नई दिल्ली: स्कूली छात्रों पर बस्ते का बोझ कम करने के लिये सरकार ‘ई बस्ता’ कार्यक्रम को आगे बढ़ा रही है. इसके जरिये छात्र अपनी रूचि और पसंद के मुताबिक पाठ्य सामग्री डाउनलोड कर सकेंगे. साथ ही स्कूलों में डिजिटल ब्लैकबोर्ड भी लगाया जाएगा. मानव संसाधन विकास मंत्रालय के मुताबिक, स्कूली बच्चों पर बस्ते के बढ़ते बोझ को कम करने के लिये यह कार्यक्रम शुरू किया गया था और छात्रों, शिक्षकों ने इसमें काफी रूचि दिखाई है. यह एक ऐसा प्लेटफार्म है जहां छात्र, शिक्षक एवं रिटेलर्स एक साथ मिलकर एक दूसरे की ज़रूरत को पूरा कर सकते हैं . ई -बस्ता के जरिये गाँव एवं छोटे शहरों के छात्र भी आसानी से इसका लाभ उठा सकते हैं.
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कुछ ही दिन पहले कहा था कि देशभर के छात्रों को डिजिटल शिक्षा पद्धति से जोड़ने की पहल के तहत आने वाले वर्षों में देश के सभी स्कूलों में ‘आपरेशन डिजिटल ब्लैक बोर्ड’ को लागू किया जायेगा. इसका मकसद देश के सभी छात्रों को डिजिटल शिक्षा पद्धति से जोड़ना है. राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) स्कूलों में पहली से 12वीं कक्षा के लिए ई सामग्री तैयार कर रही है. परिषद को यह काम एक वर्ष में पूरा होने की उम्मीद है.
एनसीईआरटी के आंकड़ों के अनुसार, ई-बस्ता के संदर्भ में अब तक 2350 ई सामग्री तैयार की जा चुकी है. इसके साथ ही 53 तरह के ई-बस्ते तैयार किये गए हैं. अब तक 3294 ई-बस्ता को डाउनलोड किया जा चुका है. इसके अलावा 43801 ई सामग्री डाउनलोड की जा चुकी है . मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने ई बस्ता के संबंध में एक एप भी तैयार किया है जिसके जरिये छात्र टैबलेट, एंड्रायड फोन आदि के माध्यम से सामग्री डाउनलोड कर सकते हैं. स्कूलों में डिजिटल शिक्षा को आगे बढ़ाने की इस पहल के तहत मंत्रालय ने कुछ समय पहले 25 केंद्रीय विद्यालयों में कक्षा आठ के सभी बच्चों को टैबलेट दिए जाने की एक प्रायोगिक परियोजना शुरू की थी.
देश के सुदूर क्षेत्रों में स्कूलों में ई-शिक्षा एवं डिजिटल शिक्षा सुगम बनाने की पहल के तहत ही पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के दौरान ‘आकाश टैबलेट’ परियोजना शुरू की गई थी. इस संबंध में टैबलेट तैयार भी किये गए थे लेकिन यह परियोजना सफल नहीं हो सकी. अब भारत सरकार ने ई-बस्ता के रूप में देश के छात्रों के लिये मदद का हाथ बढ़ाया है. यह एक सहयोगी मंच है जहाँ छात्र, शिक्षक और खुदरा पुस्तक विक्रेता सभी एक साथ आकर एक दूसरे की मदद कर सकते हैं. शिक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का हालांकि मानना है कि सस्ते टैबलेट और स्कूलों को इंटरनेट सुविधा से जोड़े बिना ऐसी परियोजना पूरी तरह से सफल नहीं हो सकती है.
ई-बस्ता को व्यवस्थित करने अर्थात पाठ्यक्रमों को छात्रों के मुताबिक व्यवस्थित करने और कमी बताने के लिए स्कूल प्रशासन और शिक्षक इन्हें लॉग इन कर सकते हैं और अपने निर्देश दे सकते हैं. ई-बस्ता तक किसी भी शहर अथवा गाँव के स्कूलों के छात्र पहुंच बना सकते हैं. वे इस ई-बस्ता में उपलब्ध सामग्री को पोर्टल अथवा एंड्राइड स्मार्ट फोन के जरिये एप्लीकेशन से डाउनलोड कर सकते हैं. डिजिटल रूप में उपलब्ध संसाधनों में टैक्स्ट, एनीमेशन, ऑडियो पुस्तकें और कई अन्य विशेषताओं वाले वीडियो भी शामिल हैं.