नई दिल्ली: एक तरफ विराट एंड कंपनी ने श्रीलंका के खिलाफ धमाल मचा रखा है, तो दूसरी तरफ चल रहे रणजी ट्रॉफी सेशन में एक खिलाड़ी ने अपने बल्ले से तूफान मचाकर रख दिया है. महज 28 दिन के भीतर ही इस बल्लेबाज ने वह कर दिखाया है कि राष्ट्रीय चयन समिति की भी आंखें चौंधिया गईं. वास्तव में कर्नाटक के सलामी बल्लेबाज मयंक अग्रवाल ने ऐसा कारनामा किया है, जो हर दूसरे या तीसरे घरेलू सत्र में नहीं ही होता. बड़े से बड़े अंतरराष्ट्रीय दिग्गज क्रिकेटर भी वह नहीं कर सके, जो मयंक ने इस जारी रणजी सेशन में कर दिखाया है.
मयंक अग्रवाल के एक इस तूफान की शुरुआत बहुत ही सामान्य हुई थी. गुजरे 14 अक्टूबर को असम के खिलाफ मयंक इस सेशन की अपनी पहली पारी में सिर्फ 31 रन ही बनाकर आउट हो गए थे. लेकिन इस पारी के करीब बीस दिन बाद ही मयंक ने महाराष्ट्र के खिलाफ बड़ा बम फोड़ डाला. मयंक पारी की शुरुआत करने उतरे और 304 रन बनाकर आखिर तक आउट नहीं हुए. तूफान अंगड़ाई ले चुका था. इस पारी के बाद मयंक के बल्ले से दे-दनादन रन बरसने शुरू हो गए. चाहे दिल्ली की टीम हो, या उत्तर प्रदेश, मयंक के बल्लेबाजों ने नामी-गिरामी टीमों के गेंदबाजों को भी अपने बल्ले की धमक अच्छी तरह सुनाई.
यह धमक थी एक नाबाद तिहरे शतक को मिलाकर पांच शतकों की. इनमें से तीन शतक पिछली तीन लगातार पारियों में आए हैं. इन शतकों की गूंज श्रीलंका के खिलाफ चल रही टेस्ट सीरीज के शोर के बीच राष्ट्रीय चयनकर्ताओं तक भी पहुंची. चयनकर्ताओं, भारतीय कप्तान विराट कोहली सहित पूरी टीम इंडिया तक मयंक अग्रवाल का ‘बड़ा तूफान’ पहुंच गया. अब इस तूफान ने टीम इंडिया के बल्लेबाज अजिंक्य रहाणे को भी टेंशन में डाल दिया है. बता दें कि अजिंक्य रहाणे रणजी ट्रॉफी के इतिहास में एक सेशन में सबसे ज्यादा रन बनाने के मामले में सातवें नंबर पर हैं. रहाणे ने 2008-09 के सेशन में 1089 रन बनाए थे.
वहीं, एक और पूर्व भारतीय क्रिकेटर एस श्रीराम ने साल 1999-2000 के सत्र में 1075 रन बनाए थे. लेकिन अब मयंक के बल्ले के तूफान इन दोनों के रिकॉर्डों पर पानी फेरने के लिए मंडरा रहा है. मयंक जारी सेशन में 6 मैचों में 133.00 के औसत से 1064 रन बना चुके हैं. अब जबकि कर्नाटक ने इस साल ग्रुप में शीर्ष पायदान के साथ क्वार्टरफाइनल में जगह पक्की कर ली है, तो मयंक के पास इन दोनों ही बल्लेबाजों का रिकॉर्ड तोड़ने का पूरा-पूरा मौका होगा. साथ ही एक और बड़ी पारी खेलकर सेलेक्टरों को यह भी बताने का अच्छा अवसर कि अगर खुदा न खास्ता कोई ओपनर चोटिल हो जाता है, तो वह टीम इंडिया के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.