नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने जस्टिस एस अब्दुल नजीर और उनके परिजनों को ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा प्रदान करने का फैसला किया है। खुफिया एजेंसियों ने एफपीआई और अन्य संगठनों से उनकी जान को खतरा बताया था। वे अयोध्या मामले पर गठित पांच सदस्यीय पीठ के सदस्य थे। गृह मंत्रालय ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) और स्थानीय पुलिस को जस्टिस नजीर और उनके परिवार को सुरक्षा देने के निर्देश दिए हैं। सरकार ने इससे पहले 9 नवंबर को फैसला आने से पहले सीजेआई गोगोई को ‘जेड प्लस’ सुरक्षा दी थी।
अधिकारियों के मुताबिक, सुरक्षाबलों और स्थानीय पुलिस कर्नाटक और देश के अन्य हिस्सों में एफपीआई की तरफ से खतरों को देखते हुए जस्टिस नजीर और उनके परिवार को तत्काल सुरक्षा प्रदान करेगी। जस्टिस नजीर जब बेंगलुरू, मंगलुरू और राज्य के किसी भी हिस्से में सफर करेंगे तो उन्हें कर्नाटक कोटे से ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की जाएगी। यही सुरक्षा उनके परिजनों को भी दिया जएगा। ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा में अर्द्धसैनिक और पुलिस के करीब 22 जवान तैनात होते हैं।
जस्टिस नजीर ट्रिपल तलाक पर गठित बेंच में भी शामिल थे
सुप्रीम कोर्ट ने बीते 9 नवंबर को अयोध्या मामले पर 2.77 एकड़ की विवादित जमीन राम मंदिर के निर्माण का आदेश दिया था और सरकार से मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन उपलब्ध कराने को कहा था। अयोध्या मामले के अलावा जस्टिस नजीर ट्रिपल तलाक पर गठित पांच सदस्यीय पीठ में भी सदस्य थे। इसे 2017 में असंवैधानिक करार दे दिया गया था। जस्टिस नजरी 17 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट में जज बनाए गए थे।