अंसल बंधुओं को: अब नहीं जाना होगा जेल-उपहार सिनेमा अग्निकांड

उपहार सिनेमा अग्निकांड में अंसल बंधुओं को बड़ी राहत मिली है। 1997 में हुए उपहार सिनेमा अग्निकांड में पीड़ितों के पक्ष से दायर क्यूरेटिव पिटिशन को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इस मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ कह दिया कि रियल इस्टेट कारोबारी अंसल बंधुओं (सुशील अंसल और गोपाल अंसल) की सजा अब आगे नहीं बढ़ाई जाएगी। साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने अंसल बंधुओं पर 30-30 लाख का जुर्माना लगाकर उन्हें रिहा कर दिया था।

दरअसल, पीड़ित पक्ष की ओर से अंसल बंधुओं को जेल में भेजे जाने की मांग की गई थी। मगर सुप्रीम कोर्ट ने इसे ठुकरा दिया। गौरतलब है कि 13 जून, 1997 को उपहार सिनेमा में हिन्दी फिल्म ‘बॉर्डर’ के प्रदर्शन के दौरान आग लगने से 59 लोगों की मौत हो गई थी।

क्या हुआ था उस दिन उपहार सिनेमा में:
साल 1997 में 13 जून को राजधानी दिल्ली के ग्रीन पार्क स्थित उपहार सिनेमाघर में आग लगने से 59 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इस भीषण अग्निकांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। उपहार सिनेमा में ‘बॉर्डर’ फिल्म लगी थी। लोग फिल्म देख रहे थे उसी दौरान सिनेमाघर के ट्रांसफार्मर कक्ष में आग लग गई, जो तेजी से अन्य हिस्सों में फैली। घटना की जांच के दौरान पता चला था कि सिनेमाघर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं थे।

पढ़ें उपहार अग्निंकांड मामले में कब-क्या हुआ

3 जून 1997- उपहार सिनेमा में बॉर्डर फिल्म देख रहे 59 लोगों की आग में जलने से मौत हो गई।

22 जुलाई 1997- पुलिस ने उपहार सिनेमा मालिक सुशील अंसल व उसके बेटे प्रणव अंसल को मुंबई से गिरफ्तार किया।

24 जुलाई 1997- मामले की जांच दिल्ली पुलिस से सीबीआइ को सौंपी गई।

15 नवंबर 1997- सीबीआइ ने सुशील अंसल, गोपाल अंसल सहित 16 लोगों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दायर की।

10 मार्च 1999- दिल्ली के एक सेशन कोर्ट में केस का ट्रायल शुरू हुआ।

27 फरवरी 2001- अदालत ने सभी आरोपियों पर गैर इरादतन हत्या, लापरवाही व अन्य मामलों के तहत आरोप तय किए।

23 मई 2001- गवाहों की गवाही का दौर शुरू हुआ।

4 अप्रैल 2002- दिल्ली हाईकोर्ट ने निचली अदालत को मामले का जल्द निपटारा करने का आदेश दिया।

27 जनवरी 2003- अदालत ने अंसल बंधुओं की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने उपहार सिनेमा को वापस सौंपे जाने की मांग की थी। अदालत ने कहा कि सिनेमाघर अग्नि कांड केस में अहम सबूत है और मामले के निपटारे तक इसे सौंपा नहीं जा सकता।

24 अप्रैल 2003- हाईकोर्ट ने 18 करोड़ रुपए का मुआवजा पीड़ितों के परिवार वालों को दिए जाने का आदेश जारी किया।

4 सितंबर 2004- अदालत ने आरोपियों के बयान दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की।

5 नवंबर 2005- बचाव पक्ष के गवाहों की गवाही शुरू हुई।

2 अगस्त 2006- बचाव पक्ष के गवाहों की गवाही पूरी।

9 अगस्त 2006- दिल्ली सेशन कोर्ट जज ममता सहगल ने उपहार सिनेमा का निरीक्षण किया।

14 फरवरी 2007- केस में अंतिम जिरह शुरू हुई।

21 अगस्त 2007- उपहार कांड पीड़ितों के संगठन ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मामले का जल्द निपटारा किए जाने की मांग की।

21 अगस्त 2007- दिल्ली सेशन कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा।

20 नवंबर 2007- अदालत ने सुशील व गोपाल अंसल सहित 12 आरोपियों को दोषी करार दिया। सभी को दो साल कैद की सजा सुनाई।

4 जनवरी 2008- हाईकोर्ट से अंसल बंधुओं व दो अन्य को जमानत मिली।

11 सितंबर 2008- सुप्रीम कोर्ट ने अंसल बंधुओं की जमानत रद्द की और उन्हें तिहाड़ जेल भेजा गया।

17 नवंबर 2008- दिल्ली हाईकोर्ट ने अंसल बंधुओं की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा।

19 दिसंबर 2008- हाईकोर्ट ने अंसल बंधुओं की सजा को दो साल से घटाकर एक साल कर दिया और छह अन्य आरोपियों की सजा को बरकरार रखा।

30 जनवरी 2009- उपहार कांड पीड़ितों के संगठन ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने अंसल बंधुओं को नोटिस जारी किया।

31 जनवरी 2009- सीबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट में भी अभियुक्तों की सजा को बढ़ाए जाने की मांग की।

17 अप्रैल 2013- सुप्रीम कोर्ट ने अंसल बंधुओं, उपहार कांड पीड़ितों व सीबीआइ की याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया।

5 मार्च 2014- सुप्रीम कोर्ट ने अंसल बंधुओं की सजा को बरकरार रखा।

19 अगस्त 2014- सुप्रीम कोर्ट ने अंसल बंधुओं पर 30-30 लाख का जुर्माना लगाकर उन्हें रिहा कर दिया।

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