सरकारी बैंकों में अतिरिक्त पूंजी डालने की रुपए को मजबूती मिल सकती है. मॉर्गन स्टैनली ने अपनी एक रिपोर्ट में यह उम्मीद जाहिर की है. रिपोर्ट के अनुसार, रीकैपिटलाइजेशन से निजी क्षेत्र फिर से पूंजीगत खर्च करना शुरू करेगा. घरेलू शेयर बाजारों में विदेशी निवेशकों की रुचि बढ़ेगी. मॉर्गन स्टैनली के मुताबिक, मजबूत ग्रोथ और भारतीय रुपए का शेयर बाजारों के साथ अंतर्संबंध इसे और आगे मजबूत करने में मदद करेगा.
रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी के बाद बैंकों के NPA में कमी आई. लेकिन इसकी रफ्तार में सुधार आने के बाद पूंजी डालने की योजना बैंकों की उनके फंसे कर्ज (NPA) की समस्या से निपटने में मदद करेगी. साथ ही नए कर्ज बांटने में भी सहायता करेगी. इससे देश में निजी क्षेत्र के पूंजीगत निवेश बढ़ेगा.
मॉर्गन स्टैनली के मुताबिक इस घोषणा का राजकोषीय घाटे और महंगाई पर असर पड़ने की आशंका नहीं है. इकोनॉमिक ग्रोथ के मानकों पर सकारात्मक असर पड़ने की उम्मीद है. मॉर्गन स्टैनली ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए भारत की विकास दर का अपना अनुमान बढ़ाकर 7.5 फीसदी कर दिया है. वहीं, रुपया डॉलर के मुकाबले 65 रुपए के आस-पास बना हुआ है.
सरकार ने मंगलवार को एनपीए की समस्या से जूझ रहे सरकारी बैंकों में दो साल में 2.11 लाख करोड़ रुपए की पूंजी डालने की घोषणा की थी. इसमें से 1.35 लाख करोड़ रुपए रीकैपिटलाइजेशन बांड से दिए जाएंगे. बाकी 76,000 करोड़ रुपए में से कुछ बजटीय सहायता के रूप में और कुछ बैंक बाजार से जुटाएंगे.