लेकिन उसका परमाणु कार्यक्रम क्षेत्र की सुरक्षा के लिए खतरनाक है। यह परंपरागत युद्ध को परमाणु युद्ध में तब्दील कर सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि क्षेत्र को सबसे बड़ा खतरा बड़े अत्याधुनिक और विभिन्न परमाणु हथियारों से नहीं है।
असल में यह खतरा इन परमाणु हथियारों की सुरक्षा कर रहे संस्थानों की स्थिरता से है, क्योंकि भविष्य में पाकिस्तान में क्या उथल-पुथल हो जाए इसका अनुमान लगाना बेहद कठिन है।
रिपोर्ट के मुताबिक, बीते चार दशकों में आतंकवाद के सहारे अफगानिस्तान और भारत में अशांति फैलाने की कोशिशों से पाकिस्तान को भी करारा झटका लगा है। आतंकी हमले वहां की सरकार और सिविल सोसायटी पर भी हुए हैं।
यहां तक कि संवेदनशील सैन्य अड्डों (जहां परमाणु हथियार हो सकते हैं) पर भी ऐसे हमले हुए हैं। बड़ी बात यह है कि ये हमले पाकिस्तान की भीतरी ताकतों की मदद से हुए हैं।
रिपोर्ट में यह आशंका जताई गई है कि हो न हो पाकिस्तान के परमाणु हथियार चुराए हुए हों या पाकिस्तानी सेना में आपसी मतभेद के कारण इन हथियारों पर मजबूत नियंत्रण नहीं है। इसलिए संभव है कि इन हथियारों तक आतंकियों की पहुंच हो।
गौरव कंपानी और भरत गोपालास्वामी ने इस रिपोर्ट को तैयार करते हुए लिखा है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में परमाणु हथियार के विकास के मामले में भारत और पाकिस्तान दोनों नौसिखिये हैं और दोनों के पास ही पहली पीढ़ी के फिशन हथियार हैं।