नई दिल्ली: पिछले कुछ सालों में एमसीडी की कमाई में गिरावट आ रही है. एक निजी न्यूज़ पेपर के मुताबिक अवैध तरीके से लगे विज्ञापनों की वजह से 2015-16 में एमसीडी को लगभग 100 करोड़ का नुकसान हुआ था. बात सिर्फ नफा-नुकसान की नहीं, अवैध तरीके से लगे होर्डिंग खतरनाक भी हैं जो हादसों का कारण भी बन जाते हैं. इस तरह के अवैध होर्डिंगों को रोकने के लिए दिल्ली में बाकायदा कानून बना हुआ है लेकिन उसका पालन कितना हो रहा है, यह सड़कों के किनारे नजरें घुमाने पर साफ नजर आ जाता है.
अवैध होर्डिंगों की वजह से अक्सर हादसे होते रहते हैं. कुछ दिन पहले कोयंबटूर में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर रघुपति कान्डास्वामी की मौत तब हो गई जब उनकी बाइक रास्ते में अवैध रूप से लगाए गए होर्डिंग से टकरा गई. निश्चित तौर पर दिल्ली में भी ऐसे हादसे हुए होंगे. कई दिनों तक दिल्ली के अलग-अलग स्थानों पर घूमने के बाद पता चला कि ज्यादातर होर्डिंग, पोस्टर और बैनर अवैध तरीके से लगाए गए हैं. नियम और कानून की धज्जियां उड़ाई गई हैं. कुछ ही स्थानों पर मापदंड का पालन किया गया है. अवैध तरीके से लगे विज्ञापनों को रोकने के लिए कानून में व्यवस्था है, लेकिन कानून खुलेआम तोड़ा जा रहा है.
डीपीडीपी एक्ट 2007
दिल्ली में ग़ैरक़ानूनी तरीके से किए जा रहे विज्ञापनों को रोकने और दिल्ली को साफ़-सुथरा और सुन्दर बनाने के लिए 2007 में The Delhi Prevention of Defacement of Property Act बनाया गया. 31 मार्च 2008 को दिल्ली विधानसभा में यह एक्ट पास हुया.17 जनवरी 2009 को इस एक्ट को तत्कालीन राष्ट्रपति ने इसे मंजूरी दी. यह एक्ट कहता है कि किसी संपत्ति का मालिक या उसमें रहने वाले के नाम और पते के अलावा अगर किसी संपत्ति जिस पर आम लोगों की निगाह जा सकती है, पर स्याही, चॉक, पेंट या किसी भी चीज़ से लिखना या निशान बनाने पर एक साल तक जेल या पचास हज़ार रुपये जुर्माना या दोनों सज़ा हो सकती हैं. अगर यह अपराध किसी व्यक्ति, या किसी कंपनी, या किसी कॉर्पोरेट या व्यक्तियों के समूह भले ही वे किसी नियम के तहत बनाए गए हों या नहीं, के लिए किया जा रहा है तो इस स्थिति में वे आदमी, संस्था से जुड़े शीर्ष अधिकारी या प्रबंधक अपराध के लिए जिम्मेदार माने जाएंगे या फिर उन्हें साबित करना होगा कि यह उनकी जानकारी के बगैर हुआ है.
आउटडोर विज्ञापन पालिसी
आउटडोर विज्ञापन को लेकर कई मामले सुप्रीम कोर्ट में विचारधीन हैं. सड़क सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने अपना राय दी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा सड़क पर लगे खतरनाक होर्डिंग जो सुरक्षित यातायात के लिए परेशानी पैदा करते हैं, तुरंत हटाए जाएं. मार्च 2007 को दिल्ली हाई कोर्ट ने भी कहा कि रास्ते की तरफ लगे होर्डिंग और विज्ञापन बोर्ड यातायात के लिए खतरा हैं. 9 मई 2007 को एमसीडी ने इस आर्डर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर किया. इसके साथ-साथ अपना आउटडोर विज्ञापन पालिसी का एक ड्रॉफ्ट भी जमा किया. वर्ष 2007 में सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) बोर्ड को एमसीडी के द्वारा जमा किए गए ड्रॉफ्ट की जांच करने के लिए कहा. अलग-अलग एजेंसीज से बात करने के बाद पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) बोर्ड ने अपना ड्रॉफ्ट पेश किया.अगस्त 2017 को इस ड्रॉफ्ट को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकृति दे दी . 32 पेज की इस नीति में कई बात कही गई हैं.
नियमों के हिसाब से कहां-कहां नहीं लग सकते विज्ञापन
- किसी भी हालत में राष्ट्रीय पार्क और जल निकायों पर विज्ञापन नहीं लग सकते हैं.
- ऐतिहासिक स्मारकों, शमशान घाट, कब्रिस्तान और खंडहर में विज्ञापन निषेध है.
- मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारा जैसे सभी धार्मिक स्थानों पर विज्ञापन नहीं लग सकते हैं.
- एनडीएमसी के कई इलाके में विज्ञापन पर सख्त रोक लगाई गई है.
