नई दिल्ली: केंद्रीय टैक्स की कमाई का केंद्र और राज्य में बंटवारे का फॉर्मूला तय करने के लिए 15वें वित्त आयोग के गठन को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है. आयोग की सिफारिशों के हिसाब से केंद्र और राज्यों के बीच केंद्रीय टैक्सेज से हुई कमाई का नए फॉर्मूले का बंटवारा पहली अप्रैल 2020 से लागू होगा.
संविधान की धारा 280(1) के तहत वित्त आयोग का गठन किया जाता है. ये एक जरूरी संवैधानिक प्रक्रिया है. केंद्र सरकार आयोग की सिफारिशें जस-का-तस मानती है और उस हिसाब से अपनी कमाई का एक हिस्सा राज्यों के बीच बांटती है. नए आयोग का महत्व इस वजह से भी बढ़ जाता है कि ये नयी अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था, वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी लागू होने के बाद बंटवारे का फॉर्मूला देगा. फॉर्मूला पहली अप्रैल 2020 से लागू होकर 31 मार्च 2025 तक प्रभावी होगा.
केंद्र सरकार आय पर कर वसूलने के साथ-साथ विदेश व्यापार पर तो कर वसूलती ही है, साथ ही वस्तु व सेवाओं के उत्पादन व कारोबार पर भी कर मिलता है. इसके अलावा सेस और सरचार्च भी केंद्र सरकार लगाती है. संविधान के तहत व्यवस्था ये है कि सेस और सरचार्ज को छोड़, केंद्रीय कर से हुई कुल कमाई का एक हिस्सा केंद्र सरकार राज्यों को देती है. 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों के मुताबिक पहली अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2020 तक केंद्र को अपनी कुल कमाई का 42 फीसदी राज्यों को देना था. आबादी, जंगल भूमि और ऐसे ही कुछ पैमानों के आधार पर राज्यों को केंद्र से पैसा मिलता है.
ये परंपरा रही है कि पिछले वित्त आयोग के गठन की तारीख के पांच सालों के भीतर-भीतर नए आयोग का गठन किया जाता है. नये आयोग को अपनी रपट तैयार करने में दो साल तक का वक्त लगता है. इसी सब को ध्यान हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को 15 वें वित्त आयोग के गठन को मंजूरी दी. उम्मीद है कि 2019 तक ये अपनी रिपोर्ट दे देगी जिससे 2020 अप्रैल में इसे लागू करना संभव हो सके.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों को नियुक्ति जल्द ही कर दी जाएगी. ये पूछे जाने पर कि क्या नया आयोग राज्यों को ज्यादा हिस्सा दिए जाने की सिफाऱिश कर सकता है, वित्त मंत्री का कहना था कि कि ये अभी किसी नतीजे का अनुमान लगाना ठीक नहीं. उन्होंने ये भी कहा कि भारत राज्यों का संघ है और संघ को अपना बजूद बनाए रखना है. मतलब ये कि केंद्र अभी 42 फीसदी कमाई राज्यों को दे रहा है, साथ ही जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों को कर से आमदनी में नुकसान का पूरा-पूरा भरपाई पांच सालों तक करेगी, ऐसे में हिस्सेदारी बहुत ज्यादा बढ़ाए जाने की उम्मीद है.