भविष्य में माल एवं सेवा कर (GST) के तहत टैक्स की श्रेणियों में कम की जा सकती है. इस बारे में मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने संकेत दिए. उन्होंने आने वाले दिनों में 12 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की श्रेणियों को मिलाकर एक श्रेणी बनाने की बात कही. उन्होंने कहा कि 1 जुलाई से शुरू की गई यह व्यवस्था अगले छह से नौ महीने में स्थायित्व पा लेगी तथा अन्य देशों के लिए एक नजीर के रूप में सामने आएगी.
नई दिल्ली/ हैदराबाद : भविष्य में माल एवं सेवा कर (GST) के तहत टैक्स की श्रेणियों में कम की जा सकती है. इस बारे में मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने संकेत दिए. उन्होंने आने वाले दिनों में 12 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की श्रेणियों को मिलाकर एक श्रेणी बनाने की बात कही. उन्होंने कहा कि 1 जुलाई से शुरू की गई यह व्यवस्था अगले छह से नौ महीने में स्थायित्व पा लेगी तथा अन्य देशों के लिए एक नजीर के रूप में सामने आएगी.
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि आने वाले समय में हम टैक्स श्रेणियों में कमी देखेंगे. हम कभी भी एक मात्र दर नहीं लागू कर सकेंगे, क्योंकि ऐसा कर पाना काफी मुश्किल है. गौरलब है कि सरकार ने जीएसटी रिटर्न भरने को आसान बनाने के लिए भी कदम उठाए हैं. पिछले दिनों जीएसटीएन के चेयरमैन अजय भूषण पांडे की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है, जो मौजूदा वित्त वर्ष में रिटर्न फाइलिंग की जरूरतों पर विचार करेगी.
उन्होंने बताया कि समिति में गुजरात, कर्नाटक, पंजाब और आंध्र प्रदेश के टैक्स कमिश्नर शामिल हैं. समिति सुझाव देगी कि क्या नियमों, कानून और प्रारूप में किसी तरह के बदलाव की जरूरत है. समिति अपनी रिपोर्ट 15 दिसंबर तक दाखिल कर देगी. जीएसटी परिषद ने रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया सरल बनाने के उपाय सुझाने के लिए यह समिति गठित की है.
साथ ही जीएसटीआर-2 और जीएसटीआर-3 की फाइलिंग को 31 मार्च तक स्थगित रखने का फैसला किया गया है. जीएसटीआर-1 में माल की बिक्री का ब्योरा होता है, जबकि जीएसटीआर-2 में खरीदे गए माल की जानकारी रहती है.