पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने कहा कि वह टीम इंडिया का कोच बनने के लिए बेताब थे, लेकिन आखिर में क्रिकेट प्रशासक बन गए. गांगुली ने कहा, ‘आपको वही करना चाहिए जो आप कर सकते हो और नतीजे के बारे में नहीं सोचना चाहिए. आपको नहीं पता कि जिंदगी आपको कहां तक ले जाएगी.’
गांगुली ने कहा कि ‘मैं 1999 में ऑस्ट्रेलिया गया था, मैं तब उप कप्तान भी नहीं था. सचिन तेंदुलकर कप्तान थे और तीन महीनों में मैं भारतीय टीम का कप्तान बन गया. गांगुली ने इंडिया टुडे कान्क्लेव ईस्ट 2017 में कहा, ‘जब मैं प्रशासनिक गतिविधियों से जुड़ा तो मैं भारतीय टीम का कोच बनने के लिए बेताब था.’
गांगुली ने कहा, ‘जगमोहन डालमिया ने मुझे फोन किया और कहा कि ‘तुम छह महीने के लिए क्यों नहीं कोशिश करते’. उनका निधन हो गया और कोई भी आस-पास नहीं था इसलिए मैं बंगाल क्रिकेट संघ का अध्यक्ष बन गया. लोगों को अध्यक्ष बनने में 20 साल लगते हैं.’ गांगुली ने कोच ग्रेग चैपल के साथ विवादास्पद घटना के बारे में भी बात की और बताया कि क्यों हटने का फैसला किया.
पूर्व क्रिकेट कप्तान ने कहा, ‘जब मैंने 2008 में संन्यास की घोषणा की थी तो सचिन लंच पर आए और उन्होंने मुझसे पूछा कि तुमने इस तरह का फैसला क्यों किया? तब मैंने कहा कि क्योंकि मैं अब और नहीं खेलना चाहता. तब उन्होंने कहा कि तुम जिस लय में खेल रहे हो, उसमें तुम्हें देखना बेहतरीन है. पिछले तीन साल तुम्हारे लिए सर्वश्रेष्ठ रहे हैं.’