।

अमित शाह ने कहा- जब 100 साल आजादी के हो तो इस देश में राजभाषा और सभी स्थानीय भाषाओं का दबदबा इतना बुलंद हो कि किसी भी विदेशी भाषा का सहयोग लेने की आवश्यकता न हो.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज उत्तर प्रदेश के वाराणसी में अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन का शुभारम्भ किया. इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि देश में हिंदी और स्थानीय भाषाओं का कोई विवाद नहीं है. ये हिंदी प्रेमियों के लिए संकल्प का साल है, इसलिए स्वभाषा को आगे बढ़ाएं.

आजादी का अमृत महोत्सव हमारे लिए संकल्प का भी वर्ष है- अमित शाह

अमित शाह ने कहा, ‘’अमृत महोत्सव हमारे लिए आजादी दिलाने के लिएए जो हमारे पुरखों ने यातनाएं सहन की, सर्वोच्य बलिदान दिए, संघर्ष किए उसको स्मृति में जीवंत करके युवा पीढ़ी को प्रेरणा देना को तो मौका तो है ही, साथ ही आजादी का अमृत महोत्सव हमारे लिए संकल्प का भी वर्ष है. इसी वर्ष में 130 करोड़ भारतीयों को तय करना है कि जब आजादी के 100 साल होंगे तो भारत कैसा होगा, कहां होगा. दुनिया में भारत का स्थान कहां होगा.’’

राजभाषा और स्थानीय भाषाओं का दबदबा बुलंद हो- अमित शाह

अमित शाह ने आगे कहा, ‘’चाहे शिक्षा की बात हो, चाहे संस्कार की बात हो, चाहे सुरक्षा की बात हो, चाहे आर्थिक उन्नत्ति की बात हो, चाहे उत्पादन बढ़ाने की बात हो, भारत कहा खड़ा है, और हर क्षेत्र में भारत कहां खड़ा होगा, इसका संकल्प लेने का ये वर्ष है.’’ उन्होंने कहा, ‘’हम सभी हिंदी प्रेमियों के लिए भी ये वर्ष संकल्प का रहना चाहिए. जब 100 साल आजादी के हो तो इस देश में राजभाषा और सभी स्थानीय भाषाओं का दबदबा इतना बुलंद हो कि किसी भी विदेशी भाषा का सहयोग लेने की आवश्यकता न हो.’’

अमित शाह ने आगे कहा, ‘’मैं मानता हूं कि ये काम आजादी के तुरंत बाद होना चाहिए था, क्योंकि आजादी के तीन स्तंभ थे, स्वराज, स्वदेशी और स्वभाषा. स्वराज तो मिल गया, लेकिन स्वदेशी भी पीछे छूट गया और स्वभाषा भी पीछे छूट गई.’’

इससे पहले सीएम योगी ने कहा, ‘’7 साल पहले भारत क्या था, भारत के अंदर आम जनमानस के मन में विश्वास का अभाव था. वैश्विक मंच पर भारत की जो प्रतिष्ठता होनी चाहिए थी, वो प्रतिष्ठता उस रूप में नहीं थी जो भारत को मिलनी चाहिए थी. लेकिन पिछले सात-साढ़े सात वर्षों के अंदर आपने बदलते हुए भारत को, इस एक नए भारत को, इस श्रेष्ठ भारत के रूप में बदलते हुए देखा है.’’

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