भारत और अमेरिका परंपरागत, वैकल्पिक व नवीनीकृत ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग का दायरा कई गुना बढ़ाने वाले हैं। अमेरिका प्रवास के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी ऊर्जा कंपनियों से होने वाली मुलाकात में ऊर्जा क्षेत्र में बड़े निवेश का रास्ता खुलेगा।
‘मेक इन इंडिया’ के तहत अमेरिकी कंपनियों को भारत में निवेश के लिए राजी करने की योजना पर काम चल रहा है। साथ ही भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए दोनों देशों की कंपनियां मिलकर काम कर सकती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका यात्रा के दौरान एक दर्जन से ज्यादा अमेरिकी ऊर्जा कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। इससे अरबों डॉलर के नए निवेश की संभावना बढ़ेगी।
सूत्रों के मुताबिक भारत-अमेरिका के बीच कारोबारी रिश्तों को नई ऊंचाई देने में ऊर्जा अहम कारक है। रणनीतिक ऊर्जा साझेदारी के जरिए दोनों देश ऊर्जा जरूरतों का लक्ष्य साझा तरीके से पूरा करने की दिशा में काम कर रहे हैं। ऊर्जा के परंपरागत साधनों से प्रदूषण रहित ऊर्जा की ओर बढ़ने की भारत की प्रतिबद्धता से दोनों देशों के संबंध नया मुकाम हासिल करेंगे। भारत का मानना है कि ऊर्जा क्षेत्र में निवेश से अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में काफी मदद मिल सकती है। प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान भारत में ऊर्जा क्षेत्र में मौजूद संभावनाओं के बारे में अमेरिकी कंपनियों को अवगत कराने के साथ ही उन्हें निवेश के लिए आमंत्रित किया जाएगा।
15 साल में 4.5% बढ़ेगी ऊर्जा खपत : सूत्रों की मानें तो भारत में अगले 15 वर्षों में साढ़े चार फीसदी के आसपास की दर से ऊर्जा खपत बढ़ेगी। अगले 20 वर्षों के लिए एक अनुमान के मुताबिक विश्व भर में ऊर्जा खपत का करीब दस से 11% तक भारत में खर्च हो सकता है। इस लिहाज से भारत में ऊर्जा का एक बड़ा बाजार है। ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए वैकल्पिक व नवीनीकृत ऊर्जा क्षेत्र सबसे बड़ा जरिया हो सकता है।
175 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य : भारत ने 2022 तक करीब 175 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य तय किया है। इसमें सौर ऊर्जा की हिस्सेदारी 100 गीगावॉट तय की गई है। सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भारत विश्व में नेतृत्वकारी भूमिका निभा रहा है। सूत्रों ने कहा कि भारत और अमेरिका ने 2017 में ऊर्जा क्षेत्र में हुए रणनीतिक समझौते के बाद से लंबी छलांग लगाई है। दोनों देश ऊर्जा सहयोग के लिए मजबूती से अपने कदम आगे बढ़ा रहे हैं। कई अमेरिकी कंपनियों ने भारत में ऊर्जा क्षेत्र में निवेश की इच्छा जताई है।
75 देशों के राष्ट्राध्यक्षों से मिलेंगे प्रधानमंत्री
‘संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र में भारत की भागीदारी और पहुंच अभूतपूर्व रहेगी। इसमें प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी के ठोस व वास्तविक परिणाम नजर आएंगे।’ यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने गुरुवार रात यह बात कही। मोदी का सात दिवसीय अमेरिकी दौरा शनिवार से शुरू हो रहा है। इस दौरान वह ह्यूस्टन में ‘हाउडी मोदी कार्यक्रम’ के जरिये भारतीय-अमेरिकी समुदाय के लोगों की भीड़ से रूबरू होने के साथ ही यूएन महासभा को संबोधित करेंगे। उनका जलवायु परिवर्तन सम्मेलन सहित नौ उच्च स्तरीय शिखर सम्मेलनों में हिस्सा लेने के साथ ही विभिन्न मंचों पर दुनिया के 75 देशों के राष्ट्राध्यक्षों से द्विपक्षीय या बहुपक्षीय मुलाकातों का भी कार्यक्रम है।
ट्रंप की मौजूदगी मील का पत्थर बनेगी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मौजूदगी एक नया मील का पत्थर साबित होगी। यह पहला मौका होगा, जब कोई अमेरिकी राष्ट्रपति उनके साथ भारतीय-अमेरिकी समुदाय के कार्यक्रम में हिस्सा लेगा।
कश्मीर मुद्दा उठाकर पाक और नीचे गिरेगा
अकबरुद्दीन ने कहा, पाकिस्तान अगर यूएन सत्र में कश्मीर मुद्दा उठाता है तो वह अपना स्तर और नीचे गिराएगा, जबकि भारत का स्तर ऊपर उठेगा। मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि यह ज्यादा समय तक नहीं चलने वाला। पाक पीएम ने 27 सितंबर को यूएन में कश्मीर उठाने की बात कही है।
पाक प्रधानमंत्री इमरान 23 को डोनाल्ड ट्रंप से मिलेंगे
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की 23 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर न्यूयॉर्क में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से द्विपक्षीय मुलाकात हो सकती है। ‘डॉन’ ने कूटनीतिक सूत्रों के हवाले से शुक्रवार को प्रकाशित खबर में यह दावा किया। अखबार के मुताबिक ट्रंप और मोदी ह्यूस्टन में ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में 50 हजार से अधिक भारतीय-अमेरिकियों को संबोधित करेंगे। उसी दिन इमरान अमेरिका पहुंचेंगे। अगले दिन उनकी ट्रंप से मुलाकात होगी।