नई दिल्ली: जिहाद के नाम पर आतंक फैलाने वाले ज्यादातर आतंकियों का अंत मौत के साथ होता है. यदि वे पकड़े जाएं तो बाकि की जिंदगी सलाखों के पीछे ही बीतती है, या फिर उन्हें फांसी की सजा सुना दी जाती है. लेकिन सऊदी अरब ने देश में पनपने वाले हिंसक जिहादियों से निपटने का अलग ही रास्ता निकाला है. उन्होंने अल कायदा और तालिबान जैसे खतरनाक आतंकी संगठनों से जुड़े आतंकवादियों की सोच बदलने और उन्हें सही रास्ते पर लाने के लिए 5 स्टार होटल जैसी सुविधाओं वाला रिहैब बनाया है. इस सेंटर में लाउंज, आलिशान कमरे, किंग साइज बैड, पूल, जिम आदि जैसी सभी लग्जरी है. सेंटर के अधिकारियों का मानना है कि विचारधारा को दूसरी विचारधारा ही बदल सकती है और यहां पर इसी पर काम किया जाता है.
मोहम्मद बिन नाइफ काउंसलिंग एंड केयर सेंटर के निदेशक अबू मगहाद ने बताया कि हमारा ध्यान यहां आने वाले लोगों के विचारों, उनकी गलतफहमी और इस्लाम को लेकर उनके गलत विचारों को सही करने पर है. इसके लिए मौलवियों और मनोवैज्ञानिक की सहायता ली जाती है, जो उनकी विचारधारा को बदलने की कोशिश करते हैं.
उन्होंने बताया कि, यहां पर किसी को भी कैदी न तो माना जाता है न ही कहा जाता है. उन्हें यहां आम लोगों जैसा महसूस करवाया जाता है, ताकि उनमें ये भाव आ सके कि वे दूसरों से अलग नहीं हैं और समाज में वापिस लौट सकते हैं.
सेंटर का दावा है कि अब तक करीब 3,300 लोगों का इलाज किया जा चुका है, जिसमें से 86 प्रतिशत लोग सही रास्ते पर आए और समाज में आम लोगों की तरह जीने लगे. सिर्फ कुछ ही ऐसे लोग रहे जिन्होंने फिर से हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया. वहीं दोबारा आक्रामक जिहाद या आतंक की ओर लौटने वालों का प्रतिशत सबसे कम रहा.
हालांकि, सेंटर के इस दावे पर कई लोग सवाल भी उठा चुके हैं. उनका मानना है कि जिन लोगों के हाथ दूसरों के खून से रंगे हों उन्हें इस तरह की 5 स्टार सुविधाएं दिया जाना सही नहीं
कुछ ने सेंटर के दावों पर भी सवाल किए. उन्होंने कहा कि रिहैब में कौन आता है, इसके संबंध में जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई जाती है, ऐसे में आतंकी समूह से जुड़े लोग वापिस आतंक की राह पर लौटे या सुधरे इसे ट्रैक करना मुश्किल है.
हालांकि, सऊदी अरब की आतंक से लड़ने के इस तरीके की कई जगह से तारीफ भी मिल रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि ये पहली बार है जब किसी देश ने आतंक से लड़ने के लिए रिहैब जैसी अप्रोच को लागू किया हो.