शिव रुद्राभिषेक का महत्व,शिव अभिषेक कैसे करे? अभिषेक के अनेक लाभों के बारे में बतायेगें!!!!!!! रुद्राभिषेक अर्थात रूद्र का अभिषेक करना यानि कि शिवलिंग पर रुद्रमंत्रों के द्वारा अभिषेक करना। जैसा की वेदों में वर्णित है शिव और रुद्र परस्पर एक दूसरे के पर्यायवाची हैं। शिव को ही रुद्र कहा जाता है। क्योंकि- रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र: यानि की भोले सभी दु:खों को नष्ट कर देते हैं। हमारे धर्मग्रंथों के अनुसार हमारे द्वारा किए गए पाप ही हमारे दु:खों के कारण हैं। रुद्राभिषेक करना शिव आराधना का सर्वश्रेष्ठ तरीका माना गया है।…
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आध्यात्मिक ज्ञान- किस देवता के थे कितने और कौन-से पुत्र जानिए!
हम देवताओं के बारे में तो जानते हैं लेकिन उनके परिवार के बारे में बहुत कम लोगों को पता है। हिंदू धर्म का जो शास्त्रोक्त ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं उन्हें संपूर्ण जानकारी होती है किंतु हम जिन्हें इष्ट देव मानते हैं उनके परिवार के बारे में भी पूरी तरह से नहीं जानते। आज हम आपको देवताओं के पुत्र के बारे में विस्तृत रूप से बताएंगे। हिन्दू धर्म में प्राचीनकाल के मानवों में देव (सुर) और दैत्य (असुर) दो तरह के भेद के अलावा और भी कई तरह के भेद…
पद्मा एकादशी : इस दिन करवट बदलते हैं श्री हरि विष्णु-वामन रूप की होती है पूजा
भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को पद्मा एकादशी कहा जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि यह ऐसी एकादशी है जिसमें देवी-देवता भी व्रत रखते हैं। चतुर्मास में शयन के दौरान इस दिन भगवान विष्णु करवट बदलते हैं। इसलिए चतुर्मास की यह एकादशी विशेष फलदायी मानी जाती है। इस एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी भी कहा जाता है। इस शुभ दिन भगवान विष्णु और उनके वामन रूप की पूजा की जाती है। इस व्रत के प्रभाव से व्रती, बैकुंठ धाम को प्राप्त करता है। इस एकादशी का व्रत…
भगवान विष्णु को कैसे मिला सुदर्शन चक्र?
एक बार की बात है, राक्षसों का अत्याचार बहुत बढ़ गया था। कोई भी धार्मिक कार्य करना मुश्किल हो गया था। राक्षसों ने पूरी पृथ्वी पर आतंक मचा रखा था। राक्षस स्वर्ग पर भी अपना अधिकार जमाना चाहते थे। देवराज इंद्र उस समय स्वर्ग के राजा थे, वो स्वर्ग के सभी देवतागणों को लेकर भगवान विष्णु के पास गए। उन्होंने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। देवता बोले “हे प्रभु! आप हमें राक्षसों के प्रकोप से मुक्ति दीजिए।” भगवान विष्णु को पता था कि भगवान शिव ही इस समस्या का समाधान…
भगवान श्री गणेश और धन के देवता कुबेर की कहानी
हिन्दू धर्म के अनुसार कुबेर धन और वैभव के देवता हैं। माना जाता है कि उनके पास ढेर सारा धन है और यह आपने सुना ही होगा कि जरूरत से अधिक पैसा व्यक्ति को अंधा बना देता है। बिलकुल ऐसा ही कुछ धन के देवता कुबेर के साथ भी हुआ। उन्हें लगने लगा कि तीनों लोकों में सबसे ज्यादा धन उन्ही के पास है और उन्हें इस बात पर घमंड होने लगा। एक दिन अपने धन का दिखावा करने के लिए धन के देवता कुबेर ने महाभोज का आयोजन किया।…
आज तक कोई नहीं जान पाया इन्हें !-हनुमान जी और शनि देव के गुप्त रहस्य
हिन्दू धर्म में पवन पुत्र हनुमान जी को संकट मोचन के रूप में पूजा जाता है तथा वही शनि देव को दण्डाधिकारी माना जाता है जो व्यक्ति के बुरे कर्मो की उन्हें सजा देते है. तथा दोनों ही देवो का महादेव शिव के साथ गहरा सम्बन्ध है. हनुमान जी महादेव शिव के 11 वे रूद्र अवतार है वही शनिदेव के गुरु स्वयं साक्षात् महादेव शिव थे तथा भगवान शिव से शनिदेव को शक्तियां प्राप्त हुई थी. इसके साथ जो भी व्यक्ति महादेव शिव का पूजन करता है उसे शनि देव…
यमराज की मृत्यु का रहस्य..!
