सीमा पर ड्रैगन चाहे जितनी चाल चल ले, भारत के सेनानी सरहदों की रक्षा के लिए 24 घंटे सीमा पर दीवार बनकर डटे रहते हैं. आजतक की टीम डोकलाम विवाद सुलझने के बाद भारत-चीन सीमा पर उस जगह पहुंची जहां ITBP की चीन सीमा के नजदीक पोस्ट है.
दरअसल सिक्किम में डोकलाम विवाद भले ही सुलझ गया हो, लेकिन सरकार भारत-चीन के बीच सरहदों को लेकर काफी चौकन्नी है. चीन से सटे कुल 3488 किलोमीटर लंबी सरहद को सुरक्षित रखने के लिए भारत सरकार सरहद के चप्पे-चप्पे पर जवानों की तैनाती कर रही है. आजतक की टीम चीन सीमा से सटे इसी तरह के एक फॉरवर्ड पोस्ट पर जवानों के बीच पहुंची.
यह फॉरवर्ड पोस्ट इसलिए भी विशेष है क्योंकि यहां देश की जाबांज बेटियां तिरंगे की शान की रक्षा कर रही हैं और चीन की हर चालबाजी का जवाब देने के लिए उस पर नजर रखती हैं. उत्तराखंड का भारत चीन बॉर्डर हो या फिर अरुणाचल प्रदेश का भारत चीन सीमा, हर जगह चीन सीमा पर महिला कमांडो को ITBP ने चीन के सामने दीवार की तरह खड़ा किया है. भारत चीन सीमा के अलग-अलग बॉर्डर पर करीब 700 जांबाज महिला कमांडो तैनात की गई हैं.
देश की बेटियां सरहद पर चीन से मुकाबला करने के लिए माइनस तापमान में भी नहीं ठिठुरतीं. यह तो बात रही चीन सीमा पर तैनात जांबाज वीरांगनाओं की, अब जानिए उन जांबाज वीरों के बारे में जो चीन की सीमा पर चीन को जवाब देने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. उत्तराखंड के माना पोस्ट पर तैनात ITBP के जवानों का जज्बा देखते ही बनता है.
जब राजनाथ सिंह पहुंचे जवानों के बीच
डोकलाम में चल रहे भारत-चीन सीमा विवाद के सुलझने के बाद मोदी सरकार के गृहमंत्री राजनाथ सिंह चीन सीमा पर पहुंचे जवानों के साथ, जहां गृहमंत्री ने काफी समय बिताया. वहीं जवानों के बारे में बॉर्डर पर होने वाली समस्याओं की भी जानकारी गृहमंत्री ने ली. राजनाथ ITBP की माना बीओपी, लपथल बीओपी और रिमखिम बीओपी में जाकर जवानों के हौसले बुलंद किए.
उत्तराखंड के रिमखिम और लपथल वो इलाके हैं जहां पहुंचने के लिए सड़क मार्ग नहीं है. यहां हेलीकॉप्टर से ही आवाजाही हो सकती है. भारत-चीन सीमा से सटे इस इलाके में अब तक टीवी के कैमरे नहीं पहुंच सके थे. ‘आजतक’ ने इस इलाके में पहुंच कर ग्राउंड जीरो से जायजा लिया.
रिमखिम/लपथल से बाराहोती सिर्फ 2 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है. बाड़ाहोती भारत-चीन सीमा के पास मौजूद है. यहां बीते 10 साल में चीन 60 से 70 बार घुसपैठ कर चुका है. इस क्षेत्र में इन दिनों भी तापमान माइनस में है. बाड़ाहोती में 80 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में चारागाह फैला हुआ है. यहां चीन अपने चरवाहे भेजकर क्षेत्र पर दावा जताने की कोशिश करता रहता है.
समु्द्र तल से 14000 से 15000 फीट की उंचाई वाले इस क्षेत्र (रिमखिम और लपथल) में भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवान दिन-रात देश की ड्यूटी में तैनात रहते हैं. यह ऐसा क्षेत्र है जहां ऑक्सीजन की कमी का भी जवानों को सामना करना पड़ता है. यहां तैनात जवानों के लिए स्नो स्कूटर बड़ा सहारा है.
