वॉशिंगटन: अमेरिकी रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने शनिवार (2 दिसंबर) को कहा कि उनका देश चाहता है कि पाकिस्तान ‘‘अपने बेहतर हित’’ में कदम उठाए और आतंकी पनाहगाहों के खिलाफ कार्रवाई करे. अमेरिका के रक्षा मंत्री के तौर पर मैटिस पहली बार पाकिस्तान जाने वाले हैं. उनकी चार देशों की यात्रा शुक्रवार (1 दिसंबर) को आरंभ हो चुकी है जिसके तहत उनका मिस्र, जार्डन, पाकिस्तान और कुवैत जाने का कार्यक्रम है. अपने दौरे में वह पश्चिम एशिया, पश्चिम अफ्रीका और दक्षिण एशिया में भागीदारी के लिए अमेरिका की प्रतिबद्धता दोहरायेंगे. अपने साथ मिस्र जा रहे संवाददाताओं से मैटिस ने कहा ‘‘अफगानिस्ताान में हमने पाकिस्तान के नेताओं से सुना है कि वे आतंकवाद का समर्थन नहीं करते. इसलिए मैं यह देखने की अपेक्षा करता हूं कि उनकी नीतियों में कार्रवाई दिखाई देगी.’’
मैटिस ने कहा ‘‘उन्होंने कहा है कि वह आतंकवादियों के लिए पनाहगाह का समर्थन नहीं करते और पाकिस्तान में बेकसूर लोग तथा उनके सैन्य कर्मी, दोनों ही हताहत हुए हैं. इसलिए हम उनसे उनके बेहतर हित में कदम उठाने और शांति तथा क्षेत्रीय स्थिरता का समर्थन करने की अपेक्षा करते हैं.’’ पेंटागन ने बताया कि मैटिस सोमवार (4 दिसंबर) को पाकिस्तान पहुंचेंगे जहां उनके, प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी और सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा से मुलाकात करने की उम्मीद है.
वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान के पेशावर कृषि प्रशिक्षण संस्थान में तालिबान हमले के सिलसिले में नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया. इस हमले में छात्रों सहित कम से कम 14 लोग मारे गए थे और 35 अन्य जख्मी हो गए थे. बुर्का पहने तीन तालिबानी आतंकवादी बीते 1 दिसंबर को संस्थान में घुस आए और अंधाधुंध गोलियां चलानी शुरू कर दी, जिसमें कम से कम 14 लोग मारे गए. हालांकि, सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई करते हुए इन आतंकवादियों को मार गिराया. बढ़बेर, टेलाबंद और अन्य इलाकों में हुई छापेमारी के बाद पुलिस और सुरक्षा बलों ने ये गिरफ्तारियां कीं. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, “नौ संदिग्ध गिरफ्तार किए गए और हमले में उनकी भूमिका की जांच की जा रही है.” उन्होंने कहा कि भारी मात्रा में हथियार भी बरामद किए गए हैं.
इससे पहले, आतंकवाद निरोधक विभाग ने अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी. प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) पाकिस्तान ने हमले की जिम्मेदारी ली थी. थलसेना ने कहा कि हमला सुनियोजित था और अफगानिस्तान से इसके लिए दिशानिर्देश दिए जा रहे थे, जहां टीटीपी के आतंकवादी छुपे हुए हैं. इस बीच, हमले में मारे गए लोगों के शव उनके घर भेज दिए गए जहां उन्हें दफनाया गया.