नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार विदेश की नागरिकता ले चुके भारतीय मूल (NRI) के लोगों को यहां वोटिंग का अधिकार दिलाने की कोशिश में जुट गई है. यानी NRI के वोट से भी भारत में सांसद, विधायक सहित अन्य जनप्रतिनिधियों की हार-जीत तय हो पाएगी, क्योंकि भारतीय लोकतंत्र में हर वोट की कीमत एक समान है. केन्द्र सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी कि संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) को डाक या ई वैलेट के जरिये मतदान की अनुमति देने के लिए चुनाव कानून में संशोधन वाला विधेयक पेश किया जाएगा. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने केन्द्र की दलीलों पर विचार किया और उसके इस अनुरोध को स्वीकार किया कि एनआरआई के लिए मताधिकार के अनुरोध वाली याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित की जाए.
केन्द्र की ओर से पेश वकील पी के डे ने इस आधार पर छह महीने का स्थगनादेश मांगा कि विधेयक शीतकालीन सत्र में पेश किया जाए. हालांकि पीठ ने सुनवाई 12 हफ्तों के लिए स्थगित की.
अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने 21 जुलाई को अदालत से कहा था कि जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत दिये नियमों में बदलाव करके एनआरआई को मतदान की अनुमति नहीं दी जा सकती और मताधिकार के लिए कानून में संशोधन हेतु संसद में विधेयक पेश करने की जरूरत है.
अदालत ने 14 जुलाई को केन्द्र से इस बारे में फैसला करने को कहा था कि वह एनआरआई को डाक या ई वैलेट से मतदान की अनुमति के लिए चुनाव कानून या नियम में बदलाव करेगा या नहीं.