बिहार में जातिगत सर्वेक्षण के आंकड़े जारी होने के बाद नीतीश कुमार नीत महागठबंधन की सरकार ने बड़ा सियासी दांव खेल दिया है। अब आर्थिक सर्वेक्षण की तैयारी हो रही है। आज नीतीश ने एक बैठक भी बुलाई है।
पटना: जातीय जनगणना के आंकड़े आखिरकार जारी कर दिए गए हैं। बिहार की महागठबंधन सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले ये बड़ा सियासी दांव खेला है। इसे लेकर अब सियासी हलचल तेज हो गई है। वहीं आंकड़े जारी होने के बाद अब बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने आज नौ दलों बैठक बुलाई है जिसमें चिराग पासवान, पशुपति पारस, उपेंद्र कुशवाहा को न्योता नहीं भेजा गया है। आज नीतीश कुमार ने बिहार की ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई है, जो दोपहर के बाद साढ़े तीन बजे पटना में रखी गई है। इस बैठक में नीतीश सरकार की तरफ से जनगणना की रिपोर्ट रखी जाएगी और फिर राज्य में आर्थिक सर्वेक्षण को लेकर समर्थन जुटाने की कोशिश की जाएगी। बता दें कि अब बिहार में आर्थिक सर्वे की तैयारी हो रही है।
नीतीश की बड़ी तैयारी, अब आर्थिक सर्वेक्षण की बारी,
आज पटना में होने वाली मीटिंग की अध्यक्षता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार.करेंगे और बैठक में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, जेडीयू नेता विजय कुमार चौधरी, बीजेपी से जनक राम, कांग्रेस के अजीत शर्मा, हम से जीतन राम मांझी.और वीआईपी से मुकेश सहनी और इसके. साथ ही एआईएमआईएम से अख्तरुल ईमान और सीपीएम के अजय कुमार भी शामिल होंगे। खास बात ये है कि इस मीटिंग में लोकजनशक्ति पार्टी के दोनों गुटों में से किसी को नहीं बुलाया गया है और नीतीश का साथ छोड़कर NDA में शामिल हुए उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी को भी न्यौता नहीं भेजा गया है। जातीय जनगणना के बाद आर्थिक सर्वे कराने के पीछे सरकार का दावा है कि इससे बिहार का सही तरीके से विकास हो पाएगा।
महागठबंधन खुश, एनडीए की बढ़ी चिंता
जातीय जनगणना की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में सवर्ण यानी अपर कास्ट की आबादी 15.52 परसेंट हैं, ओबीसी आबादी 27.12 परसेंट है, अति पिछड़ा वर्ग की आबादी 36 परसेंट है, अनुसूचित जाति की आबादी 19.65 फीसदी और अनुसूचित जनजाति की आबादी 1.68 परसेंट है। जातीय जनगणना की सर्वे की रिपोर्ट आने के बाद नीतीश कुमार खुश हैं। सर्वे रिपोर्ट में साफ है कि बिहार में सबसे बड़ी आबादी अति पिछड़ों की दिख रही है और आरजेडी को इसमें वोट बैंक दिखने लगा है।
सर्वे की रिपोर्ट में बिहार में 17.7 % मुस्लिम और 14.2 % यादव वोट हैं, मुस्लिम और यादव यानी MY फैक्टर लालू की पार्टी का वोट बैंक माना जाता है। ऐसे में अगर इसमें नीतीश कुमार का लव-कुश फैक्टर यानी कुर्मी और कुशवाहा को मिला दिया जाए और इनकी आबादी 7 % है, यानी लालू और नीतीश की पार्टी के 39% वोट पक्के हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि 2024 चुनाव से पहले बिहार में जातीय जनगणना की रिपोर्ट से आरक्षण का नया जिन्न निकलने वाला है और जेडीयू इस रिपोर्ट से 2024 का एजेंडा सेट करने की कोशिश में जुट गई है। जेडीयू इस रिपोर्ट को देश में गेमचेंजर बताने में लगी है।
गेमचेंजर साबित हो सकती है नीतीश की चाल
इस रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में पिछड़ा यानी OBC 27.12 परसेंट हैं, अति पिछड़ा यानी EBC 36% हैं, पिछड़ा और अति पिछड़ा को मिला दें तो 63% होता है और यही सबसे बड़ा नंबर है। वहीं दलित की बात करें तो SC बिहार में 19.65% हैं, जबकि आदिवासी यानी ST 1.68% और इन दोनों को OBC और EBC से मिला दें तो आंकड़ा 84% से ऊपर चला जाता है, बाकी बचे सवर्ण जो बिहार में 15.52% हैं। बिहार में जाति जनगणना के आंकड़े जारी होते ही अब दूसरे राज्यों में भी सुगबुहाट शुरू हो गई है और दावा किया जा रहा है कि 2024 चुनाव में ये मुद्दा गेमचेंजर बन सकता है।
Today, as the nation focuses on Swachhata, Ankit Baiyanpuriya and I did the same! Beyond just cleanliness, we blended fitness and well-being also into the mix. It is all about that Swachh and Swasth Bharat vibe! @baiyanpuria pic.twitter.com/gwn1SgdR2C
— Narendra Modi (@narendramodi) October 1, 2023
पसंद आया तो—— कमेंट्स बॉक्स में अपने सुझाव व् कमेंट्स जुरूर करे और शेयर करें
आईडिया टीवी न्यूज़ :- से जुड़े ताजा अपडेट के लिए हमें फेसबुक यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो लाइक करें