कहते हैं कि कालब्रह्म ने या कहें कि सर्वोच्च ईश्वर ने मनुष्य को मिट्टी से, देवताओं को प्रकाश से और देवताओं के विपरीत शक्तियों को आग से बनाया है। यह भी माना जाता है कि कोई भी आत्मा विकास क्रम में आगे बढ़कर ही पितर, देवी या देवता बनती है। यह भी माना जाता है कि प्राचीनकाल में सभी देवता सशरीर धरती पर ही रहते थे और उन्हीं का तब शासन भी था। देवता और असुरों में युद्ध होता रहता था। यह भी कहा जाता है कि उस काल के…
आत्मा ही अपना गुरु है
श्रीमद्भागवत पुराण में प्रसंग आता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण द्वारका को छोडक़र जाने लगते हैं तब भगवान कृष्ण के परम भक्त उद्धव उनसे प्रश्न करते हैं ‘हे भूमन! हे सर्वात्मन! मेरा विचार ऐसा है कि विषयी लोगों के लिए कामनाओं का त्याग दुष्कर है। विशेष कर के आप में जिनकी भक्ति नहीं है, उन पुरुषों के लिए तो वह और भी कठिन है। हे नाथ! इसी तरह ‘मैं भी हूं।’ ‘यह मैं हूं, ‘यह मेरा है’ ऐसी मूढ़ बुद्धि से युक्त होकर मैं आप की माया से रची हुई देह…
ऐतरेय ब्राह्मण की कथा
मांडुकी नाम के एक ऋषि थे, उनकी पत्नी का नाम इतरा था। वे दोनों ही भगवान के भक्त थे तथा अत्यंत पवित्र जीवन व्यतीत कर रहे थे। दोनों ही एक-दूसरे का ध्यान रखते थे तथा हंसी-ख़ुशी से समय काटते थे। दुःख था तो केवल एक कि उनके कोई संतान नहीं थी। सोच-विचार के पश्चात पुत्र प्राप्ति की इच्छा से दोनों ने कठिन तपस्या की तथा भगवान से बार-बार पुत्र के लिए प्रार्थना की। आखिर कुछ समय पश्चात भगवान ने उनकी तपस्या तथा प्रार्थना से प्रसन्न होकर उनकी इच्छा को पूरा…
आखिर क्या है रामायण में एक घास के तिनके का रहस्य ?
एक बार की बात है रावण माता सीता के पास अशोक वाटिका में गए और बोले रावण सीता से बोला मैं तुमसे सीधे सीधे संवाद करता हूँ लेकिन तुम कैसी नारी हो की मेरे आते ही घास का तिनका उठाकर उसे ही घूर घूर कर देखने लगती हो,क्या घास का तिनका तुम्हें राम से भी ज्यादा प्यारा है रावण के इस प्रश्न को सुनकर माँ सीता जी बिलकुल चुप हो गयी,और आँख से आसुओं की धार बह पड़ी”अब इस प्रश्न का उत्तर समझो” -जब श्री राम जी का विवाह माँ सीता…