जवानों के साहस,वीरता और बलिदान को सलाम:प्रधानमंत्री

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि तत्काल राहत पहुँचाने, पड़ोसी देश को संकट के समय मानवीय मदद पहुंचाने समेत अन्य कार्यो में हमारी नौसेना एवं सशस्त्र बल हमेशा गौरवपूर्ण कार्य करते रहे हैं. हम भारतवासी सेना, नौसेना, वायु सेना समेत हमारे सशस्त्र बलों के जवानों के साहस, वीरता, शौर्य, पराक्रम, बलिदान को सलाम करते हैं. आकाशवाणी पर प्रसारित ‘मन की बात’ कार्यक्रम में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि 4 दिसंबर को हम सब नौ-सेना दिवस मनाएंगें.

 

भारतीय नौसेना, हमारे समुद्र-तटों की रक्षा करती है और सुरक्षा प्रदान करती है. मैं नौ-सेना से जुड़े सभी लोगों का अभिनंदन करता हूँ. सभ्यता का विकास नदियों के किनारे होने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमारी नदियाँ और समुद्र, आर्थिक और सामरिक, दोनों उद्देश्यों के लिए महत्वपूर्ण हैं.

 

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उन्होंने कहा कि यह पूरे विश्व के लिए हमारा गेटवे है . इस देश का, हमारी इस भूमि का महासागरों के साथ अटूट संबंध रहा है. और जब हम, इतिहास की ओर नज़र करते हैं तो 800-900 साल पहले चोल-वंश के समय, चोल-नेवी को सबसे शक्तिशाली नौ-सेनाओं में से एक माना जाता था.चोल-साम्राज्य के विस्तार में, उसे अपने समय का आर्थिक महाशक्ति बनाने में उनकी नौसेना का बहुत बड़ा हिस्सा था. चोल-नौसेना की मुहिम, खोज-यात्राओं के ढेरों उदाहरण, संगम-साहित्य में आज भी उपलब्ध हैं. मोदी ने कहा कि बहुत कम लोगों को पता होगा कि विश्व में ज़्यादातर नौ-सेनाओं ने बहुत देर के बाद युद्ध-पोतों पर महिलाओं को अनुमति दी थी.

लेकिन चोल-नौसेना में और वह भी 800-900 साल पहले, बहुत बड़ी संख्या में महिलाओं ने प्रमुख भूमिका निभाई थी. और यहाँ तक कि महिलाएँ, लड़ाई में भी शामिल होती थीं. चोल-शासकों के पास जहाजों के निर्माण के बारे में बहुत ही समृद्ध ज्ञान था. प्रधानमंत्री ने इस संदर्भ में छत्रपति शिवाजी महाराज और नौ-सेना के उनके सामर्थ्य का जिक्र किया.

मराठा नौसेना में बड़े-बड़े जहाज़ों और छोटी-छोटी नौकाओं का संयोजन था. उनके नौसैनिक किसी भी दुश्मन पर हमला करने और उनसे बचाव करने में अत्यंत कुशल थे. उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद हमारी भारतीय नौ-सेना ने विभिन्न अवसरों पर अपना पराक्रम दिखाया- चाहे वह गोवा का मुक्ति-संग्राम हो या 1971 का भारत-पाक युद्ध हो.

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