मुंबई: भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया के टॉप तीन की सूची में शामिल होने वाला है, हालांकि इसमें अभी 11 साल का वक्त लगेगा. अमेरिकी बैंक मेरिल लिन्च की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि साल 2028 तक भारत जापान को पछाड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा. यह दावा भारत की तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था को देखकर अनुमान किया गया है. फिलहाल ब्राजील और रूस को पीछे छोड़ भारत ब्रिक देशों में चीन के बाद दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2019 तक भारत फ्रांस और ब्रिटेन को पछाड़ देगा. इसके साथ ही यह देश जर्मनी के बाद दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर अग्रसर है.
अमेरिकी बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2028 तक भारत जर्मनी और जापान को जीडीपी (डॉलर के टर्म में) के मामले में पीछे छोड़ देगा. हालांकि इस रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि 2028 में अमेरिका और चीन के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की साइज क्या होगी. पिछले साल भारत की अर्थव्यवस्था 2.26 खरब डॉलर थी. उम्मीद जताई गई है कि अगले दशक में भारत की विकास दर 10 फीसदी रह सकती है. इस तरह जापान की अर्थव्यवस्था 1.6 फीसदी को पीछे छोड़ देगा.
कारोबार सुगमता में भारत 100वें स्थान पर पहुंचा
इसी साल 31 अक्टूबर को आई रिपोर्ट में दावा किया गया कि भारत ने विश्वबैंक की कारोबार सुगमता रिपोर्ट रैंकिंग में लंबी छलांग लगायी है. देश की रैंकिंग 30 पायदान सुधरकर 100वें स्थान पर पहुंच गयी. इससे उत्साहित सरकार ने सुधारों को आगे बढ़ाने का संकल्प दोहराया जिससे देश आने वाले वर्ष में कारोबार सुगमता के मामले में शीर्ष 50 देशों में शामिल हो सकता है. नरेंद्र मोदी सरकार के 2014 में सत्ता में आने के समय भारत की रैंकिंग 142 थी. पिछले साल यह 130 थी. इस साल भारत एकमात्र बड़ा देश है जिसने कराधान, निर्माण परमिट, निवेशक संरक्षण और ऋण शोधन के लिये उठाये गये कदम के दम पर यह बड़ी उपलब्धि हासिल की.
विश्व बैंक ने कहा इस साल के आकलन में यह शीर्ष 10 सुधारकर्ता देशों में एक है. कारोबार सुगमता के 10 संकेतकों में से आठ में सुधारों को क्रियान्वित किया गया. यह पहला मौका है जब भारत इस मामले में पहले 100 देशों में शामिल हुआ है. इस बारे में अपनी प्रतिक्रिया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार सुधार, निष्पादन और रूपांतरण के मंत्र के साथ रैंकिंग में और सुधार तथा आर्थिक वृद्धि में तेजी लाने को प्रतिबद्ध है. उन्होंने कारोबार सुगमता में भारत की रैंकिंग में उछाल की सराहना की और कहा कि यह चौतरफा तथा विविध क्षेत्रों में किये गये सुधारों का नतीजा है.
हालांकि भारत निवेशकों के संरक्षण के मामले में दुनिया में चौथे स्थान (पिछले साल 13वें स्थान) पर आ गया लेकिन बिजली प्राप्त करने के मामले में स्थिति बिगड़ी है और पिछले साल के 26 से 29वें स्थान पर आ गया. कर्ज उपलब्धता रैंकिंग 44 से सुधरकर 29 पर आ गयी. वहीं कर भुगतान सुगमता के मामले में रैंकिंग 172वें से सुधकर 119वें स्थान पर आ गयी.
विश्वबैंक के ‘ग्लोबल इंडिकेटर्स ग्रुप’ के कार्यवाहक निदेशक रीता रमाल्हो ने वाशिंगटन में पीटीआई भाषा से कहा, ‘यह बड़ा उछाल है.’ उन्होंने 30 पायदान के सुधार के लिये मोदी सरकार की अगुवाई में 2014 से किये गये सुधारों को श्रेय दिया. एक जुलाई से लागू माल एवं सेवा कर (जीएसटी) अगले साल की व्यापार सुगमता रिपोर्ट में प्रतिबिंबित होगा. रीता ने कहा, ‘इस साल जीएसटी सुधारों पर गौर नहीं किया गया. इस पर अगले साल की रिपोर्ट में विचार किया जाएगा.’ विश्वबैंक के अनुसार दुनिया में न्यूजीलैंड कारोबार के लिहाज से सबसे बेहतर जगह है. उसके बाद क्रमश: सिंगापुर, डेनमार्क, दक्षिण कोरिया और हांगकांग का स्थान है. अमेरिका तथा ब्रिटेन सूची में क्रमश: छठे और सातवें स्थान पर है.
ब्रिक्स देशों में रूस सूची में अव्वल है और वह 35वें स्थान पर है. उसके बाद चीन का स्थान है जो लगातार दूसरे साल 78वें स्थान पर है. रिपोर्ट लिखने वालों ने कहा कि यह इस साल का सबसे बड़ा आश्चर्य भारत है. उसकी रैंकिंग 30 पायदान सुधरी है. इस संदर्भ में उसका अंक 4.71 बढ़कर 60.76 अंक पहुंच गया.
रीता ने कहा, ‘भारत ने इस साल काफी सुधार किया है, लेकिन अब भी काफी गुंजाइश है. इसीलिए मैं यह नहीं कहूंगी कि यह कारोबार के लिये बेहतर जगह है लेकिन निश्चित रूप से बेहतर जगह बनने की दिशा में बढ़ रहा है. दो साल पहले के मुकाबले कारोबार करना काफी आसान हुआ है.’