क्या खास बात है इस बच्ची की? यही कि 14 साल की उम्र में उसने अंडर 19 राष्ट्रीय चैम्पियनशिप जीत ली. या कि वह भारत की बैडमिंटन स्टार सायना नेहवाल और पीवी सिंधु के कोच पुलेला गोपीचंद की लड़की है? या कि उसने अपनी ही मां को गौरवान्वित किया है क्योंकि जो खिताब मां ने सोलह साल की उम्र में जीता था बेटी ने वही खिताब 14 साल की उम्र मे ही जीत लिया. या कि इससे पहले ही वह जूनियर विश्व बैडमिंटन खिताब अपने नाम कर चुकी है.
एक मशहूर खिलाड़ी, वह भी पुलेला गोपीचंद जैसे खिलाड़ी जो अब राष्ट्रीय कोच हैं, की संतान होना जीवन में अलग तरह की चुनौती लाता है. पिता की तरह ही प्रदर्शन करना, सुविधाओं में कमी नहीं होगी तो कामयाबी स्वाभाविक ही होना चाहिए, जैसे कई तरह के दबाव होते हैं. लेकिन सुविधाओं का होना और बड़े खिलाड़ी की संतान होना सफलता की गारंटी नहीं होती.
सफलता में, और वो भी बैडमिंटन जैसे खेल की सफलता, में कड़ी मेहनत तो लगती ही है. अपनी कड़ी मेहनत और लगन से अपने माता पिता से एक कदम आगे निकल कर उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरना वाकई काबिले तारीफ है. यही किया गायत्री पुलेला ने जब पंजाब यूनिवर्सिटी के कोर्ट में अंडर 19 राष्ट्रीय चैम्पियनशिप का खिताब महज 14 साल की उम्र में ही अपने नाम किया.
गायत्री की मा पीवी लक्ष्मी का खुशी का ठिकाना नहीं रहा जब उनका खुद का 16 साल की उम्र में जीता खिताब बेटी ने 14 साल की उम्र में जीत कर दिखा दिया. गायत्री को अपनी सीनियर शटलर पूर्वा भावे को 23-21, 21-18 से फाइनल में जीत हासिल की.
गायत्री ने अपने कोच के उस विश्वास को कभी कम नहीं होने दिया जब कोच ने फैसला किया कि उन्हें अंडर 17 नहीं अंडर 19 की श्रेणी में खेलना चाहिए. यह कड़े ट्रेनिंग प्रोग्राम का नतीजा था कि गायत्री की मां को अपनी बेटी पर पूरा भरोसा था जो गायत्री ने सही साबित कर दिखाया.
गौरतलब है कि गायत्री का छोटा भाई साई विष्णु भी शटलर हैं और कई श्रेणियों में डबल्स के खिताब अपने नाम कर चुके हैं. गोपीचंद का पूरा परिवार बैडमिंटन को समर्पित है और परिवार में कड़ा अनुशासन है जो बच्चों के प्रदर्शन में साफ दिखाई देता है.