अभी तक इस रकम को जमा कराने वाले और इसका लाभ लेने वाले शख्स का पता नहीं चल सका है। ये नये काला धन रोकथाम कानून के तहत बेनामी संपत्ति घोषित करने के शुरुआती मामलों में से एक है।
यह मामला पुरानी दिल्ली के नया बाजार इलाके की गली लालटेन के रहने वाले किसी रमेश चंद शर्मा से जुड़ा है। हालांकि जब जांच अधिकारी इस पते पर पहुंचे तो उन्हें इस नाम का कोई शख्स नहीं मिला।
मोदी सरकार ने पिछले वर्ष पहली नवंबर को बेनामी लेनदेन (निषेध) संशोधन अधिनियम, 2016 को लागू किया। यह सरकार की ओर से काले धन पर लगाम लगाने के लिये उठाए गए कदमों में से एक है।
क्या है मामला –
आयकर विभाग ने नोट बंदी के बाद काले धन की धरपकड़ के दौरान गत वर्ष दिसंबर में केजी रोड स्थित कोटक महिंद्रा बैंक की शाखा का सर्वे किया था।
यहां रमेश चंद शर्मा नाम के शख्स ने तीन कंपनियों के खाते में 500 और 1000 के पुराने नोट जमा कराए। जमा कराई गई कुल राशि 15,93,39,130 रुपये थी। संदेह है कि ये तीनों कंपनियां फर्जी थीं।
कर अधिकारियों ने पाया कि कैश जमा कराने के तुरंत बाद इस कैश के एवज में एक ग्रुप के कुछ लोगों के लिए डिमांड ड्रॉफ्ट जारी किया गया। इसमें लोगों का नाम नहीं था।
विभाग ने इन डिमांड ड्रॉफ्ट को फ्रीज कर दिया और इन राशि को बेनामी बताते हुए ‘जब्त’ कर लिया। कानूनी प्रावधानों के तहत विभाग ने जब्ती के आदेश को मंजूरी के लिए अधिनियम का पालन सुनिश्चित करने वाली अथॉरिटी के पास भेजा। कुछ समय बाद अथॉरिटी ने विभाग के आदेश की पुष्टि कर दी।
यह उन पहले पांच मामलों में से एक है जिनमें काले धन की रोकथाम के लिए बने नये कानून के तहत कार्रवाई हुई है।