तोक्यो: जापान की संसद ने सोमवार (4 दिसंबर) को घोषणा की कि उत्तर कोरिया का मिसाइल परीक्षण जापान के लिये ‘आसन्न खतरा’ है. प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने कहा कि उत्तर कोरिया से बातचीत निरर्थक है. उच्च सदन ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें उत्तर कोरिया के अंतर महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल के परीक्षण को लेकर विरोध जताया गया. यह मिसाइल जापान के आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) में सागर में गिरा था. इस परीक्षण ने दर्शाया कि प्योंगयांग अपने परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम को जारी रखने को लेकर प्रतिबद्ध है और ‘‘जापान समेत क्षेत्र की सुरक्षा के लिये अप्रत्याशित, महत्वपूर्ण और सन्निकट खतरा है.’’
प्रस्ताव में कहा गया, ‘‘यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिये एक चुनौती है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिये.’’ गत बुधवार को मिसाइल प्रक्षेपण के बाद कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव काफी बढ़ गया है. सोमवार को अमेरिका और दक्षिण कोरिया ने सबसे बड़ा संयुक्त हवाई युद्धाभ्यास शुरू किया था. इसे प्योंगयांग ने ‘बड़ा उकसावा’ करार दिया था. आबे ने उत्तर कोरिया पर दबाव डालने का संकल्प लिया ताकि वह अपना रास्ता बदले और अपने मिसाइल एवं परमाणु प्रौद्योगिकी कार्यक्रम को ‘अपरिवर्तनीय’ तरीके से त्याग दे.
उन्होंने उच्च सदन में कहा, ‘‘उत्तर कोरिया पर अपनी नीतियां बदलने का दबाव डालने के लिये हमें अपनी कूटनीति में ठोस रवैया अपनाना चाहिये.’’ आबे ने कहा, ‘‘बातचीत के लिये बातचीत निरर्थक है.’’ उत्तर कोरिया को लेकर वैश्विक चिंता इस साल बढ़ गई है. वॉशिंगटन ने पिछले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र सदस्यों से आह्वान किया था कि वे उसके साथ संबंध विच्छेद करें ताकि उत्तर कोरिया को मजबूर किया जा सके.
उत्तर कोरिया द्वारा अपने सबसे ताकतवर मिसाइल का परीक्षण किए जाने के दो दिन बाद देश की शानदार तकनीकी उपलब्धि की तस्वीर साफ साफ सामने आ गई है और इसके साथ ही यह सवाल उठ रहा है कि क्या इससे अमेरिका को खतरा हो सकता है. हालांकि इस बारे में कई सवाल बाकी हैं, लेकिन सरकार ने इस बात से सहमति जताई है कि ताकतवर ह्वासोंग-15 आईसीबीएम कोरिया के लिए एक मील का पत्थर है, और यह उत्तर कोरिया को परमाणु आधारित लंबी दूरी की मिसाइलों के एक व्यवहार्य शस्त्रागार के लक्ष्य के बहुत करीब पहुंचा देगा.
दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार (1 दिसंबर) को सांसदों को पेश एक रिपोर्ट में बताया कि उत्तर कोरिया ने बुधवार (29 नवंबर) को द्विस्तरीय तरल ईंधन वाले मिसाइल का परीक्षण किया था. यह मिसाइल 13 हजार किलोमीटर तक मार करने की क्षमता रखता है और इस वजह से अमेरिका इसकी जद में आ सकता है.
मंत्रालय ने बताया कि यह मिसाइल उत्तर कोरिया के पहले के आईसीबीएम, द ह्वासोंग-14 से बड़ा है और यह बड़ा आयुध ले जाने में सक्षम है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ह्वासोंग-15 के परीक्षण के बाद उत्तर कोरिया के उस दावे की पुष्टि हो गई है कि नया मिसाइल ‘‘बहुत बड़े और भारी परमाणु हथियार’’ ले जा सकता है. अंतरराष्ट्रीय रणनीतिक अध्ययन संस्थान के एक विश्लेषक माइकल एलीमैन ने बताया कि ऐसा लगता है कि ह्वासोंग-15, एक हजार किलोग्राम भार अमेरिका में किसी स्थान पर गिराने में सक्षम है.