जवानों के लिए बर्फीले तूफान से निपटने के लिए बनेंगे इंटीग्रेटेड बीओपी
माइनस तापमान में जवानों को काफी दिक्कत आती है, लेकिन अब केंद्र सरकार भारत-चीन सीमा पर तैनात ITBP के जवानों के लिए 17 करोड़ की लागत की इंटीग्रेटेड बीओपी बनाने जा रही है. आने वाले दिनों में जवानों को इस इंटीग्रेटेड बीओपी में 24 घंटे गर्म पानी मिलेगा. हालांकि अभी जवानों के लिए सोलर पैनल के जरिए पानी गर्म करने की व्यवस्था की गई है. माना बीओपी में इस तरीके के सोलर पैनल पानी गर्म करने के लिए लगाए गए हैं.
आपस में ऐसे करते हैं जवान मनोरंजन
पूरे दिन सीमा की निगरानी करने के बाद जवान अपनी थकान मिटाने के लिए बर्फीले इलाकों में कुछ मनोरंजन भी करते हैं. चीन सीमा पर तैनात ITBP के महिला और पुरुष कमांडो गाने गाकर जवानों और अपने साथियों की हौसला अफजाई करते हैं. भारत-चीन सीमा पर हालांकि रात के वक्त निगरानी करना संभव नहीं है, क्योंकि मौसम ऐसा होता है कि उससे लड़ना संभव नहीं है. लेकिन सुबह के वक्त चाहे महिला कमांडो हो या फिर पुरुष कमांडो, सुबह 4 बजे एलआरपी (लॉन्ग रेंज पेट्रोलिंग) और एसआरपी (शॉर्ट रेंज पेट्रोलिंग) के लिए बॉर्डर पर निकल जाते हैं, जिसको शाम 4 बजे तक खत्म कर दिया जाता है. चीन सीमा पर इस एसआरपी और एलआरपी के जरिए जवान अपने एरिया का डोमिनेशन करते हैं.
कुछ महत्वपूर्ण बिंदु -ः
1. सीमा पर आईटीबीपी की लगभग 700 महिला कमांडो तैनात हैं.
2. माना चौकी आईटीबीपी की माना घाटी की बेस चौकी है, यहां से पूरी घाटी पर नजर रखी जाती है. इससे आगे घसतोली, रत्ताकोना चौकियां हैं. सरस्वती नदी से लगी इन चौकियों से माना पास पर नजर रखी जाती है. 18000 फुट से भी ऊंचा मोटर मार्ग से जुड़ा पास है माना.
3. आईटीबीपी द्वारा लगातार 24 घंटे भारत-चीन सीमा पर पेट्रोलिंग होती है. बर्फीली सीमा पर पेट्रोलिंग, हाई एल्टीट्यूड माउंटेनियरिंग इक्विपमेंट के जरिए किया जाता है. रात में थर्मल इमेजर और नाईट विज़न डिवाइस का होता है उपयोग.
4. आईटीबीपी के हिमवीरों के लिए माइनस 40 डिग्री सेल्सियस में सीमा की निगरानी करना बेहद कठिन होता है. ऑक्सीजन की कमी, वातावरण में दबाव की कमी, भारी बर्फबारी, तेज हवा, मुश्किल भू क्षेत्र आदि समस्या बन जाते हैं. लेकिन अपनी असीम इच्छा शक्ति से हमारे ये जांबाज जवान लगातार ट्रेनिंग के जरिए खुद को हालात के प्रति एक्लिमटाइज कर लेते हैं.
5. आईटीबीपी में सभी इन्फैंट्री वेपन हैं, जिनमें मोर्टार, एमएमजी, एलएमजी, स्माल आर्म्स आदि होते हैं. हाल ही में देसी AK-47 घातक भी ITBP ने खरीदा है.
6 .चौकियों पर बर्फ गिरने से पहले लगभग 6 महीने संख्या के हिसाब से राशन, तेल आदि का भंडारण करना होता है, क्योंकि सभी सप्लाई रूट बंद हो जाते हैं.