हम-आप आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (IS) की बर्बरता की सिर्फ कल्पना कर सकते हैं. लेकिन IS के अत्याचारों को झेलने वाली यजीदी महिला नादिया मुराद ने अपनी किताब के जरिए IS के मानवीयता को शर्मसार कर देने वाले कारनामों का खुलासा कर दिया है.
उत्तरी इराक के निनेवेह प्रांत में सीरिया की सीमा से लगे सिंजार के कोचो गांव की रहने वाली और यजीदी अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाली नादिया मुराद को तीन साल पहले 2014 में सुन्नी कट्टरपंथी संगठन IS ने बंधक बना लिया था. उस समय मुराद की उम्र 21 वर्ष थी. IS के आतंकवादी मुराद से सेक्स स्लेव का काम लेते थे, मतलब IS के लड़ाके उनसे अपनी हवस की भूख शांत करते थे.
मुराद किसी तरह IS के कब्जे से भागने में सफल रहीं और अब वह जर्मनी में रहती हैं. पिछले सप्ताह मुराद की किताब रिलीज हुई है, जिसमें उन्होंने IS के कब्जे में रहने के दौरान अपनी दर्दनाक आपबीती बयान की है.
मुराद ने अपनी पुस्तक ‘द लास्ट गर्ल : माई स्टोरी ऑफ कैप्टिविटी एंड माई फाइट अगेंस्ट द इस्लामिक स्टेट’ में अपने साथ हुई बर्बरता का दिल दहला देने वाला वर्णन किया है.
भागते हुए पकड़े जाने पर होता था गैंगरेप
मुराद अपनी पुस्तक में बताती हैं कि उन्होंने कई बार IS के चंगुल से भागने की कोशिश की और कई बार पकड़ी गईं. जब भी वह भागते हुए पकड़ ली जातीं, उनके साथ सामूहिक बालत्कार किया जाता.
उन्होंने लिखा है, “एक बार मैं मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहनी जानी वाली पोशाक पहनकर भागने की कोशिश की, लेकिन एक गार्ड ने मुझे पकड़ लिया. उसने मुझे मारा और छह लड़ाकों की अपनी सेंट्री को सौंप दिया. उन सभी ने मेरे साथ तब तक बलात्कार किया, जब तक मैं होशो-हवास न खो बैठी.”
वह आगे लिखती हैं कि अगले सप्ताह उन्हें छह लड़ाकों की एक अन्य सेंट्री को सौंप दिया गया. उन लड़ाकों ने भी उनके साथ लगातार बलात्कार किया और मारा पीटा भी.
इसके बाद एक IS लड़ाके को उन्हें सौंप दिया गया, जो उन्हें लेकर सीरिया चला गया.
मुराद बताती हैं कि मोसुल में उन्हें एकबार भागने का मौका मिला. वह बागीचे की चहारदिवारी फांदने में सफल रहीं. लेकिन मोसुल की गलियों में भटकते हुए उन्हें जब समझ में नहीं आया कि क्या करें तो उन्होंने एक अनजान घर के दरवाजे की घंटी बजा दी और मदद की गुहार लगाई. हालांकि ऐसा नहीं है कि उन्हें हर बार अनजान लोगों से मदद मिली हो. उन्होंने IS के कब्जे में सेक्स स्लेव की जिंदगी बिता रही अपनी भतीजी को बताया था कि छह बार उन्होंने जिन अनजान लोगों से मदद की गुहार लगाई. लेकिन उन्होंने मुराद को वापस IS के हवाले कर दिया.
मोसुल में लेकिन उनका साहसी कदम काम आया और वह किसी तरह शरणार्थी शिविर तक पहुंचने में सफल रहीं.
IS ने यजीदियों पर ढाए जुल्म
मुराद बताती हैं कि इराक और सीरिया में उन्होंने देखा कि सुन्नी मुस्लिम आम जीवन जीते रहे, जबकि यजीदियों को IS के सारे जुल्म सितम सहने पड़े. मुराद बताती हैं कि हमारे लोगों की हत्याएं होती रहीं, रेप किए जाते रहे और सुन्नी मुस्लिम जुबान बंद किए सब देखते रहे. उन्होंने कुछ नहीं किया.
उल्लेखनीय है कि इराक और सीरिया में यजीदी अल्पसंख्यक समुदाय है और मुस्लिमों के अत्याचारों का शिकार है. 2014 में IS ने 7,000 यजीदी लड़कियों और महिलाओं को बंधक बना लिया था, जिसमें नादिया मुराद भी शामिल थीं. IS के लड़ाकों ने यजीदी पुरुषों और बूढ़ी महिलाओं की हत्या कर दी थी. मुराद के आठ भाई और उनकी मां की भी हत्या कर दी गई थी. IS जवान महिलाओं और लड़कियों को सेक्स के लिए बंधक बना लेते थे.
मुराद अपनी पुस्तक में लिखती हैं, “अपनी कहानी कहना कभी आसान नहीं होता. हर बार जब आप इसके बारे में कहते हैं, आप उसे मंजर को जैसे फिर से जी रहे होते हैं. कई बार ऐसा होता था कि आपके साथ लगातार सिर्फ बलात्कार होता रहता था. आपको नहीं पता होता था कि अगला कौन दरवाजा खोलेगा और आपके साथ रेप करेगा. हर आने वाला दिन और खौफनाक होता था.”
वह लिखती हैं, “मेरे साथ जो कुछ बीता, मैं चाहती हूं कि ऐसी कहानी वाली मैं दुनिया की आखिरी लड़की होऊं.”