UNSC : गाजा में जंग रोकने के विरोध में यूएन ने किया वीटो तो भड़के मुस्लिम देश, सऊदी अरब ने जताई भारत की UN में दावेदारी

गाजा में सीजफायर को लेकर अमेरिका द्वारा विरोध में वीटो करने पर मुस्लिम देश भड़क उठे हैं। इसी बीच सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने भारत की यूएन में स्थाई दावेदारी का समर्थन किया है।

UNSC : इजराइल और हमास में जोरदार जंग जारी है। गाजा पट्टी युद्ध का मैदान बनी हुई है। इसी बीच गाजा में सीजफायर को लेकर यूएन में एक प्रस्ताव लाया गया, जिसके विरोध में अमेरिका ने वीटो कर दिया। इस पर मुस्लिम देश भड़क गए हैं। सऊदी अरब तो अमेरिका से नाराज होकर भारत के समर्थन में आ गया है। सऊदी अरब ने यूएन सुरक्षा परिषद में भारत की दावदेदारी का समर्थन किया है।

UN सुरक्षा परिषद में सुधारों की मां लगातार उठ रही हैं। भारत ने भी यूएन के वर्तमान समय में अस्तित्व पर सवाल उठाए हैं। लंबे समय से भारत इस बात की लड़ाई लड़ रहा है कि एक लोकतांत्रिक विकासशील देश होने के नाते, जिसकी जनसंख्या 140 करोड़ है, वह यूएन में स्थाई दावेदारी लंबे समय से करता आ रहा ह। इसी बीच गाजा में इजराइल और हमास की जंग को लेकर यूएन में जंग रोकने के प्रस्ताव पर अमेरिका ने वीटो कर दिया है। इसी बीच अरब ने यूएन में भारत की स्थाई दावेदारी का समर्थन किया है। सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने भारत की दावेदारी का समर्थन करते हुए एक बयान में कहा, ‘दुनिया में शांति और सुरक्षा बनाए रखने में विश्वसनीयता और दोहरे मानकों के बिना अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए सुरक्षा परिषद में सुधार की अब पहले से ज्यादा जरूरत है।’

वीटो करने के कारण अमेरिका पर भड़के मुस्लिम देश

गाजा में सीजफायर के प्रस्ताव पर अमेरिका ने वीटो कर दिया था। इससे मुस्लिम देश नाराज हैं। खाड़ी सहयोग परिषद और इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) ने इसे लेकर अफसोस जताया है। यही कारण है कि सऊदी अरब ने नाराजगी दिखाते हुए यूएनएससी में सुधार की मांग की है। अल्जीरिया की ओर से 20 फरवरी को यह प्रस्ताव लाया गया था। इसमें बिना शर्त सभी बंधकों की तत्काल रिहाई और साथ ही गाजा में निर्बाध मानवीय पहुंच की मांग की गई थी। यह दूसरी बार है जब अमेरिका ने इजरायल से जुड़े प्रस्ताव को रोका है। दिसंबर की शुरुआत में भी यह रोका गया था।

 वैश्विक व्यवस्था में बदलाव की जरूरत: जयशंकर

भारतीय विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने गुरुवार को चीन पर अप्रत्यक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए कहा कि वैश्विक व्यवस्था में तत्काल बदलाव की जरूरत है। लेकिन यूएनएससी में सुधारों का सबसे बड़ा विरोधी को पश्चिमी देश नहीं है। रायसीना डायलॉग में एक पैनल डिस्कशन में बोलते हुए उन्होंने कहा, ‘जब यूएन बनाया गया था तो इसमें लगभग 50 सदस्य थे। अब इससे चार गुना सदस्य हैं। तो यह एक कॉमन सेंस की बात है कि यह पहले की ही तरह जारी नहीं रह सकता।’

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