सावन का पहला सोमवार 22 जुलाई से

अगर आप भी सोच रहे हैं कि 2019 में सावन कब है या साल 2019 में सावन कब से शुरू हो रहा है, तो आपको बता दें कि इस साल 17 जुलाई से सावन का महीना शुरू हो रहा है. सावन का पहला सोमवार 22 जुलाई को और सावन का अंतिम दिन 15 अगस्त को होगा. सावन का महीना शुरू हो गया है. बस लोगों को इतजार है तो मानसून के आने का. दिल्ली में जहां बादल हल्के बरस कर लोगों को तरसा रहे हैं. सावन में शिव भक्त आराधना…

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12 जुलाई: देवशयनी एकादशी अद्भुद अलौकिक दिव्य

हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह एकादशी हर साल जुलाई महीने में आती है। इस बार देवशयनी एकादशी 12 जुलाई को है। कहते हैं भगवान श्री हरि विष्णु क्षीरसागर में शयन करते हैं और चार माह बाद उन्हें उठाया जाता है। चार महीने बाद देवउठान एकादशी के दिन गवान श्री हरि विष्णु उठेंगे। इस चार महीने के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। चार महीने बाद देवउठान एकादशी से सभी मंगल…

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जुलाई 04 : पुण्यतिथि है स्‍वामी विवेकानंद की:-जाने यह दिव्य अलौकिक विचरा आप का जीवन बदल देंगे

नई दिल्ली: महान दार्शनिक स्‍वामी विवेकानंद की आज पुण्यतिथि है. 39 वर्ष की उम्र में 4 जुलाई 1902 को उनका निधन हो गया था. स्‍वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता में हुआ था. स्‍वामी विवेकानंद का वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था. स्‍वामी विवेकानंद  ने न सिर्फ भारत के उत्‍थान के लिए काम किया बल्‍कि लोगों को जीवन जीने की कला भी सिखाई. स्‍वामी विवेकानंद  का जीवन बड़ा ही संघर्षमयी था. मात्र 25 साल की उम्र में अपने गुरु से प्रेरित होकर उन्‍होंने सांसारिक मोह-माया त्‍याग दी और…

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क्या आप भी नहीं खाते जमीं पर बैठकर खाना-जाने क्या फायदे है

ज़मीन पर बैठकर खाना खाने के फायदे – आपने अक्सर ही घर के बड़े-बुजुर्गों को ये कहते सुना होगा कि अपने वक्त में तो हम ज़मीन पर बैठकर ही खाना खाया करते थे, उसकी तो बात ही कुछ और थी। आपने भी कभी किसी धार्मिक प्रसंग में या कभी कहीं और, ज़मीन पर बैठकर खाना खाया होगा लेकिन ये आपकी रोज़ की आदतों में शुमार नहीं होगा। वैसे इसमें ग़लती आपकी भी नहीं है, आजकल के ज़माने में शायद ही कोई फैमिली ऐसी होगी जहां लोग ज़मीन पर बैठकर खाना…

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मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने के-क्या फायदे है

एक समय था, जब घरों में लोग भोजन पकाने और परोसने के लिए मिट्टी के बर्तन इस्तेमाल किया करते थे। लेकिन आगे चलकर वह परंपरा बस दही की हांडी और मटकों तक सीमित रह गई, लेकिन अब यह ट्रेंड फिर से दिखाई दे रहा है। लोगों का रुझान मिट्टी के बने बर्तनों की ओर बढ़ रहा है। ऐसा करना स्वास्थ्य के लिहाज से भी काफी फायदेमंद होता है। मिट्टी में कई गुण पाए जाते हैं। अधिकांश धातुएं मिट्टी में ही पाई जाती हैं। जब हम मिट्टी के बर्तन में खाना…

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क्यों परहेज़ करते प्याज लहसुन खाने से संत लोग?

पंडित या ब्राह्मण लहसुन-प्याज़ नहीं खाते हैं ये तो आप सब जानते हैं, मगर क्यों नहीं खाते इसकी वजह शायद ही किसी को पता होगी, क्योंकि आजतक हमारे बड़े-बुज़ुर्गों ने इसकी वजह नहीं बताई, बस कह दिया ब्राह्मण लहसुन-प्याज़ नहीं खाते. दरअसल, इसके पीछे कई मान्यताएं और कहानियां हैं. चलिए इनमें से कुछ के बारे में आज हम आपको बताते हैं. एक मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब समुद्र से अमृत का कलश निकला था, तब विष्णु भगवान सभी देवताओं को अमर होने के लिए अमृत बांट रहे…

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सोमनाथ मंदिर से जुड़े रहस्य..!

सोमनाथ मंदिर से जुड़े रहस्य..! दोस्तों आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बतला रहे हैं जिसका निर्माण किसने किया और यह कब बनाया गया इसकी जानकारी आज तक किसी को नहीं हो पाई है। जिस मंदिर को मुगलों ने कई बार लूटा, कई विदेशी ताकतों ने इस मंदिर को जड़ से उखाड़ फेंकने की नाकाम कोशिश की, कई बार इस मंदिर की संपत्ति को लूटा गया, जितना बार इस मंदिर को नष्ट करने के लिए दुष्ट पैदा हुए, उतने ही बार इस मंदिर के पुनः निर्माण के…

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पित्र पक्ष 2018, पूर्णिमा तिथि पर आज से शुरू हुआ श्राद्ध, जानिए तर्पण का समय

24 सितंबर यानी आज सोमवार से पितृपक्ष शुरू हो चुका है, इस दिन हिंदू धर्म में लोग अपने पूर्वजों की पिंड दान करते हैं. जिनके मृत्यु पूर्णिमा के दिन हुई होती है, पितृपक्ष के पहले दिन उनका पिंडदान किया जाता है. लेकिन पिंडदान से पहले ये पता होना जरूरी होता है कि कौन सा समय इस कार्य के लिए शुभ है. नई दिल्ली: हिंदू धर्म में पितृपक्ष को लोग बहुत मानते हैं, इस दिन पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए लोग तर्पण करवाते हैं. तर्पण के साथ- साथ लोग अपने…

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ईश्वर की सबसे बड़ी भक्ति का सब से बड़ा पुण्य।

एक राजा बहुत बड़ा प्रजापालक था, हमेशा प्रजा के हित में प्रयत्नशील रहता था. वह इतना कर्मठ था कि अपना सुख, ऐशो-आराम सब छोड़कर सारा समय जन-कल्याण में ही लगा देता था . यहाँ तक कि जो मोक्ष का साधन है अर्थात भगवत-भजन, उसके लिए भी वह समय नहीं निकाल पाता था. एक सुबह राजा वन की तरफ भ्रमण करने के लिए जा रहा था कि उसे एक देव के दर्शन हुए. राजा ने देव को प्रणाम करते हुए उनका अभिनन्दन किया और देव के हाथों में एक लम्बी-चौड़ी पुस्तक…

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