सूरज तक पहुंचने में इस अंतरिक्ष यान को 1377 डिग्री सेल्सियस तापमान से गुजरना होगा. सवाल है कि यह अत्यधिक गर्मी के बीच भी बचा कैसे रहेगा?
सूर्य तक पहुंचने के लिए नासा ने पार्कर सोलर प्रोब को सफलता पूर्वक प्रक्षेपित किया है. यह अंतरिक्षयान सूर्य के बाहरी वातावरण के रहस्यों पर से पर्दा उठाने और अंतरिक्ष के मौसम पर पड़ने वाले उसके प्रभावों को जानने के लिए सात साल का सफर तय करेगा.
प्रक्षेपण के दो घंटे बाद नासा ने एक ब्लॉग में लिखा, ‘अंतरिक्षयान बेहतर स्थिति में है और यह स्वयं काम कर रहा है. पार्कर सोलर प्रोब सूरज को स्पर्श करने के अभियान पर चल पड़ा है.’
नासा विज्ञान अभियान निदेशालय के सहयोगी प्रशासक थामस जुरबुकान ने कहा- ‘यह अभियान सचमुच एक तारे की ओर मानव की पहली यात्रा को चिन्हित करता है जिसका असर न केवल यहां धरती पर पड़ेगा बल्कि हम इससे अपने ब्रह्मांड को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं.’ लेकिन एक अहम सवाल ये उठता है कि क्या सूर्य के पास पहुंचने पर यह अंतरिक्षयान पिघल नहीं जाएगा?
सूरज तक पहुंचने में इस अंतरिक्ष यान को 1377 डिग्री सेल्सियस तापमान से गुजरना होगा. इसमें थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम लगा हुआ है. सूरज की भयंकर गर्मी से अंतरिक्षयान और उपकरणों की सुरक्षा इसमें लगाई गई साढ़े चार ईंच मोटी एक ढाल करेगी जो कार्बन से बनी हुई है.
हालांकि, नासा ने अपने एक ब्लॉग में यह भी समझाया है कि अंतरिक्षयान के नहीं पिघलने के पीछे और भी साइंस के तर्क काम करते हैं. असल में साइंस की भाषा में तापमान और गर्मी, दोनों अलग-अलग चीज है. कोई भी चीज कितना गर्म होगा, यह इस बात पर निर्भर करता है, वातावरण में कितना तापमान और कितनी वस्तुएं मौजूद हैं. अगर वातावरण बेहद खाली है तो पदार्थ कम गर्म होगा. अंतरिक्ष में भी बेहद कम पदार्थ मौजूद हैं, इसलिए अंतरिक्षयान उतना अधिक गर्म नहीं होगा, जितना आमतौर पर लोग समझते हैं.