कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार (20 नवंबर) को को संजय लीला भंसाली की ऐतिहासिक फिल्म ‘पद्मावती’ को लेकर पैदा हुए विवाद की निंदा की. उन्होंने इसे अभिव्यक्ति की आजादी को खत्म करने के लिए ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ और ‘सुनियोजित’ प्रयास बताया. ममता ने ट्वीट किया, “‘पद्मावती’ विवाद न सिर्फ दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि हमारी अभिव्यक्ति की आजादी को खत्म करने के लिए एक राजनीतिक दल की सोची-समझी साजिश है. हम इस सुपर आपातकाल की निंदा करते हैं.” तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि फिल्म उद्योग के सभी लोगों को एक साथ आकर एक स्वर में इसका विरोध करना चाहिए
भंसाली पर राजपूत रानी पद्मावती को लेकर इतिहास से छेड़छाड़ करने का आरोप है, हालांकि वह लगातार इस बात से इनकार करते आए हैं. फिल्म पहले एक दिसंबर को रिलीज होने वाली थी, लेकिन फिलहाल इसकी रिलीज टाल दी गई है. फिल्म निर्माताओं को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड से भी हरी झंडी नहीं दिखाई गई है. बोर्ड ने कहा है कि निर्माताओं की तरफ से किया गया आवेदन अपूर्ण है.
वहीं दूसरी ओर उच्चतम न्यायालय ने फिल्म ‘पद्मावती’ से कुछ कथित आपत्तिजनक दृश्य हटाने के लिये दायर याचिका सोमवार (20 नवंबर) को खारिज कर दी. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ को सूचित किया गया कि इस फिल्म को अभी तक केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड से प्रमाण पत्र नहीं मिला है. इस पर पीठ ने कहा, ‘‘इस याचिका में हमारे हस्तक्षेप का मतलब पहले ही राय बनाना होगा जो हम करने के पक्ष में नहीं है.’’
यह याचिका अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा ने दायर की थी. उन्होंने आरोप लगाया कि यद्यपि सेन्सर बोर्ड ने इस फिल्म को प्रमाण पत्र नहीं दिया है लेकिन इसके गीत पहले ही जारी किये जा चुके हैं. शर्मा ने रानी पद्मावती के चरित्र का कथित हनन करने वाले सारे दृश्यों को फिल्म के प्रदर्शन से पहले हटाने का निर्देश देने अनुरोध कया था.