- सामाजिक और धर्मार्थ गतिविधियों का समर्थन करने वाले होर्डिंगों को छोड़कर एनडीएमसी इलाके में बड़े होर्डिंग नहीं लगाए जा सकते हैं.
- शहर की प्रमुख सड़कों, जहां ज्यादा ट्रैफिक होता है, वहां होर्डिंग नहीं लग सकते हैं.
- एनडीएमसी के नियम के हिसाब से informal advertising रोड के किनारे नहीं लगाए जा सकते हैं.
- एनडीएमसी इलाके में सूचनापरक विज्ञापन के पोस्टर और बोर्ड 24 घंटे से ज्यादा समय के लिए नहीं लगाए जा सकते हैं.
- एमसीडी इलाके में इनफॉर्मल पोस्टर और बिलबोर्ड एक हफ्ते से ज्यादा नहीं लगाए जा सकते.
- किसी भी हालत में अवासीय इलाके में विज्ञापन device के लिए अनुमति नहीं.
- पेड़ या झाड़ी में नामपट का इस्तेमाल नहीं होगा.
- कोई भी संदेश, पोस्टर और मुद्रित उपकरण सहायक स्तम्ब, खंभा और पोस्ट पर नहीं लग सकते.
- कोई विज्ञापन डिवाइस ऐसी जगह नहीं लगना चाहिए जो पैदल चलने वाले को बाधा पहुंचाए.
बिजली के खम्भे पर मिले अवैध तरीके से लगे होर्डिंग
सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस नीति को मंजूरी मिलते ही एमसीडी ने इसे लागू कर दिया. एमसीडी की साइट पर भी इस पालिसी को अपलोड कर दिया गया. दिल्ली में डीपीडीपी एक्ट और आउटडोर विज्ञापन पालिसी का क्या असर हुआ है, यह जानने के लिए हमने दिल्ली के अलग-अलग इलाकों का दौरा किया. सबसे पहले हम द्वारका के फ्लाईओवर पर पहुंचे. इस फ्लाईओवर के दोनों तरफ लगे बिजली के खंभों पर धर्मगुरु से लेकर राजनेताओं के पोस्टर लगे हुए नज़र आए. जब हमने साउथ दिल्ली म्युनिसिपाल्टी कमीशन के डिप्टी कमिश्नर (advertisement) प्रेमशंकर झा से बात की तो उनका कहना था कि एसडीएमसी ने बिजली के खंभों पर पोस्टर लगाने की कोई अनुमति नहीं दी है. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कैसे यहां अवैध पब्लिसिटी हो रही है. इस फ्लाईओवर पर लगे एक होर्डिंग के नीचे दिए गए नंबर पर हमने बात की. जब हमने उनसे पूछा कि क्या यहां होर्डिंग लगाने के लिए परमीशन ली गई है? तो पहले परमीशन लेने की बात कही गई लेकिन जब हमने कहा कि हम मीडिया से हैं और शूट कर रहे हैं तो फोन पर बात करने वाला माफी मांगने लगा और कहा कि गलती से लग गया होगा.
शिकायत के बाद हटाया गया होर्डिंग
तीन नवंबर को डाबरी-महावीर एनक्लेव रोड के एक शौचालय के ऊपर अवैध तरीके से होर्डिंग लगे हुआ था. यह होर्डिंग कानूनी या गैरकानूनी है, यह जानने लिए हमारे साथ गए निष्पक्ष एनजीओ के शिवकुमार सक्सेना ने पुलिस को फोन किया. एक घंटे के अंदर पुलिस वहां पर पहुंची और शिकायत दर्ज की. पांच नवंबर को जब हम दोबारा उसी जगह पर पहुंचे तो होर्डिंग नहीं मिला. यानी शिकायत के बाद होर्डिंग हटा दिया गया था. होर्डिंग लगाने वाले शख्स के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई या नहीं, यह हमें पता नहीं चल पाया. कई जगह ऐसी भी मिलीं जहां शिकायत के बावजूद प्रशासन की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया.
शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं
हमें दिल्ली के लगभग हर स्थान पर अवैध तरीके से लगाए गए होर्डिंग,पोस्टर और बैनर मिल गए. द्वारका के सेक्टर-1 के आसपास एक ऐसी दीवार मिली जिस पर पिछले तीन सालों से अवैध रूप से प्रचार किया जा रहा है. इसके खिलाफ दो बार एफआईआर हो चुकी हैं, लेकिन एमसीडी की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई है. आज भी इस दीवार पर विज्ञापन मौजूद है.
अवैध होर्डिंगों की वजह से एमसीडी का नुकसान हो रहा है.अगर कई जगह ऐसी भी मिलीं जहां एमसीडी की तरफ से अवैध होर्डिंग लगाए गए हैं. सबसे बड़ी बात यह है सरकार स्वच्छ भारत की बात करती है. राजनेता नीचे की गंदगी साफ करने में लगे हुए हैं लेकिन ऊपर की गंदगी बढ़ाने में सबसे ज्यादा हाथ तो नेताओं का है. सबसे ज्यादा पोस्टर बैनर और होर्डिंग में नेताओं की तस्वीरें हैं.